नागपुर: राज्य में लगभग सभी श्रेणी के अभ्यासक्रमों ( कला, वाणिज्य, विज्ञान, अभियांत्रिकी आदि) में अध्ययनरत विद्यार्थियों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए छात्रवृत्ति दी जाती है। इस छात्रवृत्ति से महाविद्यालय संचालकों को भी अप्रत्यक्ष रूप से लाभ होता रहा है। लेकिन पिछले २-३ सालों से राज्य सरकार छात्रवृत्ति देने में काफी आनाकानी कर रही है. आलम तो यह है कि पिछले ६ माह से ऑनलाइन छात्रवृत्ति प्रक्रिया ही “सिस्टम अपग्रेडेशन ” के नाम पर बंद कर रखी गई है.
पिछले २-३ वर्षो तक शिक्षण संस्थाओं को राज्य के सामाजिक न्याय विभाग के माध्यम से छात्रवृत्ति की राशि सतत हर वर्ष मिला करती थी। ईबीसी अंतर्गत ५०% एवं एससी,एसटी,डिटी,वीजेएनटी आदि अंतर्गत आने वाले विद्यार्थियों को १००% छात्रवृत्ति मिलती थी.
सकते में हैं शिक्षण संस्थाएं
केंद्र और राज्य सरकार एक तरफ छात्रवृत्ति बंद करने पर तुली है। दूसरी तरफ शैक्षणिक संस्थाओं में कार्यरत शिक्षकों के साथ कर्मियों को छठवें/सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार वेतन के साथ सुविधा एवं महाविद्यालय में संकाय के अनुरूप तय सर्व सुविधा देने का लगातार दबाव बनाए हुए है ।
दिक्कतें – शैक्षणिक संस्थाओं को सरकारी मदद एवं सरकारी नीति के तहत विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने की परंपरा शुरू की थी, इससे विद्यार्थियों को उच्च व तकनीक शिक्षण मिली. साथ ही शैक्षणिक संस्थानों को भी लाभ हो जाया करता हैं। महंगाई के दौर में शिक्षण संस्थाएं पहले व अब विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए लंबी-चौड़ी वेतन वाले अनुभवी प्राध्यापकों को रखने के बजाय मामूली वेतन वाले अल्प अनुभव या अनुभवहीन शिक्षकों से महाविद्यालय संचालक काम चला रहे है। इस वजह से विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षण नहीं मिल रहा,इसलिए अध्ययनपूर्ण होने के बाद ढंग की नौकरियां नहीं मिलती हैं। संस्थानों में बड़ी बड़ी नामचीन कंपनियों का कैंपस नहीं होने से अध्ययनपूर्ण करनेवाले विद्यार्थियों को जो भी जॉब मिलता है,उसी में उन्हें संतुष्टि करनी पड़ती है। अब सरकारी कड़क रवैय्ये के कारण शैक्षणिक संस्थानों के संचालक सकते में हैं।
धीरे-धीरे बंद हो रहे महाविद्यालय
वर्ग में कम विद्यार्थी व सरकारी मदद व छात्रवृत्ति बंद के संभावनाओं के मद्देनज़र कई शिक्षण संस्थाएं अपने महाविद्यालय बंद करते जा रहे हैं। अगले शैक्षणिक सत्र से बंद करने के इच्छुक महाविद्यालय संचालकों को सितंबर 2017 अंतिम मियाद दिया गया है. उन्हें आवेदन कर जानकारी देनी होगी कि ‘फर्स्ट ईयर’ बंद करनी है या सभी……। सभी बंद करना है तो ‘सेकंड से फोर्थ ईयर’ के विद्यार्थियों को किन कॉलेज में शिफ्ट करेंगे या राज्य के शिक्षण विभाग ‘डायरेक्टर टेक्निकल’ के निर्देशानुसार शिफ्ट करेंगे। साथ ही महाविद्यालय बंद करने के लिए राज्य समाज कल्याण विभाग व बैंकों की एनओसी लेनी अनिवार्य है. इसलिए कि अधिकांश महाविद्यालयों के ऊपर लोन है। बिना लोन चुकए महाविद्यालय बंद करने की अनुमति नहीं मिलती है। अब तक नागपुर विश्वविद्यालय के अधिनस्त सैकडों महाविद्यालय बंद हो चुके हैं और होते जा रहे हैं।