Published On : Wed, Apr 2nd, 2025
By Nagpur Today Nagpur News

क्या ऐसे स्कूलों पर सख्त कार्रवाई करेगा नागपुर शिक्षा विभाग?  

नागपुर। नागपुर टुडे के स्टिंग ऑपरेशन से शिक्षा जगत में हलचल मच गई है। इस जांच में प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थानों, जैसे आकाश और एलन, के प्रतिनिधियों को यह कहते सुना गया कि वे नागपुर के कई सीबीएसई और राज्य बोर्ड से जुड़े स्कूलों के साथ टाई-अप में हैं।

सुनिए स्टिंग ऑपरेशन ऑडियो-

इस व्यवस्था के तहत, जो छात्र इन कोचिंग संस्थानों में नामांकित होते हैं, उन्हें स्कूल जाने की आवश्यकता नहीं होती। उन्हें केवल प्रैक्टिकल क्लास में उपस्थित होना पड़ता है। इसके बावजूद, स्कूल उनकी उपस्थिति 75% के नियमों के अनुसार पूरी दिखाते हैं। यह शिक्षा प्रणाली में गंभीर खामी को उजागर करता है।

शिक्षा विभाग का रुख क्या है?

नागपुर के उप-शिक्षा निदेशक उल्हास नारड ने नागपुर टुडे से बातचीत में स्पष्ट किया कि यदि किसी स्कूल को इस प्रकार के टाई-अप में लिप्त पाया गया, तो उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि कोचिंग क्लासेस पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है, लेकिन वे उन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे जो नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। वे बोर्ड को इस विषय में रिपोर्ट भी भेजेंगे।

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या शिक्षा विभाग सच में कार्रवाई करेगा?
नागपुर टुडे के खुलासे के बाद शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी बढ़ गई है। अधिकारी कह रहे हैं कि जो स्कूल इस नियम को तोड़ रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। लेकिन क्या वाकई ऐसा होगा, या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?

बड़ी संस्थाओं पर कार्रवाई करने की हिम्मत दिखाएगा प्रशासन?  

कोचिंग संस्थानों और स्कूलों के इस गठजोड़ से शिक्षा प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल खड़े होते हैं। यह व्यवस्था कोचिंग संस्थानों के फायदे के लिए बनाई गई है। इसमें छात्रों की स्कूली शिक्षा की अनदेखी हो रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि शिक्षा विभाग सिर्फ बयान देता है या फिर वाकई में कोई ठोस कदम उठाता है।

अब 8वीं कक्षा से ही स्कूली शिक्षा की अनदेखी शुरू!  

सबसे चिंता की बात यह है कि अब यह गड़बड़ी सिर्फ 11वीं और 12वीं तक सीमित नहीं रही, बल्कि 8वीं कक्षा से ही छात्रों को निशाना बनाया जा रहा है। इससे स्कूलों की प्रासंगिकता खत्म होती जा रही है, और शिक्षा का मूल उद्देश्य खतरे में पड़ गया है।

कोचिंग संस्थानों के लिए स्कूलों में सीट खरीदने का खेल!  

विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि इस टाई-अप के तहत अधिकतर स्कूलों को कोचिंग संस्थानों से आर्थिक लाभ मिलता है। हर छात्र के नामांकन पर कोचिंग सेंटर कथित तौर पर स्कूल को 5000 से 10000 रुपये तक की राशि देते हैं, ताकि स्कूल उनके नाम पर उपस्थिति दर्शा सके। इस पूरी प्रक्रिया में शिक्षा केवल एक व्यापार बनकर रह गई है।

छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ या सुविधाजनक शिक्षा प्रणाली?  

यह विवाद केवल स्कूलों और कोचिंग संस्थानों तक सीमित नहीं है। इसका सीधा असर उन छात्रों पर पड़ रहा है, जो इस प्रक्रिया में शामिल हैं। जब शिक्षा विभाग के नियमों को अनदेखा कर उपस्थिति दर्ज की जाती है, तो स्कूलों की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं। अब यह देखना होगा कि शिक्षा विभाग छात्रों के भविष्य को लेकर कितनी गंभीरता दिखाता है।

अब सबकी निगाहें शिक्षा विभाग पर हैं। क्या वे नागपुर टुडे की रिपोर्ट को गंभीरता से लेंगे और उचित कार्रवाई करेंगे? या फिर यह मामला भी केवल चर्चा तक सीमित रह जाएगा?