नागपुर: नागपुर मनपा की तंग-हाल से खुद को ठगा महसूस करने वाले नगरसेवकों को लुभाने में मनपा कोई कसर नहीं छोड़ रही है. कभी मानधन में बढ़ोतरी तो कभी मनपा के खजाने में इजाफा करने हेतु मनोरंजन कर से प्राप्त सम्पूर्ण आय पर मनपा के अधिकार की घोषणा इस तरह के विविध प्रयासों द्वारा नगरसेवकों को रिझाया जा रहा है. अब इसी कड़ी में नयी पहल करते हुए नगरसेवकों के लिए ख़ास वर्कशॉप के नाम पर तीन दिवसीय मुंबई दर्शन कल २8 जुलाई से 30 जुलाई तक आयोजन मनपा द्वारा किया गया है.
केंद्र सरकार की पहल पर नागपुर मनपा को भी जीएसटी के दायरे में लाया गया है. १ जुलाई से जीएसटी लागु होने से मनपा की आर्थिक स्थिति बद से बत्तर हो गई है. विकासकार्य तो दूर मासिक प्रशासकीय खर्च व वेतन-पेंशन के लाले पड़ गए है. इतना ही नहीं विकासकार्य करने वाले ठेकेदारों के करोडो का भुगतान बकाया है.
वहीं दूसरी ओर मनपा चुनाव फरवरी में संपन्न हुआ. इस चुनाव में १५१ नगरसेवक चुन कर आये, जिसमें से आधे महिला और कुल ८० से ९० नगरसेवक पहली मर्तबा मनपा में चुन कर आये. चुन कर आने के बाद से आजतक ९०% नगरसेवक अपने-अपने इलाके में कोई भी विकास कार्य नहीं कर पाए हैं. चुनाव पूर्व से आजतक सिर्फ तामझाम और बड़े-बड़े आश्वासन भर दिए जा रहें है. लेकिन अंदर से सभी नए-नवेले सह विपक्षी नगरसेवक चुनकर आने पर पछतावा महसूस कर रहे है. इस आर्थिक वर्ष का आधा वर्ष बीत चूका है.
वैसे गत सप्ताह मनपा स्थाई समिति द्वारा वर्ष २०१७-१८ के लिए प्रस्तुत वार्षिक बजट को मंजूरी मिल गई है. सिमित ही नगरसेवकों को इसकी भनक है. यह भी कड़वा सत्य है कि, चुनिंदे नगरसेवकों को सम्पूर्ण ‘मद्द’ की जानकारी है. यह भी सत्य है कि, नए-नवेले नगरसेवकों को अपने प्रभाग अंतर्गत विभिन्न प्रकार के विकासकार्य के लिए कैसे पहल की जाती है, यह भी नहीं पता है. नए-नवेले मुँह उठाकर पदाधिकारी व अधिकारी के समक्ष पहुँच अपनी मांग मौखिक रखते है, पदाधिकारी- अधिकारी भी मौखिक जवाब देकर उन्हें संतुष्ट कर इसलिए भी भेज देता है, क्योंकि उन्हें पता है मनपा खजाने की हक़ीक़त सूक्ष्म जानकारी सह तौर- तरीका बतलाना भारी पड़ सकता है.
वहीं दूसरी ओर पुराने नगरसेवक अपने अनुभव का फायदा उठाते हुए अपने-अपने क्षेत्रों में हर प्रकार सक्रिय है. बिना प्रस्ताव हुए मनमाफिक विकासकार्य ठेकेदारों से करवा रहे है. उक्त जमीनी हक़ीक़त के मद्देनज़र मनपा प्रशासन व पदाधिकारी निरंतर राज्य सरकार से मनपा संचलन हेतु भरपूर सहायता निधि की मांग कर रहे है. प्राथमिकी तौर पर जीएसटी का मासिक शेयर ४२ करोड़ ही मिलने की जानकारी सरकारी वेबसाइट पर दर्शाई गई है, इसमें ३०% और राशि जुड़ने की जानकारी गई है. लेकिन इसके बावजूद भी मनपा की जरूरतें पूरी नहीं हो पाएंगी.
मनपा को प्रशासकीय खर्च सह सर्वांगीण विकास के लिए फ़िलहाल मासिक १००-१२५ करोड़ की आवश्यकता है. इसमें दिसंबर से जीएसटी का मासिक क़िस्त जुड़ने से मनपा के मौजूदा हालत सवर सकते है. इसके लिए आज मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुंबई में नागपुर महापौर, पूर्व महापौर, स्थाई समिति अध्यक्ष और सत्तापक्ष नेता मुलाकात कर अनुदान बढ़ोतरी की मांग की. यह भी जानकारी मिली है कि, इस मुलाकात में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी विशेष रूप से उपस्थित रहने वाले है.
वहीं दूसरी ओर कल से मुंबई में मनपा के नगरसेवकों का तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर लगाया गया है. इसके साथ ही मुंबई सहल का भी आयोजन अघोषित रूप से किया गया है. नगरसेवकों मुंबई सैर से नागपुर प्रभाग के टेंशन से ३ दिन की मुक्ति मिलेगी. मुंबई में वर्कशॉप आयोजन का यह तर्क दिया गया है कि, वहां राज्य का वर्षाकालीन अधिवेशन जारी है इस कारण वर्कशॉप के लिए विशेषज्ञ आसानी से उपलब्ध हो सकेंगे.
उल्लेखनीय यह है कि, उक्त वर्कशॉप से क्या सच में कुछ लाभ होगा, खासकर महिला नगरसेवक इतनी सक्षम हो पाएंगी कि वे खुदकी जिम्मेदारी स्वतंत्रता से वहन कर सके. यह भी सवाल उठा की, आखिर उक्त वर्कशॉप लिए सभी नगरसेवकों, महिला नगरसेविकाओं के ‘अटेंडेंट’ सह शहर भाजपा के प्रमुख पदाधिकारियों के आवागमन के लिए मनपा के पास पैसा कहाँ से आया, और अगर मनपा ने ये खर्चा नहीं उठाया तो आखिर किसने ?