नागपुर: सीलबंद खाद्य वस्तुओं के लिए उपयोग में लाए जा रहे प्लास्टिक कंटेनर और ट्रे पर बंदी लाए जाने के राज्य सरकार के निर्णय को चुनौती देते हुए होटल व्यवसायियों की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश भूषण धर्माधिकारी और न्यायाधीश झका हक ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर होटल व्यवसायियों पर अगले आदेश तक बलपूर्वक कार्रवाई नहीं करने के आदेश जारी किए.
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एम.जी. भांगडे, अधि. राहुल भांगडे, केंद्र सरकार की ओर से असि. सालिसिटर जनरल उल्हास औरंगाबादकर, राज्य सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील निवेदिता जोशी और मनपा की ओर से अधि. जैमिनी कासट ने पैरवी की.
उद्योग पर विपरीत परिणाम
राज्य सरकार की ओर से 23 मार्च 2018 को राज्य में 50 मायक्रान से कम मोटी प्लास्टिक एवं इससे निर्मित अन्य वस्तुओं पर बंदी लाई गई. सरकार के इस फैसले के कारण होटलों में सीलबंद भोजन सामग्री बेचने के लिए भी उपयोग में लाए जानेवाले प्लास्टिक कंटेनर और ट्रे पर भी पाबंदी लग गई. यहां तक कि इस तरह से उपयोग करने के लिए व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई भी शुरू की गई जिससे सोहम इंडस्ट्रीज, काबरा इंडस्ट्रीज, अन्नपूर्णा रेस्टारेंट, नैवेद्यम, शान कैटरर्स, बाम्बेवाला, कृष्णम, राम भंडार, राठी फूड्स और अन्य की ओर से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया.
याचिकाकर्ता का मानना था कि होटल में उपयोग होनेवाले प्लास्टिक कंटेनर और ट्रे लगभग 100 मायक्रान के होते हैं, जिसका बार-बार उपयोग किया जा सकता है, जबकि 50 मायक्रान से पतली प्लास्टिक का केवल एक ही बार उपयोग किया जा सकता है. इस तरह से बंदी लादे जाने से होटल उद्योगों पर विपरीत परिणाम हो रहा है.
कंटेनर वापस देने की करें सूचना
सुनवाई के दौरान अदालत का मानना था कि ग्राहकों को दिए गए कंटेनर या ट्रे का एक से अधिक बार उपयोग करना उपयुक्त दिखाई नहीं देता है. ऐसे में सीलबंद खाद्य की बिक्री करते समय यदि होटल संचालक स्वयं बिल पर कंटेनर या ट्रे होटल को वापस कर सकते है, इसकी सूचना प्रकाशित कर इसे टाल सकते हैं. इसकी सूचना बिल में दर्ज करने के आदेश भी होटल संचालकों को दिए. साथ ही प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश भी दिए.