-पुरातत्व विभाग ने भी साधी चुप्पी
नागपुर -नागपुर-जबलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-7 कन्हान नदी के ऊपर से गुजरती है,जिसके ऊपर अंग्रेजों द्वारा बनाया गया पुल हेरिटेज लिस्ट में शामिल होने जा रहा है. इस साल इस ब्रिज ने 148 साल पूरे कर लिए हैं। हालांकि इस पुल पर यातायात बंद कर दिया गया है, लेकिन इसके गिरने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
अंग्रेजों ने इस पुल का निर्माण 1874 में परिवहन के लिए किया था। ब्रिज डेक ब्रिटिश इंजीनियर एफ. एल ओ कोल्हागन और जी. डब्ल्यू मैक जॉर्ज द्वारा बनाया गया। 336 मीटर यानि 1322 फीट लंबा, 6.32 मीटर चौड़ा पुल जो 13 खंभों पर टिका है।
याद रहे कि 1870 में ब्रिटिश राजपत्र में यह उल्लेख किया गया था कि यह मध्य भारत का सबसे आकर्षक और सुंदर पुल है। ब्रिटिश सरकार ने भारत सरकार को एक पत्र भेजकर सूचित किया था कि पुल पुराना हो चुका है।ब्रिटिश सरकार द्वारा करीब 20-25 साल से किये जा रहे पत्राचार के बाद स्थानीय नागरिकों जो नियमित आवाजाही कर रहे वे भड़क गए। इसके बाद, वैकल्पिक पुल का निर्माण वर्ष 2014 में शुरू हुआ और सितंबर 2022 में पूरा हुआ। लेकिन अब पुराने पुल का क्या, यह ज्वलंत सवाल जनता सह प्रशासन के मन-मस्तिष्क में हिचकोले खा रहा हैं.
जानकार सूत्रों की माने तो कन्हान नदी पर बने पुल को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने और इसे संरक्षित करने के लिए पत्राचार की शुरुआत एमओडीआई फाउंडेशन के अध्यक्ष महेश दयावान ने की. फिर दिसंबर 2016 में डॉ. पुरातत्व विभाग के डॉ शिल्पा जामगड़े, सर्वेक्षण विभाग के सहायक अभियंता हेमंत कुकरे, रिसर्च स्टूडेंट डॉ. एकता धारकर नदी पर बने पुल का निरीक्षण करने कन्हान नदी आई थीं। पुल के चारों ओर अवलोकन करते हुए,उन्होंने पुल की कुछ तस्वीरें लीं। पुल की स्थिति की जानकारी ली।
पुल की विस्तृत निरीक्षण रिपोर्ट तैयार कर तस्वीरों के साथ दिल्ली पुरातत्व विभाग को भेजी गई है। उसके बाद विभाग द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार केंद्रीय स्तर के विभाग के अधिकारियों की टीम पुल का दौरा करेगी. उसके बाद,पुल को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाएगा। लेकिन अभी भी कोई हलचल नहीं दिख रही है।