नागपुर: सरकार आयुष (आयुष मंत्रालय) आयुर्वेदिक चिकित्सा, यूनानी, होमियोपैथी के पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए एमबीबीएस की तर्ज पर ही नीट ( नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) को अनिवार्य करने जा रही है. इसके साथ ही आयुष के विद्यार्थी को जल्द ही प्रैक्टिस लाइसेंस हासिल करने के लिए एग्जिट परीक्षा भी देनी पड़ सकती है. सरकार की इस पूरी कवायद का मकसद आयुष के क्षेत्र में काबिल डॉक्टर पैदा करना है.
आयुष सिस्टम के देश में करीब 750 कॉलेज हैं और इनके लिए नीट जैसी सिंगल परीक्षा का इंतजाम नहीं है. सरकार आयुष के नीट के लिए जरूरी इंतजाम कर रही है. आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपथिक चिकित्सा के ग्रैजुएट कोर्सेज में दाखिला पाने के लिए छात्रों को अगले सत्र से नीट में हिस्सा लेना होगा. किसी भी कोर्स में एडमिशन पाने के लिए स्टूडेंट्स को कम से कम 50 प्रतिशत अंक हासिल करने होंगे. आयुष मंत्रालय अभी इस बात पर विचार कर रहा है कि आयुष के छात्रों की परीक्षा एमबीबीएस के नीट के साथ ही हो या इसके लिए अलग से इंतजाम किया जाए.
सरकार साथ ही, आयुष के छात्रों के लिए भी एग्जिट परीक्षा का इंतजाम करने जा रही है. सरकार नीति आयोग की सलाह पर ऐलोपैथिक एजुकेशन को रेग्युलेट करने के लिए नैशनल मेडिकल कमिशन बनाने जा रही है. आयोग ने आयुष सिस्टम को रेग्युलेट करने के लिए भी सरकार को सुझाव दिया है. इसी के आधार पर केंद्र ने एक बिल का मसौदा तैयार किया है. इसमें प्रावधान किया गया है कि आयुष स्टूडेंट्स को प्रैक्टिस लाइसेंस हासिल करने के लिए एग्जिट एग्जाम देनी होगी.
मसौदे में कहा गया है कि आयुष सिस्टम को रेग्युलेट करने के लिए आयोग बनाया जाएगा, ठीक वैसे ही जैसे कि एलोपैथी के लिए बनाया जा रहा है. मसौदे के मुताबिक, सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन और सेंट्रल काउंसिल फॉर होम्योपथी की जगह नैशनल कमिशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन ऐंड होम्योपथी का गठन किया जाएगा.