अभियंता व शाखाधिकारी को निलंबित करने की मांग
सावली (चंद्रपुर)। धान की सिंचाई के लिए पानी की अत्यंत आवश्यकता होने के बावजूद सावली के सिंचाई उपविभाग के अधिकारी पानी की व्यवस्था न करते हुए कोताही बरत रहे हैं. वहीं किसान फसल को बचाने की जुगत भिड़ा रहे हैं. किन्तु वे आशंकित हैं कि पानी के अभाव में फसल बचेगी या नहीं? कई किसानों को नुक्सान भी हुआ.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, धान उत्पादन के लिए अग्रगण्य सावली तालुका में सिंचाई के लिए असोलामेंढा तालाब के अतिरिक्त कोई अन्य जरिया नहीं है. किसानों के लिए नवम्बर महीना अति महत्वपूर्ण होता है और पानी की सख्त जरूरत भी. तालाब से पानी लेने के लिए किसान कई जगहों पर बांध बना कर पानी खेतों तक पहुँचते हैं. रोवणी (बींधना) हुए तीन महीने बीत चुके है, बारिश नहीं हुई है. अधिकारियों की लापरवाही के कारण जलापूर्ति नहीं किये जाने से धान के छोटे पौधे सूख गए हैं. जिससे किसानों पर संकट के बादल छा गए हैं. उधर पूर्व विदर्भ के लिए वरदान समझे जाने वाले गोसीखुर्द प्रकल्प के शुरू होने की आस में ज़्यादातर किसान कृषि कार्य से जुड़ रहे हैं, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से धान की ज़्यादातर फसल नष्ट होने की कगार पर पहुँच चुकी है.
आसोलामेंढा तालाब से पानी के नियोजन नहीं करने वाले अधिकारियों अभियंता व शाखाधिकारी धात्रक को निलंबित करने व किसानों के नुक्सान भरपाई की मांग रिपाइं ने की है.