– मनपा प्रशासन गहरी नींद में तो ठेकदार कर रहा मनमानी
नागपुर -पंढराबोडी तालाब की वर्त्तमान स्थिति देख कर यह प्रतीत होता है कि शहर में ऐतिहासिक सरोवर को पुनर्जीवित करने के नाम पर पैसे की बरबादी हो रही हैं.अब जबकि गांधीसागर तालाब,जिस पर सौंदर्यीकरण का काम चल रहा है, क्षेत्र से सीवेज का पानी तालाब परिसर में आ रहा हैं तो सवाल यह है कि क्या मनपा प्रशासन तालाबों को पुनःजीवित करने में मामले में खिलवाड़ कर जनता को भ्रमित कर रही.
गांधीसागर तालाब को गहरा करने का काम चल रहा है। मध्य नागपुर में इस तालाब के आसपास पर्यटकों की भीड़ बढ़ाने के लिए मनपा ने सौंदर्यीकरण का काम शुरू किया है. सौंदर्यीकरण का कार्य करते समय कुछ बातें प्रस्तावित की गईं। ऐसा लगता है कि अब से इसकी अनदेखी की जा रही है।
गांधीसागर तालाब का सारा पानी निकाल कर गहरा किया जा रहा है। लेकिन एक तरफ जहां पानी बाहर निकाला जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ झूलेलाल मंदिर के पीछे से सीवेज तालाब में छोड़ा जा रहा है.तालाब में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने का प्रस्ताव है। लेकिन चूंकि अभी भी तालाब में सीवेज जमा हो रहा है, इसलिए क्षेत्र के नागरिक सकते में हैं कि यह कैसा सौंदर्यीकरण की जा रही !
सौंदर्यीकरण का काम शुरू होते ही ठेकेदार कंपनी की गैरजिम्मेदारी सामने आ गई। लेकिन मनपा धंतोली जोन के सम्बंधित अधिकारी की लापरवाही स्पष्ट दिख रही हैं. ऐसा लगता है कि ठेकेदार कंपनी कुछ मामलों को आसानी से दरकिनार कर रही है क्योंकि सम्बंधित अधिकारी काम के दौरान समय समय पर निरिक्षण नहीं देखते हैं। स्थानीय जागरूक नागरिकों का कहना है कि अगर अब सीवेज बंद कर दिया गया है, तो तालाब का विकास संभव नहीं।
इसके अलावा, इस कंपनी का ठेकेदार कौन है ? परियोजना की लागत कितनी है ? इसे कब पूरा किया जाएगा ? उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस संबंध में कोई सुचना फलक सार्वजानिक तौर पर तालाब परिसर के इर्द-गिर्द नहीं लगाया गया. उन्होंने तालाब से सटे शहीद स्मारक की मरम्मत और पेंटिंग की भी मांग की. इस तालाब के सभी किनारों का सौंदर्यीकरण प्रस्तावित है। चलने के लिए ट्रैक, शौचालय, पीने का पानी आदि होगा।तालाब के बीच में आकर्षक फव्वारा लगाया जाएगा। मनोरंजन के लिए बाल भवन के पास एक बड़े भवन का निर्माण किया जाएगा। तालाब के बीचोबीच ‘भाऊजी पागे पार्क तक पहुंचने के लिए एक पुल बनाने का भी प्रस्ताव है।
उल्लेखनीय यह है कि तालाब के विकास और सौंदर्यीकरण के लिए महाराष्ट्र सरकार को 12 करोड़ रुपये मिले हैं। इसके अलावा मनपा ने 2 करोड़ 90 लाख रुपए भी मुहैया कराए हैं। गांधी सागर तालाब एक ऐतिहासिक विरासत है और उसी के अनुसार विकसित की जा रही है। लेकिन अगर सीवेज आता रहा तो सम्पूर्ण खर्च बर्बाद हो सकता हैं उक्त संदेह स्थानीय नागरिकों ने जताया हैं.