Published On : Tue, Oct 2nd, 2018

7वें साल की दहलीज पर नागपुर टुडे, नकारात्मक सोचवालों को करारा जबाव !

नागपुर: महात्मा गांधी ने देश की सेवा सातों दिन चौबीसों घंटे की थी. सत्य के उपासक गांधीजी से प्रेरणा लेकर आज से 6 साल पहले नागपुर टुडे की यात्रा शुरू हुई थी. आज भी समाज की बेहतरी के लिए चौबीसों घंटे सातों दिन लगातार सच को उजागर करते हुए लोगों को बाखबर रखने का काम नागपुर टुडे करता आ रहा है.

अब चूंकि सांतवें वर्ष की दहलीज तक हम पहुंच गए हैं, तो इसके शुरुआती दौर की प्रासंगिकता को याद करना भी लाजिमी है. पत्रकारिका जगत में जब छह साल पहले इसकी शुरुआत की गई तो कई प्रकार की प्रतिक्रियाएं देखने मिलीं. जिसमें मित्रों और शुभचिंतकों ने कई आशंकाएं और सवाल खड़े किए. लेकिन इस छह साल के कालखंड को देखते हुए सुकून इस बात का मिलता है, कि लगातार मेहनत और नए विषयों पर पारदर्शी पत्रकारिता के जरिए उस डर को नागपुर टुडे ने कोसों पीछे छोड़ दिया और आज वेब जर्नलिज्म की दुनिया में एक विश्वसनीय पहचान बनाने में सफल रहा. इस मुकाम तक पहुंचने के पीछे टीम नागपुर टुडे का भी अहम योगदान रहा.

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नागपुर टुडे का उद्घाटन श्री बनवारीलाल पुरोहित के हाथों किया गया था. लेकिन शुरूआत से ही नागपुर टुडे ने पारंपरिक रिपोर्टिंग की शैलियों को बदलना और नए प्रतिमानों को गढ़ना शुरू कर दिया. आज हम महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहे हैं. और इस अवसर पर उन लोगों का आभार मानना जरूरी है जो हमारे साथ लगातार डेट रहे, विशेषतौर से वे जो पहले दिन से हम से जुड़े हुए हैं.

बात 2012 की है, जब हम यह ऑनलाइन वेबपोर्टल शुरू करना चाहते थे, तब हमसे कोई नहीं जुड़ना चाहता था. कई तो इसे एक खराब ख्याल मानते थे. पत्रकारिता जमात के ही कई पत्रकार हीन नजरिया बनाए हुए थे. लेकिन हमारे संवेदनशील संपादकीय, मजबूत रिपोर्टिंग स्टाफ और डेस्क की बदौलत नागपुर मीडिया जगत में हमने देखते ही देखते नई पहचान स्थापित कर ली. लिहाजा बिना झिझक अब यह कहा जा सकता है कि नागपुर टुडे पाठकों की पहली पसंद बन चुका है. विशेष तौर से नागपुर के युवाओं की तो यह जरूरत बनती जा रही है. नागपुर टुडे ऐप की लगातार बढ़ती डाउनलोडिंग और वेबसाइट विजिटरों की तादाद इसका सबसे बड़ा सबूत है.

खबरों की बिना किसी लालच के निष्पक्ष रिपोर्टिंग करने का परिणाम यह हुआ कि आज नागपुर में यथार्थफरक और निडर रिपोर्टिंग के लिए पहचाना जाने लगा है. लेकिन इस पहचान का एक दुखदायी पक्ष भी है, वह यह कि पर्दाफाश करनेवाली रिपोर्टिंग को लेकर कई बार हम पर लांछन लगाने की भी भरसक कोशिशें की जाती हैं, जिसमें अपराध जगत से जुड़े या सफेदपोश अपराधी बदनाम करने में हमेशा आगे रहते हैं. इस पंक्ति में कुछ पत्रकारों का नाम भी शामिल है.

