नागपुर : राज्य में शराब निर्माता अपना माल थोक विक्रेता व चिल्लर विक्रेता के मार्फ़त ग्राहकों को उपलब्ध करवाता है. इस दरम्यान राज्य आबकारी क़ानून का पालन करवाने की बजाय खुलेआम उल्लंघन करवाकर आबकारी विभाग खुद की पीठ थपथपा रहा है. नतीजतन बियर बार और देसी चिल्लर दुकानों में निप (180 मिली लीटर) बेचा जा रहा है, जबकि ग्राहकों को बम्पर (720 या 1000 मिली लीटर का बोतल) से मांग के अनुरूप शराब परोसने का नियम है. उक्त अवैधकृत्य सम्पूर्ण जिले में आबकारी विभाग के शह पर चलने की बात कही जा रही है.
नागपुर जिला आबकारी विभाग के सूत्रों के मुताबिक, आबकारी विभाग के अधिकारी आधे नियमों को न पालन करते हैं और न ही करवाते हैं. दर्जन भर नियम ऐसे हैं जो सिर्फ आबकारी विभाग के सम्बंधित अधिकारियों को मालूम है. इनमें से कुछ निर्माता, थोक विक्रेता और चिल्लर विक्रेताओं को पता है. इससे यह साफ़ है कि ग्राहक अधिकांश आबकारी नियम से अंजान होने की वजह से नियमों के चंगुल में आ जाता है. उदाहरणतः देसी चिल्लर और बियर बार संचालक देसी-विदेशी निप (180 मिली लीटर) ग्राहकों को बम्पर (720 या 1000) मिली लीटर से निप या अद्धा (360 मिली लीटर) खाली बोतल में भर कर देने का नियम है. चिल्लर (पैक के रूप में शराब के मांगकर्ता को) ग्राहकों को बम्पर का सील तोड़कर शराब पूर्ति करने का नियम है. इस गैरकानूनी कारोबार को आबकारी विभाग का वरदहस्त होने के संकेत मिले हैं. आबकारी विभाग के सम्बंधित अधिकारी को अवैध तरीके से दोहरा लाभ है, पहला जिले में शराब की बिक्री से आबकारी कर में इजाफा और निर्माता सह थोक विक्रेता से ऊपरी आमदनी भी. दूसरी ओर आबकारी विभाग शराब निर्माता को फायदा पहुँचाने के लिए चिल्लर विक्रेताओं को एमआरपी ( अधिकतम मूल्य) से ज्यादा तो कभी कम में निप (180 मिली लीटर ) बेचने का दबाव बनाकर नियमों की धज्जियाँ उड़ाकर फाँस रहा है और जिसने आनाकानी की उसके ऊपर नाना प्रकार के आबकारी मामले बना रहा है.