नागपुर: सर्वोच्च न्यायलय ने आदेश दिया था कि सीताबर्डी स्थित राष्ट्रभाषा सभा 40 करोड़ रुपए एनआईटी को दे. लेकिन राष्ट्रभाषा सभा की ओर से यह रकम अब तक जमा नहीं की गई है. एनआईटी भी यह रकम वसूल करने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है. जिस वजह से अब राष्ट्रभाषा सभा और नागपुर सुधार प्रन्यास के विरोध में अवमानना याचिका दायर करने की तैयारी सिटीजन फोरम फॉर इक्वलिटी की ओर से की जा रही है. संस्था के अध्यक्ष मधुकर कुकड़े कहते हैं कि हिंदी भाषा का प्रचार और प्रसार होना चाहिए इस उद्देश्य को ध्यान में रखकर राज्य सरकार ने दो एकड़ जमीन राष्ट्रभाषा सभा को दी थी. लेकिन अब इस जगह का व्यावसायिक उपयोग हो रहा है, ऐसी याचिका सिटीजन फोरम की ओर से मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में दायर की गई थी.
कुकड़े ने बताया कि राष्ट्रभाषा सभा भूभाटक व उस पर ब्याज सहित कुल 164 करोड़ रुपए नागपुर सुधार प्रन्यास में जमा करने के आदेश अदालत ने 7 सितम्बर को दिए थे. मुंबई हाईकोर्ट के नागपुर खंडपीठ के इस आदेश को राष्ट्रभाषा सभा ने सर्वाच्च न्यायलय में चुनौती देते हुए जानकारी दी कि वे इतनी बड़ी रकम जमा नहीं कर सकते, लिहाजा कुछ रिरायत का आवेदन किया गया था. जिसके बाद सर्वाच्च न्यायलय ने 24 मार्च 2017 को हालही के शुरू भूभाटक व उस पर ब्याज सहित 43 करोड़ रुपए एक महीने के भीतर नागपुर सुधार प्रन्यास के पास जमा करने के आदेश दिए. लेकिन एक महीने के बाद भी यह रकम राष्ट्रभाषा की ओर से जमा नहीं की गई है. 27 अप्रैल को एनआईटी ने राष्ट्रभाषा को नोटिस दिया था. लेकिन फिर भी राष्ट्रभाषा सभा ने यह रकम नहीं भरी.
मधुकर कुकड़े ने बताया कि वे एनआईटी के संपर्क में लगातार हैं. लेकिन एनआईटी किसी भी तरह से यह रकम वसूल नहीं कर पा रही है. उन्होंने यह भी कहा कि एनआईटी किसी राजनैतिक पार्टी के दबाव में कार्य कर रही है. साथ ही 16 जून को कोर्ट शुरू होने पर राष्ट्रभाषा सभा और एनआईटी दोनों के विरोध में वे केस दायर करेंगे.