अब यहां पाठकों के साथ चर्चा जरूरी है, क्योंकि आज के दौर में प्रिंट और वेब जर्नलिज्म के बीच लकीर खींचनेवाला तथ्य भी यही है, कि पत्रकारिता के उद्देश्य ऑनलाइऩ जर्नलिज्म ने बदल दिए हैं. नागपुर टुडे को ब्लैकमेलर कहनेवाले पत्रकार और सफेदपोश अपराधियों के सच को छिपाने के गोरखधंधों को नागपुर टुडे ने बेनकाब किया था. उदाहरण के तौर पर पहले स्थानीय समाचारों को पढ़ने के लिए केवल अखबारों का ही सहारा था. ऐसे में शहर में यदि कहीं रेड डाली जाती जिसमें या कोई राजनीतिक रंजिश होती या कहीं अपराध की घटनाएं हो जाती, उस घटना को अखबार में छपने से पहले रोकने के लिए बीच में काफी समय मिल जाया करता था. लिहाजा अखबारों में कई बार चुनिंदा और प्रोजेक्टेड खबरें लगा करती थीं और शहर के चुनिंदा पत्रकार इसे मैनेज करते रहते थे.

लेकिन इस बीच नागपुर टुडे के आ जाने से घटना की रिपोर्टिंग तुरंत होने लगी, लिहाजा मीडिया मैनेज करनेवाले इन पत्रकारों का गणित गड़बड़ाने लगा. तुरंत खबर मीडिया में आ जाने से खबरों को मैनेज करने का समय किसी को न मिल पाता था. ऐसे में इन लोगों ने एक अभियान की तरह नागपुर टुडे को बदनाम करना शुरू कर दिया. हम न केवल खबर प्रकाशित करते बल्कि संस्थान और मामले से जुड़े शख्स के नाम तक उजागर करा करते हैं.

एक वाकये से इस बात को समझा जा सकता है. कुछ दिन पहले एक स्कूल वैन में 3 साल की बच्ची के साथ छेड़खानी की घटना हुई. यह वैन शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल की थी. शहर के किसी भी अखबार में उस स्कूल का नाम लिखने की हिम्मत नहीं थी. लेकिन यहां नागपुर टुडे ने उस स्कूल के नाम (बूटी पब्लिक स्कूल) का भी उल्लेख किया. लिहाजा आज आलम यह हो चला है कि मीडिया हाउस अपने रिपोर्टरों को नागपुर टुडे में आई खबरें मिस होने पर खबरदारी लेते हैं. इससे भी ऐसे पत्रकारों के समूह में नागपुर टुडे के प्रति नफरत की भावना बढ़ने लगी. हम ऐसे लोगों से कहना चाहते हैं कि हालत कुछ भी हों, नागपुर टुडे हमेशा पत्रकारिता की अलख जलाए रखेगा, भले ही हमसे कितनी भी नफरत कर लीजिए लेकिन हमें नजरअंदाज करने की हिम्मत अब उनमें नहीं है.

और अंत में इस अलख को जलाए रखने के लिए नागपुर टुडे के सुधि पाठकों से लगातार समर्थन की अपेक्षा करते हैं. लिहाजा टुडे के साथ लगातार जुड़े रहें, सहयोग दें और जागरुक नागरिक के तौर पर बिना डरे संकुचाए समाज में हो रहे गलत कामों के लिए हमसे संपर्क करें. क्योंकि जीत हमेशा सत्य की होती है. और अब इसी के बदौलत शहर को सही मायनों में स्मार्ट और ड्रीम सिटी बनाया जा सकेगा.

अंग्रेजी साहित्य जगत के नामचीन कवि रॉबर्ट फ्रॉस्ट की इन पंक्तियों के साथ अपने शब्दों को विराम दूंगा. आपका दिन शुभ हो, पढ़ते रहें नागपुर टुडे.
”The woods are lovely, dark and deep. But I have promises to keep, and miles to go before I sleep.” – Robert Frost

कुमार नीलभ

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