नागपुर – महाविकास आघाड़ी की धीमी गति से ओबीसी का आरक्षण खत्म होने का आरोप लगाने वाली भाजपा को अब आरक्षण दिलवाने के लिए कड़ी परीक्षा का सामना करना पड़ेगा. देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया था, “भाजपा को सत्ता दो, एक महीने के भीतर आरक्षण पाओ” उनके भी पुनः ओबीसी के साथ न्याय करने का अवसर मिला है।
ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण की मंजूर न होने के बाद, महाराष्ट्र में भारी असंतोष था। तब भाजपा और महाविकास आघाड़ी ने घोषणा की थी कि वे ओबीसी आरक्षण के बिना कोई स्थानीय निकाय चुनाव नहीं कराना चाहते हैं। ठीक इसके बाद नागपुर जिला परिषद उपचुनाव में दोनों दल इस बात को भूल गए। महाविकास आघाड़ी और भाजपा ने सभी उम्मीदवारों को ओबीसी को सहानुभूति दिलाने के नाम पर ओबीसी समुदाय के साथ खिलवाड़ किया।
यह फडणवीस ही थे जिन्होंने ‘बाठिया आयोग’ के उपनाम से जाति निर्धारण की गलत पद्धति की ओर इशारा किया था बाद में ओबीसी के नेता द्वय छगन भुजबल और विजय वडेट्टीवार ने भी गलती स्वीकार की।
मसला हल करने का अवसर
भाजपा ने यह भी आरोप लगाया था कि इम्पेरिकल डाटा एकत्र करने में देर हो गई, समर्पित आयोग को निधि और मनुष्यबल प्रदान नहीं की और महाविकास आघाड़ी ही ओबीसी को आरक्षण नहीं देना चाहते,यह आरोप भाजपा ने लगाया था। पूर्व ऊर्जा मंत्री के साथ-साथ भाजपा के राज्य महासचिव भी तत्कालीन सरकार के प्रत्येक स्तर से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। अब प्रदेश की सत्ता भाजपा के हाथ में है। देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बन गए हैं। इसलिए, ओबीसी आरक्षण के मुद्दे को हल करने का अवसर है।अब देखना यह है कि ओबीसी समुदाय के प्रति भाजपा -शिंदे सरकार क्या गुल खिलाती हैं.