Published On : Wed, Sep 9th, 2020

पालकमंत्री ने भेजा राहत सामग्री,ज्यादा हथियाने के लिए भिड़े कार्यकर्ता

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– मामला भंडारा जिला कांग्रेस का,जिलाध्यक्ष की मध्यस्थता से टली हाथापाई

नागपुर/भंडारा : भंडारा जिले के पालकमंत्री डॉक्टर विश्वजीत कदम ने बतौर पालकमंत्री जिले के लिए मास्क व सेनेटाइजर भेजे।जिसके वितरण में शहर व ग्रामीण के तहसील के कांग्रेसी पदाधिकारियों के मध्य हुज्जत हो गई.यहाँ तक की हाथापाई की नौबत आ गई थी लेकिन जिलाध्यक्ष की मध्यस्थता से ग्रामीण तहसील के पदाधिकारियों को कुछ ज्यादा सामग्री देकर मामला शांत किया गया.

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राज्य में त्रिपक्षीय सरकार ने सभी जिलों के लिए पालकमंत्रियों की नियुक्ति की.इस क्रम में भंडारा जिले का पालकमंत्री राज्य के राज्यमंत्री डॉक्टर विश्वजीत कदम को नियुक्त किया गया.पालकमंत्री बनने के बाद अबतक २ या ३ दफे वे भंडारा आए.अर्थात सरकारी कार्यक्रम जहाँ पालकमंत्री की उपस्थिति अतिआवश्यक हैं,वैसी सूरत में ही भंडारा सुबह-सुबह आते और शाम लौट जाते।

कोविड-19 के मद्देनज़र पूर्वी विदर्भ के अन्य पालकमंत्रियों की मांग पर मुख्यमंत्री ने भंडारा और गढ़चिरोली का पालकमंत्री कुछ माह के लिए बदल दिया था.जिसके तहत भंडारा जिला का पालकमंत्री मंत्री सुनील केदार तथा गढ़चिरौली जिले का पालकमंत्री विजय वडेट्टीवार को तत्काल कुछ माह के लिए अतिरिक्त जिम्मेदारी के रूप में नियुक्त किया गया था.

मुख्यमंत्री ने पुनः १३ अगस्त को पुराने पालकमंत्रियों को पुनः सक्रिय करते हुए गढ़चिरोली जिला एकनाथ शिंदे तो भंडारा जिला डॉक्टर विश्वजीत कदम के हवाले बतौर पालकमंत्री करने का नया आदेश जारी किया। यह आदेश जारी होते ही १५ अगस्त के पूर्व भंडारा जिले के पालकमंत्री डॉक्टर विश्वजीत कदम ने जिले का दौरा किया। दौरे के दौरान मास्क व सेनेटाइजर की मांग उठी,जिसे पूर्ति करने के लिए पालकमंत्री ने अपने गृहक्षेत्र लौटने के बाद २ ट्रक भर ३०,००० मास्क और ६ हज़ार बोतल सेनेटाइजर भेजा।

जिसका वितरण करने की जिम्मेदारी भंडारा जिला कांग्रेस अध्यक्ष को सौंपी गई थी.इसे ज्यादा से ज्यादा हथियाने के चक्कर में शहर और ग्रामीण तहसील कांग्रेस पदाधिकारी सह कार्यकर्ताओं के मध्य झड़प हो हैं.ग्रामीण वालों की मांग थी कि ७५% सामग्री ग्रामीण में बांटे जाए तो शहर वालों का कहना था कि शहर में भी काफी नुकसान हुआ इसलिए बराबरी में सामग्री वितरित हो.इस चक्कर में शाब्दिक झड़प के साथ हाथापाई की नौबत आन पड़ी थी कि मौके की नज़ाकत को देख जिलाध्यक्ष मोहन पंचभाई ने मध्यस्थता कर ग्रामीण को कुछ ज्यादा देकर मामला शांत किया।

शहर के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का कहना था कि पालकमंत्री स्थानीय या आसपास का होता तो आम नागरिक और प्रशासन में समन्वय होता आउट बतौर समन्वयक कांग्रेस पदाधिकारी जनहितार्थ निर्णय ले पाते।लेकिन पालकमंत्री कदम हाईप्रोफ़ाइल नेता होने से अतिमहत्व के कार्यक्रम में भाग लेने ही आते हैं.

वहीं दूसरी ओर ग्रामीण के कार्यकर्ताओं का कहना था कि पालकमंत्री जब तक ३-४ दिन भंडारा में नहीं रुकेंगे,उन्हें भंडारा नहीं समझेगा।क्यूंकि भंडारा से सटे जिलों के पलकमंत्रियों का भंडारा जिले में हस्तक्षेप बढ़ने से भंडारा जिला का अस्तित्व नहीं रह गया.पालकमंत्री कदम का पिछले दौरा भी इसलिए हुआ क्यूंकि मानसून सत्र में विपक्ष के विधायक इस मामले में विधानसभा में सवाल न खड़े कर दे.

जिले के वरिष्ठ कांग्रेसी कार्यकर्ता ने नाम न बताने के शर्त पर बताया कि जिले में अनगिनत समस्याएं हैं और जिले के पालकमंत्री कदम कांग्रेसी विधायकों के बनस्पत भाजपा के विधायकों को तहरिज देते हैं.जबकि जिले का विधायक नाना पटोले विधानसभा अध्यक्ष हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस आलाकमान की नज़रों में उठने के लिए उन्होंने भंडारा जिले की गोसीखुर्द प्रकल्प को अपने कार्यकाल में पालकमंत्री कदम करें।भंडारा जिले की रेती बेशकीमती हैं,इस क्षेत्र में सक्रिय माफिया से भंडारा की रेती को मुक्त करवाकर जिले का राजस्व बढ़ाने में गंभीर पहल करें।लेकिन उनका ध्यान इस ओर न के बराबर होना भंडारा जिले के लिए दुर्भाग्य हैं.

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