Published On : Fri, May 27th, 2022
By Nagpur Today Nagpur News

15 करोड़ रुपये खर्च कर निर्मित बांध में पानी नहीं

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-विभाग के ठेकेदारों, अभियंताओं ने रोटी सेक ली

नागपुर -नरखेड़ तहसील से बहने वाली मादड नदी के तट पर गांव में जल स्तर बढ़ाने के लिए मादड नदी पर 15 बांधों का निर्माण किया गया। इस पर 15 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी सभी बांध खाली हैं। आरोप है कि जल संरक्षण विभाग के अभियंता और ठेकेदार ने अपनी अपनी रोटी सेक विभाग को चुना लगाने का काम किया ?

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कुछ साल पहले नरखेड़ तहसील ‘डार्क जोन’ में था। इसमें ज्यादातर मादड नदी के किनारे के गाँव शामिल थे। नतीजतन, कुछ साल पहले तत्कालीन विधायक अनिल देशमुख ने लगातार प्रयासों से मादड नदी को पुनर्जीवित करने के लिए एक दूसरे से जोड़ने या एक के बाद एक बांधों के निर्माण को मंजूरी दी थी। इसके तहत नदी में 15 बांध बनाए गए।

बांधों की इस श्रृंखला का निर्माण मोहदी दलवी से नरसिंगी तक किया गया था। लेकिन इस नदी के किनारे बसे मोहड़ी दलवी, नरखेड़, खरसोली, तिनखेड़ा, थुगांव निपानी, बोपापुर, परसोदी दीक्षित, नरसिंगी गांवों के किसानों को इस बांध का लाभ नहीं मिला.

मादड नदी मध्य प्रदेश में निकलती है और नरखेड़ तहसील से होकर बहती है। जाम नदी नरखेड़ तहसील में नरसिंगी गांव के पास पाई जाती है। चूंकि मध्य प्रदेश सरकार ने अपनी सीमाओं के भीतर झीलों का निर्माण किया है, इस नदी के माध्यम से केवल मानसून बाढ़ का पानी बहता है।नदी में रेत का स्तर अधिक होने के कारण और निचे उतर कर खोदने की उम्मीद थी। हालांकि,संधारण विभाग में एक ही ठेकेदार के एकाधिकार के कारण उसके अनुरूप अनुमान तैयार किए गए।

जल संधारण विभाग ने नरखेड़ तहसील में वर्धा, जाम और मादड नदियों पर बांधों का निर्माण किया। लेकिन हकीकत यह है कि बांध में पानी ही नहीं है। तकनीकी व्यवस्था और ठेकेदार की मिलीभगत से किसानों के खेतों में लगे इन कुओं का जलस्तर करोड़ों रुपये खर्च कर नहीं बढ़ाया जा सका है. भूजल सर्वेक्षण विभाग ने क्षेत्र को ‘डार्क जोन’ घोषित कर दिया है।

संतरा और खट्टे उत्पादक 1000 से 1400 फीट बोर की सिंचाई कर रहे हैं। वर्धा नदी पर मोवाड़ के पास 50 लाख रुपये की लागत से बांध बनाया गया है। हकीकत यह है कि इस बांध में पानी ही नहीं है। पूरे निर्माण का निरीक्षण करने पर संबंधित अधिकारी और ठेकेदार की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाएगा।

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