नागपुर: देश के विभिन्न कॉलेजों में मोटी फीस लेकर विद्यार्थियों को एडमिशन तो दिए जाते हैं. लेकिन कोर्स पूरा होने के बाद इन विद्यार्थियों को नौकरी मिलेगी ही इसकी कोई गारंटी नहीं होती. ना ही मोटी फीस लेनेवाले कॉलेज भी इस ओर ध्यान दे रहे हैं. राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ़ बिज़नेस मैनेजमेंट में दो साल का एमबीए और डीबीएम कोर्स उपलब्ध है. वर्ष 2016-17 के शैक्षणिक सत्र में एमबीए के 45 विद्यार्थी थे. पढ़ाई पूरी होने के बाद करीब 22 विद्यार्थियों को डिपार्टमेंट ने कैंपस इंटरव्यूम के माध्यम से जॉब का अवसर उपलब्ध कराया. हालांकि यह आंकड़ा काफी कम है.
दरअसल माना यह जा रहा है कि मिहान जैसी औद्योगिक परियोजनाओं को देखते हुए बड़े पैमाने पर विद्यार्थी ऐसे कोर्स करने को प्रार्थमिकता देते हैं। लेकिन मिहान की खस्ता हालत के कारण रोजगार के अवसर अपेक्षा के अनुरूप नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में देखने में आ रहा है कि यहां के बड़े बड़े कॉलेज भी स्टुडेंट को अवसर उपलब्ध कराने में असफल होता जा रहा है। यही वजह है कि नागपुर विश्वविद्यालय का एमबीए विभाग भी विद्यार्थियों को प्लेसमेंट दिलाने में पिछड़ता दिखाई दे रहा है.
इस बारे में राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ़ बिज़नेस मैनेजमेंट के प्लेसमेंट प्रमुख राहुल खरबे ने बताया कि 2016-17 में 45 विद्यार्थियों में से 22 एमबीए के विद्यार्थियों को आईटीसी, टीसीआई और अन्य कंपनियों में जॉब मिला है. 22 विद्यार्थियों ने जॉब के लिए एनरोल किया था. कई कंपनियो का विभाग के साथ संबंध है जिससे कैंपस इंटरव्यू भी होता है. दूसरे एमबीए कॉलेज के विद्यार्थी भी इस दौरान आते हैं. खरबे ने बताया कि एमबीए करने के बाद प्लेसमेंट देने की जिम्मेदारी विभाग की नहीं होती है, फिर भी विद्यार्थियों के लिए हम प्लेसमेंट की व्यवस्था करते हैं.
विभाग द्वारा विद्यार्थियों को प्लेसमेंट देने के बारे में सेंट्रल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन के संचालक सुनील मिश्रा ने बताया कि विश्वविद्यालय के नियम में उपेक्षा का यह कोई नया मामला नहीं है. उन्होंने बताया कि जिस दिन विभाग या संस्थान जॉब की गारंटी विद्यार्थियों को देंगे, उस दिन कॉलेज में काफी भीड़ लग जाएगी. यह संभव नहीं है. विभाग द्वारा कैंपस इंटरव्यू होते हैं. जिसमें जो विद्यार्थी अच्छा परफॉरमेंस करेगा, उसे निश्चित जॉब मिलेगा. मिश्रा का कहना है कि अब नागपुर विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को सीधे प्रवेश नहीं देता है. कैप द्वारा एआईसीटीआई,एमएसबीटीई द्वारा प्रवेश निश्चित किया जाता है.