नागपुर : वीवीआईपी दर्जे की सुरक्षा इंतेजामें के बीच नाबालिग से सामूहिक बलात्कार की घटना उजागर होने के बाद सिविल लाइन्स का विधायक निवास विवादों से घिर गया है। सवालों के बौछारों से बचने के लिए विधायक निवास प्रशासन ने विधायक निवास फ़्लैट बुकिंग के नियमों में सख़्ती लाई है। ना केवल सख़्ती बल्कि दो बार रखरखाव के निजी हाथों में ठेका देने की निविदा असफल होने के बाद तीसरी बार निविदा आमंत्रित करने की तैयारी की जा रही है।
विधायक निवास के शाखा अभियंता संजय इंदूरकर के हस्ताक्षर से घटना को लेकर सफ़ाई देने के तौर पर पत्र जारी किया गया है। इस पत्र में लिखा है कि अब बुकिंग के नए नियम जारी किए गए हैं। उन्होंने बिना बुकिंग के आवंटित किअ जाने की सामने आ रही बातों का भी खंडन किया है। विभाग के मुताबिक मामले से जुड़े जिन दो आरोपियों रजत उके और प्रेम शुक्ला को निजी व्यक्तियों को कमरा आवंटन के तहत कमरा उपलब्ध कराया गया उनके व्यक्तिगत पहचान पत्र उपलब्ध है। 14 अप्रैल 2017 को आमदार निवास के ही कर्मचारी योगेश भुसारी की सिफ़ारिश पर मनोज़ भगत और उसके दो साथियों रजत उके और प्रेम शुक्ला को कमरा वितरित किया गया था। विभाग ने स्पष्ट किया है कि निजी व्यक्तियों को भी कमरा उपलब्ध कराने का प्रावधान है इसी के तहत कमरा क्रमांक 320 उपलब्ध कराया गया था।
इस विवाद के बाद कक्ष सेवक रामकृष्ण लक्ष्मण का तबादला रवि भवन कर दिया गया है। आमदार निवास व्यवस्थापन के निजीकरण के लिए बीते दो वर्षों से प्रयास किया जा रहा है। ज़ाहिर है घटना ने प्रशासनिक सुधार और सुरक्षा रक्षा के प्रति इंतेजाम पुख्ता करने की ओर पीडब्ल्यूडी को कितना विवश इसका अनुमान भले ही ना मिले लेकिन इसके बहाने रखरखाव का आभाव बता कर प्रशासन नए सिरे से निजी करण का दांव खेलनी की तैयारी में ज़रूर जुट गया है। बक़ौल इंदुरकर दो से तीन दिन में ही निजी करण की निविदा जारी कर दी जाएगी।
साथ ही अब हर दिन आमदार निवास के रजिस्टर की जांच स्वयं शाखा अभियंता करेंगे और बिना पहचान पत्र किसी को भी कमरे का आवंटन नहीं किया जाएगा।