विदर्भ के 13 लाख व्यापारियों की अग्रणी व शीर्ष संस्था नाग विदर्भ चेंबर द्वारा हमेशा ही व्यापारियों के हितार्थ कार्य करती आ रही है। हाल में MSEDCL द्वारा वर्ष 2025 से 2023 के लिए multi-year tariff petition का MERC के समक्ष प्रस्तावित किया। जिसका चेंबर पुरजोर विरोध करता है।
चेंबर के अध्यक्ष श्री अर्जुनदास आहुजा ने कहा कि यदि MERC इस पिटीशन को मंजूर कर लेती है तो इसके सभी श्रेणी के उपभोक्ता बुरी तरह प्रभावित होंगे। ToD के तहत किए जाने बदलाव के सभी श्रेणी के बिजली उपभोक्ता को और अधिक महंगी से बिजली के बिलो को भुगतान करना होगा। अतः चेंबर इसका विरोध करते हुये मांग करता है कि ToD बदलाव न करते हुये MSDCEL द्वारा औद्योगिक वाणिज्यिक व अन्य तीनों श्रेणी के देय राशी में कोई वृद्धि न की जाए।
चेंबर के उपाध्यक्ष व ऊर्जा समिती के संयोजक श्री फारूक अकबानी ने कहा कि इस पिटीशन के अनुसार Export Power का समय 20 घंटे से घटाकर 8 किया जा रहा है। पहले सोलर द्वारा बनी हुई अपनी बिजली को उपभोक्ता कभी उपयोग कर सकता था किंतु अब केवल 8 घंटे में इसका उपयोग करना पड़ेगा और उपभोक्ता अतिरिक्त सोलर बिजली का उपयोग भी नहीं कर सकेंगे तथा अतिरिक्त बिजली को MSDCEL को कम दाम में बेचकर वापस अधिक भुगतान देकर वापस खरीदना होगा। जिससे एक ओर तो यह “Banking” व “Net metering” की अवधारणा खत्म करेगा साथ ही जहां सरकार का लक्ष्य 2070 तक नेट शून्य तथ वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट रखा गया है। ऐसे में यह प्रस्ताव सरकार की नीति के खिलाफ है। यह सभी बदलाव महराष्ट्र में 1 अप्रैल 2025 से लागू होगे जिससे 2.5 लाख से ज्यादा परिवारों के रोजगार पर खतरा निर्माण हो जायेगा।
इस पिटीशन में में Telescopic Billing बदलाव करते हुये Grid Support Charges की मांग कर रहा है तथा KVH बिंलिग HT के साथ LT ग्राहको पर लागू होगी, चेंबर जिसका विरोध करता है तथा निवेदन करता है कि Telescopic Billing में बदलाव न करते हुये Grid Support Charges नहीं लगाना चाहिए।
चेंबर के सचिव श्री सचिन पुनियानी ने कहा कि पहले कोई उपभौक्ता घर के एक हिस्से या कमरे को अपने छोटा व्यवसाय के लिए उपयोग करता था वह घरेलु उपभोक्ता की श्रेणी में ही आता था। किंतु अब यदि कोई घर के किसी हिस्से या कमरे का व्यवसायिक करने पर उपभोक्ता पर व्यवसायिक श्रेणी की बिजली दर लागू होगी। जिससे घर से रोजगार करने वाले लाखो महिलाओं एवं अन्य लोगों को रोजगार को नुकसान होगा। चेंबर इसका विरोध करता है एवं निवेदन करता है ऐसे उपभोक्ताओं को घरेलु उपभोक्ता की ही श्रेणी में रखा जाना चाहिए। ताकि लघु व मध्यम वर्गीय लाखों लोगों का रोजगार समाप्त न हो।
पहले ही महाराष्ट्र में पड़ोसी राज्यों की तुलना में बिजली की दर अधिक महंगी है जिसके कारण कइऱ् बड़े उद्योग मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व गुजरात में हस्तांतरित हो चुके है। यदि नई पिटीशन लागू हो जाती है तो महाराष्ट्र से बड़े उद्योगों के साथ छोटे व मध्यम रोजगार भी अन्य राज्य में हस्तारिंत हो जाऐंगे। जिसके महाराष्ट्र राज्य आर्थिक विकास और अधिक पिछड़ जायेगा महाराष्ट्र सरकार रेवन्यु का भी नुकसान होगा।
नाग विदर्भ चेंबर ऑफ कॉमर्स MERC से निवेदन करता है कि MSEDCLद्वारा वर्ष 2025 से 2023 के लिए प्रस्तावित multi-year tariff petition का लागू न करते हुये राज्य के सभी बिजली ग्राहकों को राहत देना चाहिए।
यह जानकारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से चेंबर के अध्यक्ष श्री अर्जुनदास आहुजा ने दी है।