नागपुर: नागपुर जिले में अपार खनिज सम्पदा है. इसके सकारात्मक उपयोग से जिला प्रशासन आर्थिक रूप से लबरेज हो सकता है. लेकिन प्रशासन में बैठे सम्बंधित स्वार्थी अधिकारियों और जिले के तथाकथित सफेदपोश नेताओं की शह पर २४ घंटे, ३५० दिन अवैध दोहन जारी है. इससे सरकारी राजस्व के साथ ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का क्रम जारी है. उक्त मामलों पर जिला प्रशासन ने अविलंब रोक लगाने के साथ ग़ैरकृत पर कड़क क़ानूनी कार्रवाई कर सरकारी राजस्व की वसूली नहीं की तो मोदी फाउंडेशन जल्द ही न्यायालय में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाएगा.
ज्ञात हो कि वर्धा मार्ग से लगे हिंगणा तहसील के सावंगी गांव अंतर्गत सैकड़ों एकड़ के दायरे में खनिज सम्पदा है. यहां तक कि खनिजों से लबरेज कई पहाड़ियां भी हैं. इस गांव में खनिज के नाम पर गिट्टी की प्रचुर मात्रा है. उन्नत किस्म की गिट्टी होने की वजह से गांव की सीमा में आधा दर्जन गिट्टी की खदानें हैं. कमोबेश लगभग सभी खदानों में गड़बड़ियां हैं. सभी खदान वालों ने अपने-अपने अधीन आनेवाले क्षेत्रों में क्रेशर स्थापित कर गिट्टी फोड़ रहे हैं. साथ में गिट्टी की ‘डस्ट’ तैयार कर मांग के अनुरूप ग्राहकों को बेच रहे हैं.
इनमें से एक क्रेशर हारुण का है, जिसे ३ एकड़ की जगह जिला प्रशासन की माइनिंग विभाग ने गिट्टी खदान के लिए आवंटित किया था. इन्होंने हैदराबाद की रोबो सिलिकॉन प्राइवेट लिमिटेड को किराये पर दे दिया. यह कम्पनी बीते एक साल में अपने अधीन आनेवाले ३ एकड़ के खुदाई क्षेत्र से गिट्टी व ‘डस्ट’ बेचने के बाद अवैध रूप से २३ एकड़ तक फैला दिया. लेकिन इतने बड़े विस्तार की तरफ प्रशासन ने आंखें मूुंदे रखा. नतीजा लगातार राजस्व में घाटा सरकार को उठाना पड़ रहा है.
क्योंकि यह वैध खदान नहीं हैं और किसी भी प्रकार का कर चुकाए बिना उत्खनन करने की सहूलियत मिलने से बाजार भाव से कम में गिट्टी और डस्ट की आपूर्ति की जाती है.
इस अवैध खेप की ढुलाई के लिए ५० से ६० दस चक्के वाले टिप्पर को किराये पर ले रखा है. सोमवार की दोपहर प्रत्यक्ष मुआयना करने पर देखा गया कि अवैध रूप से गिट्टी की पहाड़ी का उत्खनन कर पहाड़ी का अस्तित्व मिटाने का क्रम जारी है. इन्हें और ६ माह नज़र अंदाज किया गया कि उत्खनन स्थल पहाड़ी की जगह समतल कर दी जाएंगी. इतना ही नहीं उक्त कंपनी के सूत्रों के अनुसार जमीन में पानी लगने तक खुदाई की योजना है.
साधारणतः एक एकड़ में एक लाख क्यूबिक फुट गिट्टी निकलती है. साथ में चुरी और ‘डस्ट’ अलग. बाजार में गिट्टी १८ से २० रुपए फुट और ‘डस्ट’ ६ से ७ रुपए फुट बिकती है.
उल्लेखनीय यह है कि उक्त गैरकानूनी कृत से जिला प्रशासन, माइनिंग विभाग, तहसीलदार, रेवेन्यू इंस्पेक्टर और पटवारी सभी अवगत हैं. रोबो सिलिकॉन के सूत्रों के अनुसार सभी को उनके मांग के अनुरूप कीमतें चुकाई जा रही हैं. इसलिए इस ओर कोई झांक कर भी नहीं देखता हैं. सम्बंधित माइनिंग अधिकारी को तो विगत दिनों सपरिवार विदेश दौरा करवाने का दावा कंपनी के सूत्रों ने किया है. विडम्बना तो यह है कि प्रति एकड़ कितनी गिट्टी, चुरी व ‘डस्ट’ निकलती जा रही है, साथ ही अवैध उत्खनन से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है इसका कोई रिकॉर्ड नहीं मिल पा रहा है. जिला प्रशासन को भली-भांति जानकारी है लेकिन स्वार्थपूर्ति के लिए प्रत्यक्ष मुआयना करना मुनासिब नहीं समझा जा रहा है. समय रहते जिलाधिकारी कार्यालय ने उक्त मामले को गंभीरता से नहीं लिया तो मोदी फाउंडेशन जल्द ही सम्पूर्ण जिले के खनिज सम्पदा के उत्खनन मामले को लेकर जिला प्रशासन के खिलाफ न्यायालय में गुहार लगाएगी.
यह भी उल्लेखनीय यह है कि रोबो सिलिकॉन प्राइवेट लिमिटेड को उनके ग़ैरकृत नितियों के कारण पुणे से खदेड़े गए. फिर जैसे तैसे पुणे से स्थापित मशीनरी नागपुर ले और नागपुर में पिछले एक वर्ष से अवैध उत्खनन कर रहे हैं. इस मामले में लीजधारक के साथ रोबो सिलिकॉन प्राइवेट लिमिटेड पर कड़क कार्रवाई समय की दरकार है.