नागपुर: शहर एनसीपी के अध्यक्ष अनिल अहिरकर व मनपा में पार्टी के एकमात्र नगरसेवक दुनेश्वर पेठे ने मीडिया से औपचारिक चर्चा करते हुए शहर की ज्वलंत समस्याओं पर मीडिया के माध्यम से जिला व मनपा प्रशासन के साथ सत्तापक्ष का ध्यानाकर्षण करवाया. इतना ही नहीं सुझाव देकर सकारात्मक नियोजन की उम्मीद भी दर्शाई. इस अवसर पर पूर्व नगरसेवक वेदप्रकाश आर्य और विशाल खांडेकर विशेष रूप से उपस्थित थे.
अहिरकर व पेठे ने चर्चा के दौरान जानकारी दी कि करोड़ों युवाओं और बेरोजगारों को तय समय में रोजगार सह स्वयंरोजगार के अवसर मुहैय्या करवाने का वादा सत्तापक्ष ने किया था, जिसमें वे असफल रहे. इसलिए शहर के चौराहे और व्यवसाय के लिए उपयुक्त जगह जो खाली पड़े हैं या अतिक्रमण हुए हैं, ऐसे सभी जगहों का चयन कर बाकायदा स्वयंरोजगार करने के इच्छुकों का पंजीयन कर उन्हें एक जैसी जगह किराए पर दें. वैसे व्यवसायों के लिए जो व्यवसाय सड़क किनारे ही चल सकती हैं. क्यूंकि सड़क किनारे व्यवसाय करने वाले दुकान लेकर वहां से व्यवसाय नहीं कर सकते हैं. आवंटित पट्टों का किराया समय-समय पर न चुकानेवालों का पंजीयन रद्द कर दिया जाए. इससे हॉकर समस्या और फुटपाथ पर अतिक्रमण की समस्या से निजात मिल सकती है. इस सम्बन्ध में अहिरकर ने जानकारी दी कि वे एक कार्यक्रम के तहत गडकरी के साथ मंच साझा कर रहे थे तो उन्होंने गडकरी से स्वयंरोजगार- बेरोजगारी के मुद्दे पर चर्चा कर उपाययोजना से उन्हें रु-ब-रु करवाएं, इस पर गडकरी ने उनसे प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.
अनाथ के नाथ बनने को तैयार, प्रशासन दे मौका
उक्त एनसीपी पदाधिकारियों ने जानकारी दी कि शुक्रवारी याने जुम्मा तालाब का कोई वाली नहीं. अब तक मनपा कई करोड़ खर्च कर चुकी है, लेकिन तिनका भर भी उसका विकास नहीं हुआ. इसलिए एनसीपी ने इस तालाब के पालकत्व के लिए मनपा प्रशासन से लिखित निवेदन किया. पत्र में अंकित शब्दों के अनुसार मनपा का सम्पूर्ण खर्च भी बचेगा और मनपा का इस तालाब को लेकर निश्चित की गई उद्देश्यपूर्ति भी होगी. एनसीपी खुद या उनसे सम्बंधित संस्था के माध्यम से इस तालाब की स्वच्छता, सौन्दर्यीयकरण, पर्यटन को बढ़ावा देने के उपाय सहित स्वयंरोजगार के अवसर मुहैय्या करवाएंगे. एनसीपी के इस प्रस्ताव को तिलांजलि देकर मनपा प्रशासन ने दो दिन बाद २२ करोड़ रुपए तालाब के विभिन्न कार्यों के लिए जारी करने के आदेश दिए. यह राशि कागजों पर पूर्ण खर्च दर्शाई जाएगी लेकिन हकीकत इससे परे रहेगी.
खाऊ गल्ली सूनी-सूनी
मनपा प्रशासन ने कागजों के गर्त से ऊपर उठने की कभी कोशिशें नहीं की. इसलिए खाऊ गल्ली की शुरुआत आज तक कागजों तक ही सीमित है. इसे व्यवसायिक संस्थाओं, समिति या प्रतिष्ठानों के हाथ सौंपा गया होता तो आज खाऊ गल्ली की रौनक देखने लायक रहती. उक्त संस्थाओं को प्रशासन से अधिक जानकारी है कि खाऊ गल्ली का वातावरण और ग्राहकों का स्वाद कैसा हो.
यातायात व्यवस्था चरमराई
शहर के चौराहों पर बंद पड़े सिग्नल, बिना यातायात पुलिस के चौराहे, तकनीक से लैस चौराहे आदि समस्याओं से घिरी हुई है. सम्बंधित विभाग का नियोजन उचित व सकारात्मक नहीं होने के कारण नियमियत करोड़ों में खर्च के बावजूद लड़खड़ा गई हैं.
शहर में अस्पतालों का सैलाब, लूट रही जनता
शहर व ग्रामीण की जनसंख्या ४५,००,००० लगभग है. इसके अलावा नागपुर के निकटवर्ती जिले, राज्यों के लोगों की आवाजाही खासकर इसलिए है कि नागपुर शहर में अनगिनत अस्पताल है. इनमें से चुनिंदा अस्पतालों को छोड़ वोकहार्ट अस्पताल सहित सैकड़ों अस्पतालों में मरीजों के संग खिलवाड़ और इलाज के नाम पर लूट जारी है.