नागपुर: नागपुर मनपा में वर्षों समय व्यतीत करने वाला चाहे कर्मी हो या फिर अधिकारी सेवानिवृत्ति बाद भी किसी न किसी रूप में मनपा से जुड़े रहना चाहता हैं. फिर कार्यकाल विस्तार करवाकर या फिर अन्य चुनाव लड़ कर. इन दिनों मनपा के अतिरिक्त आयुक्त जो इसी माह सेवानिवृत्त हो रहे हैं वे सत्तापक्ष से और 2 वर्ष कार्यकाल बढ़ाने की सिफारिश करने में लीन है. लेकिन आज तक आश्वासन ही दिया जाता रहा है.
ज्ञात हो कि मनपा में बतौर कर्मी या फिर अधिकारी रहकर यहां के वातावरण में घुल मिल गए. भले ही उनके कार्यकाल में दी गई जिम्मेदारी पूरी करने में असफल रहे हो, इसके बावजूद सेवानिवृत्ति के बाद भी बना रहने के लिए जीतोड़ कोशिशें करते हैं. कोई पुनः कॉन्ट्रैक्ट पर सेवारत हो जाता है तो कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी या फिर कोई कन्सल्टन्ट बन जाता या फिर कोई चुनाव लड़ जनप्रतिनिधि बन जाता हैं.
मनपा में कॉन्ट्रैक्ट पर कार्यरत कुछ कर्मचारी व अधिकारी मनपा से ही सेवानिवृत्त हुए हैं. स्मार्ट सिटी प्रकल्प के सीईओ भी मनपा के कभी अतिरिक्त आयुक्त थे. हाल ही में सेवानिवृत्त कार्यकारी अभियंता सोनकुसारे भी सेवा विस्तार चाह रहे लेकिन मनपा के अतिरिक्त आयुक्त उनके निवेदन पर सकारात्मक रुख अख्तियार नहीं कर रहे.उल्ट अतिरिक्त आयुक्त का फरवरी 2018 याने कुछ दिनों में सेवानिवृत्ति होने वाली हैं. वे अपने सेवा विस्तार या अन्य किसी विभाग/प्रकल्प की जिम्मेदारी मांग रहे हैं.इसके लिए वे सत्तापक्ष की हां में हां मिला रहे हैं. सत्तापक्ष उन्हें यह आश्वासन दे रहा है कि सेवानिवृत्ति की उम्र ६० वर्ष होने का अध्यादेश जारी होने वाला हैं. इसी अध्यादेश के आधार पर वैसे ही २ साल बढ़ जाएगा. सत्तापक्ष के अनुसार उक्त अध्यादेश जारी नहीं हुआ तो शीघ्र ही सत्तापक्ष उक्त अतिरिक्त आयुक्त के लिए ठोस सकारात्मक पहल कर सकती हैं,ऐसी संभावना मनपा में जताई जा रही है.
सवाल यह उठता है कि सेवारत रहते हुए कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं करने वालों को सेवानिवृत्ति बाद पुनः मौका दिया जाना निंदनीय है. इसकी बजाय सत्तापक्ष के दिग्गज नेताओं के सपने को पूरा करते हुए शहर के शिक्षित युवा व बेरोजगारों को मौका दिया जाए तो ऊर्जा के साथ सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे.
मनपा प्रशासन ने सेवानिवृत्त कर्मी जो मनपा में तैनात हैं,नउनके कार्यों की समीक्षा करवानी चाहिए कि उन पर किअ गए खर्च के अनुपात में उन्हें क्या लाभ मिला.