– त्रिपक्षीय सरकार कुछ विभागों की आपसी अदला-बदली भी कर सकती हैं
नागपुर : महाराष्ट्र में सिर्फ भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए शेष तीनों पक्ष एकमंच पर आए और त्रिपक्षीय सरकार का गठन किए.लेकिन तीनों पक्षों में आपसी समन्वय का आभाव देखा जा रहा ,इस रस्साकशी में कांग्रेस पिछड़ती जा रही.तो दूसरी ओर महाराष्ट्र कांग्रेस में भी फेरबदल की सुगबुगाहट सुनी जा रही.बताया जा रहा कि अगला प्रदेश अध्यक्ष वर्त्तमान ऊर्जा मंत्री नितिन राऊत को बनाया जा सकता हैं ?
त्रिपक्षीय सरकार में सबसे कमजोर स्थिति में कांग्रेस हैं.पीडब्लूडी मंत्री अशोक चौहाण को विश्वास में लिए बगैर उनके अधीनस्त विभागों का दो फाड़ कर दिए.तो दूसरी ओर ऊर्जा मंत्री नितिन राऊत द्वारा अपने अधीनस्त बोर्ड के संचालकों की नियुक्ति पर अन्य दोनों पक्ष सुप्रीमो झल्ला गए और उक्त नियुक्तियां तत्काल स्थगित करने का आदेश देकर स्थगित करवा दिया गया.
इसी दरम्यान खबर आई कि एनसीपी मंत्री छगन भुजबल के विभाग कांग्रेस को देकर कांग्रेस के मंत्री नितिन राऊत का विभाग एनसीपी ले लेंगी,ऐसी चर्चा नागपुर से लेकर मुंबई तक हिचकोले खा रही.तब कांग्रेस के मंत्री नितिन राऊत को नई और प्रमुख जिम्मेदारी के रूप में प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता हैं,वे राष्ट्रीय कांग्रेस के एक सेल के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और राज्य का अगला अन्न व नागरी आपूर्ति मंत्री सतेज पाटिल को बनाया जा सकता हैं,पाटिल फ़िलहाल राज्य मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री हैं.
यह भी खबर आ रही कि कांग्रेस में ऊपर से लेकर नीचे तक बड़ा बदलाव होने के संकेत हैं.राहुल गाँधी को पक्ष नेतृत्व सौंपा जा सकता है.इस क्रम में उनके मनपसंदीदा ऊर्जावान को अगला प्रदेशाध्यक्ष भी बनाया जा सकता हैं.ऐसे में सांसद राजीव सातव की दावेदारी को नाकारा नहीं जा सकता।
उल्लेखनीय यह भी हैं कि वर्त्तमान विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले की आक्रामक कार्यशैली से सत्ताधारी तीनों पक्ष सकते में हैं,इसलिए तीनों पक्ष के नेतृत्व कर्ता उन्हें हटाने की योजना बना रहे,इन्हें विधानसभा अध्यक्ष पद से मुक्त करने के पूर्व उन्हें प्रदेश अध्यक्ष जैसा बड़ा पद देने की तैयारी करनी होंगी,तभी उन्हें हटाया जाने का निर्णय लिया जा सकता हैं.इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहाण को भी राज्य में मुख्यधारा में लेन के लिए उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाने पर एक गुट लामबंद हैं,क्योंकि चौहाण आसानी के सत्तापक्ष के अन्य दोनों दलों के नेतृत्वकर्ताओं के गिरफ्त में नहीं आने वाले,जिसका उदहारण उन्होंने अपने मुख्यमंत्री काल में दे चुके हैं.इस तरह प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए चार प्रमुख दावेदार हैं,जिनके नामों पर चर्चा शुरू हैं.