नागपुर– नागपुर में बिजली बिल को लेकर अफरातफरी मच गई है. शहर के नागरिकों को हजारों रुपए के बिजली के बिल भेजे जा रहे है. लेकिन हाल ही में एक मामला ऐसा सामने आया है, जिसमें एक रिटायर्ड कर्मी को 1( Unit) यूनिट बिजली का बिल जो 3.46 रुपए होता है, इन्हे सभी शुल्क मिलाकर 129.51 रुपए बिजली का बिल भेजा गया है. इसका अगर हिसाब लगाया जाए तो करीब -करीब 35 % बिजली बिल ज्यादा भेजा गया है. इसमें कई तरह के शुल्क लगाए गए है. अब गौर करनेवाली बात यह है की इस सीनियर सिटीजन को अगर 1 यूनिट का 129.51 रुपए ( Charge) चार्ज किया गया है तो शहर में अभी जो नागरिकों को हजारों रुपए के बिजली के बिल भेजे गए है, उसमें भी किसी भी शुल्क में राहत नहीं देते हुए सभी शुल्क लगाकर बिजली ( Electricity ) बिल भेजे गए है.
इस सीनियर सिटीजन का नाम किशोर रामभाऊ आगलावे है. कोणार्क बेसा में उनका फ्लैट है और वे रिटायर्ड कर्मी होने के बाद अभी वे किसानी करते है. उनका फ्लैट कई महीनों से खाली है, वे यवतमाल के जिले में रहते है, उन्हें पिछले महीने यानी जून महीने का 1 यूनिट के हिसाब से 129.51 रुपए बिजली का बिल भेजा गया. उनके बिजली बिल में उनका पिछला रीडिंग 92 बताया गया है, जबकि दूसरे में उनका 93 रीडिंग बताया गया है.
मतलब एक ( Unit ) यूनिट उन्होंने उपयोग किया है. इनका कहना है की इन्होने एसएमएस द्वारा मीटर रीडिंग एमएसईडीसीएल कंपनी को नहीं भेजी थी, उनके कर्मी खुद ही आकर फ्लैट के नीचे से मीटर रीडिंग लेकर गए थे. इसमें कई तरह के शुल्क भी लगाएं गए है. इस ग्राहक को जिस तरह से बिजली का बिल भेजा गया है, ये तो काफी कम है, लेकिन अगर यूनिट की बात करे तो देखेंगे की कही न कही ग्राहकों को लुटा ही जा रहा है. इसमें जिस ग्राहक का उपयोग कम है, और जिसका उपयोग थोड़ा ज्यादा है, सभी ग्राहकों की जेब ढीली सरकार की ओर से की जा रही है. यानी बिजली बिल से ज्यादा अन्य तरह के शुल्क ( Tax ) लेकर ग्राहकों की लूट जारी है.
कैसे बढ़ता है बिल ?
बिजली बिल में कई तरह के शुल्क लगाए जाते है. स्थिर आकार, बिजली आकार, वहन आकार @ 1.45 रुपए प्रति यूनिट, बिजली शुल्क 16 %, ब्याज, समायोजित रकम, पिछला ब्याज इस तरह से अलग अलग शुल्क लगाकर सरकार नागरिकों को बिजली बिल के नाम पर लुटती है. हालांकि एसएनडीएल के बाद से ही शहर के नागरिकों की लूट शुरू हो चुकी थी. लेकिन अब इस वर्ष नागरिकों को उम्मीद थी कि कोरोना संक्रमण में कम से कम 3 महीने का राज्य सरकार या तो बिजली बिल माफ़ी करेगी, या फिर बिजली बिलों में कुछ रियायत देगी, लेकिन राज्य सरकार ने किसी भी तरह से नागरिकों को रियायत नहीं दी है, केवल रियायत इतनी भर है की जितने लोगों को भी हजारों रुपए के बिजली के बिल आए है, उन्हें इंस्टॉलमेंट में पैसे देने होंगे. यानी बिजली बिल लोगों को भरना ही होगा. सरकार को इस कोरोना संक्रमण में यह करना चाहिए था की केवल बिजली का ही शुल्क लगाया जाना चाहिए थे, जिससे की ग्राहकों के बिल कम आते. लेकिन सरकार ने हमेशा की तरह सभी शुल्क लगाकर ग्राहकों को बिजली बिल का झटका दिया है.
इस मामले में प्रधान समन्वयक पुलिस नागरिक समन्वय समिति भारत तथा केंद्रीय अध्यक्ष केंद्रीय ग्रामसभा के प्रवीण राऊत ने बताया की एमएसईडीसीएल का कहना है की सॉफ्टवेयर के माध्यम से यह बिजली के बिल भेजे जाते है, जिसमें गलती की कोई भी गुंजाइश नहीं है. यह ग्राहक सीनियर सिटीजन है और वे इस फ्लैट में रहते ही नहीं है तो उन्हें एक यूनिट का बिजली का बिल सभी शुल्क मिलाकर 129.51 रुपए क्यों दिया गया है. कई तरह के शुल्क कंपनी की ओर से लगाये जाते है, जिसके कारण नागरिकों की लूट होती है. इस कोरोना काल में भी नागरिकों पर सभी शुल्क लगाए गए है. राऊत ने कहा की जिस तरह से यह सॉफ्टवेयर काम करता है, वैसा ही सॉफ्टवेयर अगर किसानों को दिया जाए, तो उनकी भी आमदनी बढ़ जाएगी. उन्होंने एसएनडीएल द्वारा लगाएं गए सभी बिजली ( Electricity ) मीटर की जांच करने की मांग की है.