Published On : Wed, Oct 11th, 2017

पांच लाख करोड़ के आर्थिक गलियारे को जल्द मिलेगी मंजूरी

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नई दिल्ली: सड़क परिवहन मंत्रालय ने 5 लाख करोड़ के खर्च से 44 इकनॉमिक कॉरिडोर बनाने का प्लान तैयार किया है। इसे जल्द कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है। इसके तहत 24,000 किलोमीटर हाइवे बनाने की बात है। इसमें सड़कों के साथ फीडर रूट भी बनाए जाएंगे। इसका मकसद माल ढुलाई की रफ्तार को तेज करना है। अहम कमर्शल सेंटरों के आसपास मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स हब और पार्क भी बनाए जाएंगे। सड़क परिवहन मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने बताया, ‘हमने प्रस्ताव को कैबिनेट के पास मंजूरी के लिए भेजा है।’

उनके मुताबिक 80 फीसदी काम सरकारी फंडिंग वाले इंजिनियरिंग प्रोक्योरमेंट ऐंड कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) प्रॉजेक्ट्स होंगे। बाकी हाइब्रिड एन्युइटी मॉडल के तहत पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत किए जाएंगे। सरकार अगले 5 साल में प्रॉजेक्ट पर खुद 4 लाख करोड़ से ज्यादा खर्च करेगी। इकनॉमिक टाइम्स को हाल में दिए इंटरव्यू में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि उनका मंत्रालय बजट आवंजन से अलग फंड जुटाने पर भी काम कर सकता है।

मसलन- लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन, प्रविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन और बाकी इंस्टिट्यूशनल इनवेस्टर्स से फंड जुटाकर बड़े हाइवे प्रोजेक्ट्स पर काम किया जा सकता है। एक्सपेंडिचर सेक्रेटरी की अगुवाई वाले पब्लिक इनवेस्टमेंट बोर्ड ने इकनॉमिक कॉरिडोर प्रॉजेक्ट को हाल में हरी झंडी दी थी। इसके बाद ड्राफ्ट कैबिनेट नोट पेश किया गया था। अधिकारी ने बताया, ‘प्रॉजेक्ट के पहले चरण की शुरुआत अगले साल की शुरुआत में होगी। हमारा इरादा पहले इन प्रॉजेक्ट्स पर काम करना है, ताकि दो साल में इसे पूरा किया जा सके।’

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ग्लोबल कंसल्टेंसी फर्म एटी कियर्नी इकनॉमिक कॉरिडोर के लिए प्रॉजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर रही है। कॉरिडोर में हैदराबाद-पणजी, संबलपुर-रांची, मुंबई-कोच्चि-कन्याकुमारी और बेंगुलुरु-मेंगलुरु शामिल हैं। सड़क परिवहन मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘हमने जिन रूट्स की पहचान की है, वे फिलहाल नेशनल हाइवे नहीं हैं। ये वैसे रूट्स हैं, जहां 2,00,000 से ज्यादा गाड़ियों का ट्रैफिक होता है और वे टू लेन हाइवे हुआ करते थे। इन रूट्स को अब 200 से ज्यादा बड़े शहरों की जरूरतें पूरी करने के लिए डिवेलप किया जाएगा।’

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