– शिक्षण मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने दिया था आदेश
नागपुर -विगत मासांत में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने एमकेसीएल कंपनी को राष्ट्रसंत टुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय से निष्कासित करने का आदेश दिया लेकिन 2 सप्ताह बीत जाने के बाद भी विवि ने अभी तक ऐसा आदेश जारी नहीं किया है। उलट यह जानकारी मिली कि MKCL द्वारा अप्रैल माह में जमा कराए गए 50 लाख के बिल के लिए MKCL को अभी तक बेदखल नहीं किया गया है।
कुलपति डॉ. सुभाष चौधरी ने फिर MKCL को परीक्षा का ठेका देने का फैसला किया। हालांकि, कंपनी पांच महीने से प्रथम वर्ष के परिणाम जारी करने में विफल रही। इसी बीच 25 अगस्त को MLC अधि. अभिजीत वंजारी ने विधान परिषद में सवाल उठाया और जांच की मांग की। इसके अलावा प्रवीण दटके ने भी MKCL का भुगतान करने के लिए छात्रों की फीस बढ़ाने का मुद्दा भी उठाया। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने पूरे मामले की जांच का वादा किया।
इसके तुरंत बाद 28 अगस्त को विश्वविद्यालय में हुई बैठक में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुभाष चौधरी को कंपनी के साथ अनुबंध तत्काल रद्द करने का आदेश मंत्री ने दिया लेकिन दो सप्ताह बीत जाने के बाद भी विवि प्रशासन ने इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की है.
इस बीच, MKCL ने मार्च माह में तैयार किये गए ‘फैसिलिटी सेंटर’ के एवज में 50 लाख 21 हज़ार 800 रुपये के भुगतान की मांग की। इस बार विश्वविद्यालय के VC डॉ. प्रशांत माहेश्वरी ने स्वीकृति के लिए खरीदी समिति को भेजने के लिए पत्र दिया था। समिति के सदस्यों ने उसे खारिज कर दिया। इसलिए यह मांग अब तक स्वीकार नहीं की गई है।
हालाँकि,अब सभी प्राधिकरण 31 अगस्त से समाप्त हो गए हैं। इसलिए विवि इन भुगतानों को मंजूरी देने की प्रक्रिया में है। लेकिन अचानक मंत्री ने ठेका रद्द करने का आदेश दिया और इन भुगतानों को कैसे वसूला जाए ,इस पर विश्वविद्यालय मंडल में चर्चा शुरू हो गई।
अब सवाल यह उठा है कि मंत्री के आदेश के बाद भी निष्कासन न किया जाना गर्मागर्म चर्चा का विषय बना हुआ हैं. इस मामले में विवि के कुलपति डॉ. सुभाष चौधरी, कुलसचिव डॉ. डॉ. राजू हिवसे, वित्त अधिकारी डॉ. कविस्वर,परीक्षा व मूल्यमापन मंडल संचालक प्रफुल्ल साबले,डीन प्रशांत माहेश्वरी ने चुप्पी साध रखी हैं.