– जिला प्रशासन मौन,राजस्व व पर्यावरण को हो रहा नुकसान
कन्हान/परशिवनी – जिले में सबसे ज्यादा रेती का अवैध उत्खनन सावनेर तहसील में हो रहा,इसकी पुख्ता जानकारी के बावजूद जिला प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा हैं, इससे पर्यावरण के साथ राजस्व का भी नुकसान बड़े पैमाने पर हो रहा।जल्द ही प्राप्त सबूतों के आधार पर न्यायालय में एम ओ डी आई फाउंडेशन एक याचिका दायर करने जा रही है।
ज्ञात हो कि रेत के अवैध उत्खनन व्यवसाय में राज्य के एक मंत्री अप्रत्यक्ष रूप से शामिल है। इनकी शह पर इनके 2 खास गुर्गे एक समूह बनाकर अवैध रेती उत्खनन करवा रहे और उत्खनन सह परिवहन में कोई सरकारी/गैर सरकारी अड़चन न आए इसलिए सभी घाट वालों/परिवहन करने वालों से 50-50 कमाई वसूली जाती है।इस अवैध कमाई का शत-प्रतिशत हिस्सा प्रत्येक सप्ताह मंत्री को पहुंचाया जा रहा।
इसके एवज में जिला प्रशासन को सावनेर तहसील की तरफ न भटकने की हिदायत मंत्री ने दे रखी है। मंत्री के खौफ से जिला प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है।
इसका भरपूर फायदा मंत्री के चंगु-मंगू उठा रहे,इनके इशारे पर बरसात के मौसम में भी नदी में पोकलेन उतार कर रेती उत्खनन का दौर शुरू है। पोकलेन से रेती निकालकर सीधा ट्रक में भरा जा रहा और ओवरलोड गीली रेती का परिवहन पूर्ण शबाब पर है।
उल्लेखनीय यह है कि जिलाधिकारी कोई भी हो सावनेर तहसील में पिछले 2 साल से अवैध रेती उत्खनन निरंतर शुरू है।
मंत्री के उक्त चंगु-मंगू इसी अवैध उत्खनन रेती को सरकारी विकासकार्यो को भी उपलब्ध करवा रही। साथ ही सरकारी ठेकों में भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष हिस्सेदारी ले रखी है। अर्थात उक्त रेती माफियाओ के आगे जिला प्रशासन बौना साबित हो रहा। इससे पर्यावरण के साथ ही राजस्व को भारी नुकसान हो रहा,ओवरलोड परिवहन से सड़कों की हालत जर्जर हो गई है।