सितंबर 23, 2023 को नाग नदी के जलग्रहण क्षेत्र में आई विनाशकारी बाढ़ के लिए स्वामी विवेकानंद स्मारक को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया गया है। पुणे स्थित सेंट्रल वॉटर एंड पावर रिसर्च स्टेशन (CWPRS) की अंतिम रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है। यह रिपोर्ट नागपुर महानगरपालिका (NMC) को 15 अप्रैल को प्राप्त हुई।
रिपोर्ट के अनुसार, अंबाझरी डैम के स्पिलवे पर स्थित विवेकानंद स्मारक के चबूतरे ने बाढ़ के पानी के बहाव में कोई बाधा नहीं डाली, जैसा कि पहले यशवंत नगर, अंबाझरी और आस-पास के निवासियों द्वारा दायर जनहित याचिका में दावा किया गया था। याचिकाकर्ताओं ने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में यह आरोप लगाया था कि प्रतिमा जलप्रवाह को अवरुद्ध कर रही है और इसके स्थानांतरण की मांग की थी।
हालांकि, महाराष्ट्र जल संसाधन विभाग (WRD) ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि स्मारक से जलप्रवाह प्रभावित नहीं होता। मामले को वैज्ञानिक रूप से सुलझाने के लिए राज्य सरकार ने CWPRS से विस्तृत अध्ययन करवाया।
CWPRS की रिपोर्ट में बताया गया कि असली कारण एक अर्थमूवर मशीन थी, जो भारी बारिश के दौरान चैनज 140 मीटर पर एक संकरे पुल के नीचे फंस गई थी। यह मशीन जलकुंभी (Eichhornia) हटाने के लिए उपयोग की जा रही थी, लेकिन अचानक बाढ़ आने पर उसे वहीं छोड़ना पड़ा। इससे जलप्रवाह बाधित हुआ और पानी पास के निचले इलाकों में फैल गया।
वैज्ञानिकों द्वारा किए गए सिमुलेशन में स्पष्ट हुआ कि पुल के अपस्ट्रीम में स्थित प्रतिमा और उसका चबूतरा जलप्रवाह में कोई उल्लेखनीय परिवर्तन नहीं ला रहे थे। प्रतिमा को मॉडल से हटाने पर भी जलस्तर या डिस्चार्ज में कोई विशेष अंतर नहीं दिखा, जिससे यह सिद्ध होता है कि स्मारक बाढ़ का कारण नहीं था।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि करीब तीन घंटे में 109 मिमी बारिश हुई, जिससे जल निकासी प्रणाली पर अचानक दबाव बढ़ गया। संकरे पुल और फंसी हुई मशीन के कारण एक दीवार ढह गई और पानी की रफ्तार तेज़ हो गई, जिससे बाढ़ की स्थिति और भी गंभीर हो गई।
CWPRS ने निष्कर्ष दिया कि बाढ़ का मुख्य कारण पुराने पुल की सीमित जल निकासी क्षमता थी, न कि विवेकानंद स्मारक। इसके बाद पुराने पुल को तोड़कर एक चौड़ा और ऊँचा पुल बनाया गया है, जिससे भविष्य में बाढ़ की संभावना काफी हद तक कम हो गई है।
NMC के सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग ने अपने बयान में कहा कि नया पुल अब अधिक ऊँचाई और चौड़ाई के साथ बना है, जिससे बाढ़ नियंत्रण क्षमता में बड़ा सुधार हुआ है और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति की आशंका बहुत कम है।