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नागपुर: मराठा आरक्षण पर जारी आंदोलन और नागपुर शहर में बढ़ रहे अपराध इन दिनों राज्य की राजनीति में भूचाल लाये हुए है। सूत्रों का दावा है कि दोनों मामलों पर समय रहते नियंत्रण नहीं लगाया गया तो मुख्यमंत्री के सिंहासन पर खतरा आ सकता है।
राष्ट्रवादी पार्टी की ओर से मराठा आंदोलन को हवा दी जा रही है। इस आंदोलन में एनसीपी के लगभग सभी मराठा नेता सहभागी हैं। परोक्ष रूप से आंदोलन के मुखिया एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ही हैं। वहीं दूसरी ओर नागपुर जिले में अपराध के बढ़ते क्रम को रोकने में स्थानीय अधिकारी, नेता एवं राज्य के मुख्यमंत्री-गृहमंत्री पूरी तरह से असफल रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इस मुद्दे को भाजपा के नेता ही हवा दे रहे हैं।
एनसीपी सूत्रों के अनुसार मराठा आंदोलन के प्रणेता और राज्य के भाजपा के दिग्गज मंत्री ने आंदोलन के सन्दर्भ में मुख्यमंत्री को घर बिठाने के लिए हाथ मिलाए हुए हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री और भाजपा नेतृत्व को राज्य का मुख्यमंत्री बदलने की नौबत आई तो अमित शाह के निकटवर्ती चंद्रकांत पाटिल को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। वैसे मुख्यमंत्री की रेस में दूसरे नंबर पर अनुशासित भाजपा नेता व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष दानवे भी तगड़े दावेदारों में से एक है। अगर ऐसा ही कुछ रहा तो फरवरी-मार्च में भाजपा मुख्यमंत्री बदल सकती है।
लेकिन राजनीति के जानकारों की माने तो मराठा आंदोलन को शांत करने में शरद पवार से भाजपा नेतृत्व ने हाथ मिलाया तो पवार इन दोनों दावेदारों के बजाय गडकरी के नाम पर अपना आंदोलन पीछे ले सकते हैं। वहीँ एनसीपी की नीति की समझ रखने वाले एक विश्लेषक के अनुसार शरद पवार कभी आंदोलन को तिलांजलि देकर गडकरी को मुख्यमंत्री बनाने की गलती नहीं करेंगे, ताकि राज्य में एक और नेता पैदा न हो। माना जा रहा है कि पवार इस आंदोलन के सहारे राज्य सरकार को गिराने का मन बना चुके हैं। ऐसे में उपचुनाव होने की संभावन से इंकार नहीं किया जा सकता है। जानकारों का मानना है कि पिछले कई दशक से पवार का सिक्का ही राज्य में चल रहा है। पिछली बार युति सरकार स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे की वजह से आई थी। इनके कार्यकाल को पूरा करने में पवार की अहम भूमिका थी, लेकिन इस बार राज्य सरकार की नीतियों से पवार अच्छे-खासे नाराज चल रहे हैं। अब देखना यह है कि पवार का यह आंदोलन क्या गुल खिलाता है।
– राजीव रंजन कुशवाहा