Published On : Thu, Sep 15th, 2022
By Nagpur Today Nagpur News

काली मक्खी के साए में संतरे के बगीचे

नागपुर – सावनेर तहसील के काटोल, नरखेड़, कलमेश्वर, संतरा और मोसंमी के बगीचों में काली मक्खी का प्रकोप बढ़ गया है। विदर्भ की जलवायु इस काली मक्खी के विकास के लिए अनुकूल है.क्षेत्रीय फल अनुसंधान केंद्र वंडली के कीटनाशक विशेषज्ञ प्रो. प्रवीण दरणे ने बताया कि इससे बागों की हालत खराब हो रही है. मक्खियाँ फलों की गुणवत्ता और उपज पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।

पिछले सप्ताह काटोल और नरखेड़ तहसील के सोनोली, मेंडकी, खुटम्बा, गोंडीग्रस, भरतवाड़ा, ज़िल्पा, कोलुभोरगढ़, मसोद, धुरखेड़ा, खैरी, शिरमी, सावरगाँव, नरखेड़, जललखेड़ा, बिशनूर, मोवाड़, कल्मेश्वर तहसील के मोहागाँव,सुंदरी, मांडवी,खुमारी,पारडी,कलमेश्वर, पिलकापार,सावली बुद्रुक,गुमथला,सावनेर तहसील, करंजा (वर्धा) वरुड़,मोर्शी (अमरावती) क्षेत्रों में, विशेषज्ञों ने पाया कि मौसंमी और नारंगी पर काली मक्खी की घटना बड़े पैमाने में बढ़ गई है।काली मक्खी के जैसे ही चूजे अंडे से निकलते हैं और पत्तियों और फलों पर तरल छोड़ते हैं,जिससे फंगस तैयार होता है,नमी के कारण बढ़ता है और पत्तियों और फलों में पोषक तत्वों के उत्पादन की प्रक्रिया को बाधित करता है।इसका असर फलों का रस बिक रहा है लेकिन फल का सही दाम नहीं मिल रहा है, इससे किसान परेशान हैं.

Gold Rate
Monday 10 Feb. 2025
Gold 24 KT 85,600 /-
Gold 22 KT 79,600 /-
Silver / Kg 96,000 /-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

उपाययोजना
– वसंत ऋतु में परभक्षी अनुकूल कीट के 4-6 अंडे/शाखा को दो बार छोड़ देना चाहिए।

– मृग बहारा के लिए, जुलाई के अंतिम सप्ताह में और अगस्त के दूसरे सप्ताह में, हस्त बहारा के लिए दिसंबर के दूसरे सप्ताह में और फिर पंद्रह दिनों के बाद और अंबिया बहारा के लिए मार्च के अंतिम सप्ताह में और फिर से पंद्रह दिनों के बाद निम्बोली तेल का छिड़काव 100 से 125 मिली की मात्रा में दस लीटर पानी में मिलाकर करना चाहिए।

– निंबोली के तेल को पानी में मिलाने के लिए 100 मिली निंबोली के तेल में 10 ग्राम डिटर्जेंट या 10 मिली टीपाल मिलाएं।
– हिरण वसंत पर छिड़काव में कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 30 ग्राम प्लस दस लीटर पानी मिलाकर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।

– मक्खी के जीवन चक्र को ध्यान में रखते हुए पीले रंग की पत्तियों की सतह पर अरंडी के तेल या ग्रीस लगाकर पीले चिपचिपे जाल को कभी-कभी नारंगी बगीचे में वयस्क मक्खी के कोशिका से बाहर आने की अवस्था में लगाना चाहिए।

उल्लेखनीय यह है कि काली मक्खी आकार में छोटी होती है, आमतौर पर एक से डेढ़ मिलीमीटर लंबी होती है, जिसके काले पंख और लाल पेट होता है।इस कीट के लार्वा अपने अंडे नवाट के युवा पत्तों के नीचे की तरफ देते हैं। युवा पत्तियों पर रखे अंडे छोटे और शुरू में पीले रंग के होते हैं। चार से पांच दिनों के बाद,ये अंडे भूरे रंग के हो जाते हैं। गर्मियों में पंद्रह से बीस दिनों में और सर्दियों में पच्चीस से तीस दिनों में,अंडे से चूजे निकलते हैं।

क्राइसोपा,लेडीबर्ड बीटल आदि कीट पाए जाते हैं तो छिड़काव को संशोधित किया जाना चाहिए। ऐसे में कीटनाशक की मात्रा आधी कर दें और उसमें 100 मिली निंबोली का तेल मिलाएं या 5 % निंबोली के घोल से छिड़काव करने से फल को संभावित नुकसान से बचा जा सकता है।

Advertisement