Published On : Mon, Oct 3rd, 2016

साफ़-सफाई के नाम पर दिखावा कर रही मनपा प्रशासन

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swachta abhiyan

नागपुर: एक अभियान के तहत मनपा मुख्यालय के चुनिंदा कक्षो की साफ-सफाई कर खुद की पीठ थपथपाना हास्यास्पद है. जबकि साफ़-सफाई के नाम पर मनपा प्रशासन दर माह करोडों रूपए खर्च करती है. अब सवाल यह है कि क्या साफ़-सफाई के नाम पर वर्षों से व्यर्थ खर्च किये जा रहे थे. अगर हाँ में जवाब हुआ तो इसके दोषी कौन और उसकी सजा कौन और कितनी होंगी? वैसे यह सवाल आज के युग में पूछने वाले को कटघरे में खड़ा कर दिए जायेंगे.

ज्ञात हो कि मनपा मुख्यालय में चुनिंदा दिग्गज अधिकारियों के कक्ष रोजाना साफ-सुथरी और “फ्रेश” दिख सकती है तो मुख्यालय की ईमारत में अन्य विभाग व विभाग प्रमुख के कक्ष की दुर्दशा जानबूझ कर की गई लापरवाई की जीता-जगता उदहारण कहा जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होंगी.

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वर्षो से मनपा मुख्यालय की बरामदा (कॉरिडोर) में जरुरत-गैर जरुरत के सामान इतने पड़े है कि इन मंजिलों के कक्षो सह आवाजाही करने वालों को साँस लेने में दिक्कत महसूस होती है. कोई खाँसते,कोई छींकते, तो कोई थूकते हुए गुजरते अक्सर देखे जा सकते है. क्या मनपा दिग्गज अधिकारी के कक्ष परिसर की भाँति उक्त मंजिलों की साफ-सफाई करने की मनाई है. या फिर कागजों पर हो जाया करती है और भुगतान किसी और के जेब में पहुँच जाया करता है.

खर्रे ने ले ली जान
मनपा मुख्यालय में ६० से ७०% अधिकारी/कर्मी या तो घुस कहते है या फिर खर्रे।खर्रे खाने वालों को बोलना पसंद नहीं, इसलिए मनपा के रोजमर्रा के काम बाधित होना लाजमी है. खर्रे खाने वालो को दूर जाकर डस्टबीन या पीकदान के पास जाकर थूंकना पसंद नहीं, इसलिए खर्रे खाने वाले अक्सर कक्षो के कोने, आसपास के खुली जगह, खिड़की से बाहर, दो आलमारी के मध्य, कागजातों के फाइलों के मध्य और सीढ़ियों पर थुंकते भी दिख जायेंगे. इस खर्रो के शौकीनों की वजह से मनपा मुख्यालय में जगह-जगह थूकदान नज़र आएंगे.

मुख्यालय परिसर में सुनसान जगह, खुली जगह और शौचालयों में नियमित और उच्च स्तरीय साफ़-सफाई नहीं होने से उसके आसपास से गुजरने वालों को नाक पर कपडे या हाथ रखकर गुजरना अनिवार्य हो गया है.

उल्लेखनीय यह है कि मनपा प्रशासन अपने अधिकारी-कर्मी को गंदगी करने सहित दिग्गज अधिकारियों के कक्ष व उसके आसपास जिस तरह साफ़-सफाई करवाती है, वैसा जब तक नहीं करने की आदत डालेगी साथ ही खर्रे पर कार्यालयीन समय में सेवन पर पाबंधी नहीं लगाएंगी तब तक मनपा मुख्यालय और गंदगी एक-दूसरे से दूर नहीं होंगे, फिर सरकारी योजना के दिन साफ़-सफाई का ढोंग कर मनपा प्रशासन को पीठ थपथपाते देखा जायेगा.

मनपा प्रशासन स्वास्थ्य विभाग के मार्फ़त दर माह साफ़-सफाई पर करोडो खर्च करती है, फिर भी शहर में गंदगी और गंदगी से पनपते बीमारियों से नागपुर शहर को मुक्ति नहीं मिल पाई, शायद मनपा प्रशासन की कार्यप्रणाली में छेद है. नई प्रशासकीय इमारत भी गंदगी से अछूती नहीं है.

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