नागपुर: केंद्र सरकार अंतर्गत आने वाला वन मंत्रालय इन दिनों नई वन नीति निर्माण करने के काम में लगा है। जिसके तहत वन विभाग के लिए नए सिरे से नीतियां और नियम बनाने की पहल की जा रही है। यह जानकारी नागपुर में प्रेस से मिले कार्यक्रम में पत्रकारों से बात करते हुए केंद्रीय वन मंत्री अनिल दवे ने कही। इस दौरान दवे ने कहा कि वह उनके विभाग में तात्कालिक बदलाव का नहीं बल्कि आमूलाग्र बदलाव का प्रयास कर रहे है। उन्होंने एक महीने पहले ही विभाग की जिम्मेदारी संभाली है। आगामी एक वर्ष में यह बदलाव दिखाई देने लगेगा। उनके विभाग में होने वाला कोई निर्णय बंद कमरे में नहीं बल्कि सार्वजनिक चर्चा के बाद लिया जायेगा।
वन विभाग जंलग-जंगल पर आश्रित लोगो और वन्यजीवों को ध्यान में रखकर कोई भी फैसला लिया जायेगा। देश का दुर्भाग्य है कि आजादी के 70 वर्षो बाद भी हम अपनी वननीति नहीं बना पाए है। आज भी अंग्रेजों का बनाया कानून ही ढोया जा रहा है। अंग्रेज चालक थे इसलिए उन्होंने वनसंपत्ति की लूट के लिए आईपीसी की धाराओ में वन को भी शामिल कर लिया पर नया वन कानून वनों पर आश्रित लोगो को सक्षम बनायेगा। लघु उपज संघ के माध्यम से वनों पर आश्रित अनुसूचित जाती-जनजाति के लोगों के जीवन में बदलाव लाया जायेगा।
वन मंत्री के मुताबिक विश्व पर्यावरण और आतंकवाद इन दो समस्याओं से जूझ रहा है। बीते 150 सालो से हम जैसा व्यवहार पर्यावरण के साथ करते आये है। उसी का फल हमें मिल रहा है। पर आगामी कुछ वर्षो के बाद देश में पर्यावरण की स्थिति बदल जाएगी। पर्यावरण को बचाने के लिए प्रत्येक नागरिक को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
नदियों का दूषित होना गंभीर समस्या है। कोई नदी को गंदा करे और जुर्माना भर कर मुक्त हो जाये। यह तरीका ही गलत है। आगे ऐसा नहीं होगा जो नदी को गंदा करेगा उसे सजा भुगतान पड़ेगा। बीते 40 वर्षो से देश जलप्रबंधन के लिए सिर्फ चर्चा कर रहा है। पर अब विवेकपूर्ण तरीके से काम होगा। बीते 65 सालों से सिर्फ कृषि प्रधान देश में किसानों की खेती की लागत बढ़ाई गई है। जबकि प्रयास लागत को कम करने और मुनाफा बढ़ाने का होना चाहिए था।
सरकार की योजनाओं का विरोध करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओ पर साधा निशाना
वन मंत्री ने सरकार की योजनाओं और उसके फैसलो पर विरोध करने वाली निजी स्वयंसेवी संस्थाओ को भी आड़े हांथो लिया। उन्होंने कहा की देश में वन्य प्राणियों की रक्षा के नाम पर योजनाओं का विरोध किया जाता है। यह बेवजह का विरोध है। दुनिया भर में विकसित देश छोटे और विकासनशील देशो में फंडिग कर ऐसे विरोध करते है। जिससे की उनकी प्रगति प्रभावित हो। सरकार को कई फैसले देश की भलाई के लिए लेने पड़ते है। उनके मुताबिक एक जानवर मरने पर चार लोग मोमबत्ती लेकर इंडिया गेट में पहुंच जाते है। पर जब सरहद में जवान शहीद होते तब इनकी संवेदनाये नहीं जागती।
जय को ढूंढने में मिलेगा यश, वन्यजीव हत्या रोकने के लिए ली जाएगी इंटरपोल की मदत
वनमंत्री ने बाघ जय को खोज लेने का भरोसा जताया है। उनके मुताबिक जय को लेकर किसी भी तरह के कयास लगाना उचित नहीं है। जय की मौत की हत्या या पुष्टि करते कोई सुराग हांथ नहीं लगे है। उनकी खोज के लिए अन्य एजेंसियों की मदत ली जाएगी। बारिश के मौसम में उसकी खोज में दिक्कत आ रही है। पर उन्हें आशा है कि जय को खोजने में यश मिलेगा। वनों में वन्यजीवों की हत्याएं रोकने के लिए इंटरपोल और पडोसी देशो के साथ मिलकर प्रयास किये जाने की जानकारी वनमंत्री ने दी। उन्होंने कहा यह समस्या वैश्विक है। इसको रोकने के लिए प्रयास भी वैश्विक होने चाहिए।
वनमंत्री ने नागपुर की नाग नदी के साथ देश भर की सभी नदियों को फिर से साफ करने का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि नदियों से उनका रिश्ता किसी पद पर रहने तक का नहीं है। वह लंबे समय से इसी काम में लगे है। वचन देता हूँ ईमानदारी से काम करूंगा। आरबीआई ने अभी तक ऐसा कोई नोट नहीं बनाया है। जिसे देकर उनसे कोई काम करवाले।