नागपुर: नागपुर रेलवे स्टेशन के पूर्वी द्वार के सामने मनपा की जगह पर संतरा मार्केट है. इन दुकानदारों से ३१ मार्च २०१८ तक मनपा बाजार विभाग २ रुपए प्रति वर्ग फुट के हिसाब से मासिक किराया वसूला करता था. १ अप्रैल से किराया लेना बंद किया और १३ जून को ३५ से ३८ रुपए वर्ग फुट किराया बढ़ाने व भरने का नोटिस थमाकर इनके बीच हड़कंप मचा दिया. अब ये सैकड़ों ओटे धारक मनपा में दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं. इस क्रम में आज इनका शिष्टमंडल महापौर से मुलाकात कर २ के बजाय ८ से १० रुपए वर्ग फुट तक किराया देने पर सहमति जताते हुए बढ़ाये गए किराये को कम करवाने का प्रयास कर रहे हैं. इसके बाद शिष्टमंडल जल्द ही मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन देकर हुए अन्याय पर न्याय करने की सिफारिश करेगा.
ओटे धारकों का नेतृत्व कर रहे रजनीश तांबे व जावेद खान के अनुसार उक्त संतरा मार्केट वर्ष १९९३ के पूर्व का है. तब प्रत्येक ओटे से १०-१० रुपए महीने किराया लिया जाता था. वर्ष १९९३ में इस बाजार में भीषण आग लगी. जिससे सम्पूर्ण बाजार जल कर खाक हो गया था. इसके बाद तत्कालीन मनपायुक्त ने सम्पूर्ण परिसर में लेआउट बनाकर लगभग १५० छोटे संतरा व्यापारियों को १० बाय १२,१२ बाय २० आदि जगह गणना कर उन्हें आवंटित किया था.किराये के रूप में सभी ओटे धारकों से १ रूपए प्रति वर्ग फुट तय कर वसूला जाने लगा.मनपा प्रशासन ने उक्त सभी ओटे धारकों को सिर्फ खाली जमीन दिया था. ओटे धारकों ने अपनी आर्थिक परिस्थिति और जरूरतों के हिसाब से ओटे ,सामान सुरक्षा के लिए टट्टे,बांस,बल्ली,टीन के शेड का निर्माण किया. तब ११ ११ माह का अग्रीमेंट भी किया गया था,लेकिन उसके बाद कभी ‘रिनिवल’ नहीं किया गया.कुछ वर्षों के बाद मासिक किराया २ रूपए वर्ग फुट कर दिया गया,जो मार्च ३१,२०१८ तक लागू रहा.
जब अप्रैल २०१८ का किराया भरने मनपा पहुंचे तो किराया लेना बंद कर बाद में देखेंगे कहकर लौटा दिया. अचानक १३ जून २०१८ को मनपा बाजार विभाग ने बढे किराये का डिमांड थमाया तो सभी भौचक्के रह गए. किराया २ रूपए से बढाकर ३५ से ३८ रूपए वर्ग फुट कर दिया गया.
सकपकाए ओटे धारक तब से मनपा में न्यायकारक किराया तय करवाने के लिए चक्कर काट रहे हैं. इनका मानना है कि किराया जरूर बढ़ना चाहिए २ से १० रुपए कर दिया गया तो कोई अड़चन नहीं लेकिन २ का ३५ से ३८ रूपए वर्ग फुट अन्याय कारक है.
इस सन्दर्भ में इनके शिष्टमंडल ने आज महापौर से मुलाकात किया. जानकारी दी गई है कि इस संबंध में इसके बाद वे मुख्यमंत्री से भी न्याय हेतु निवेदन करेंगे.
उल्लेखनीय यह है कि संतरा मार्केट के लेआउट से लगकर एक अन्य लेआउट भी मनपा का है. जिस पर पक्के निर्माण वाली ५-६ दर्जन दुकानें हैं. जिनसे मनपा ने पिछले १५ वर्षों से कर नहीं वसूला है, यह जाना समझ से परे है. माना मनपा की आर्थिक स्थिति दयनीय है, संपत्ति कर, जल कर, बाजार, नगर रचना, अग्निशमन विभाग द्वारा टारगेट के अनुरूप आय संकलन आधी है. साथ ही आय से तिगुणा का बजट पेश किए जाने से मनपा प्रशासन सकते में है. सवाल यह उठता है ऐसे तो क्या ओटा धारकों के साथ ज़बरदस्ती करने से मनपा की परिस्थिति में सुधार हो जाएगा!