नागपुर: एक बच्ची को 2017 में आरटीई के तहत केजी-1 में एडमिशन नहीं देने के कारण बच्चे के अभिभावकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जिसके बाद 2 साल तक चली लम्बी लड़ाई में कोर्ट ने पालक के हित में फैसला सुनाते हुए बच्चे को एडमिशन देने के निर्देश दिए हैं. वर्धा के प्रभारी प्राथमिक शिक्षणाधिकारी शिवलिंग पटवे की ओर से भी स्कूल को कोर्ट के निर्देश से अवगत किया गया है. मामला इस प्रकार है, 2017 में हिंगणघाट में रहनेवाले किशोर शेगोकार ने अपनी बेटी अनुवा शेगोकार के नर्सरी में एडमिशन के लिए हिंगणघाट के भारतीय विद्या भवंस में आवेदन किया था. शेगोकार स्कूल से एक किलोमीटर की दूरी पर ही रहने के बावजूद उनका एडमिशन नहीं हो पाया. जिसके कारण शेगोकार ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की.
हाईकोर्ट ने 2018 को बच्ची का एडमिशन केजी-1 में करने का आदेश दिया था. इसमें तत्काल एडमिशन किया जाना था. लेकिन स्कूल की ओर से बच्ची को एडमिशन नहीं दिया गया. जिसके सन्दर्भ में नागपुर के शिक्षणाधिकारी शिवलिंग पटवे ने स्कूल को आदेश जारी किया है. इस आदेश में दिया गया है कि बच्ची को केजी-2 में एडमिशन दिया जाए और रिपोर्ट पुणे के संचालक, समेत विभिन्न अधिकारियों को भेजे . कोर्ट के आदेश का मान रखने की हिदायत भी दौरान शिक्षणाधिकारी ने दी है. इसी तरह का नागपुर में भी एक विद्यार्थी का एडमिशन स्कूल की ओर से नहीं दिया गया है. इस मामले में आयोग एडमिशन देने का आदेश दे चूका है. बावजूद इसके यह मामला अब तक प्रलंबित है.