नागपुर: आरटीई (शिक्षा का अधिकार) के तहत नागपुर शहर में दूसरा ड्रॉ अभी चल ही रहा है. लेकिन कई तरह की परेशानियों का सामना बच्चों के अभिभावकों को करना पड़ रहा है. शहर की कई स्कूलों की ओर से एक किलोमीटर के दायरे से भी ज्यादा के दायरे में रहनेवाले विद्यार्थियों को एडमिशन दिया गया है. तीन से चार और 16 किलोमीटर के फासले पर रहनेवाले बच्चों को भी एडमिशन देने के मामले सामने आ रहे हैं. जबकि एक किलोमीटर के दायरे और उससे भी कम वाले विद्यार्थियों को अनगिनत बहाने बनाकर एडमिशन नहीं दिया जा रहा है. यह शिकायत कई अभिभावकों ने आरटीई एक्शन कमेटी के पास भी की है.
नीरी मॉडल स्कूल में घर से स्कूल का दायरा नियम के अनुसार होने के बावजूद भी विद्यार्थी को एडमिशन नहीं दिया गया. विद्यार्थी के अभिभावक की शिकायत है कि उसके घर से इस स्कूल का अंतर केवल डेढ़ किलोमीटर का है. बावजूद इसके उन्हें एडमिशन नहीं दिया गया. जिसके कारण अभिभावक ने लिखित शिकायत की है. जिसके बाद आरटीई एक्शन कमेटी द्वारा शिक्षा उपसंचालक को इसकी शिकायत की गई थी. इसके बाद शिक्षा उपसंचालक विभाग द्वारा सम्बंधित स्कूल को आदेश दिया है कि मामले की जांच कर कार्रवाई से सम्बंधित जानकारी विभाग को दें. खासबात यह है कि जिन स्कूलों की ओर से आरटीई के तहत नियमों की अवेलहना की जा रही है, और ऐसे कई तरह के लापरवाही के मामले भी सामने आए हैं. बावजूद इसके शिक्षा उपसंचालक ने जिस तरह से कई स्कूलों को संरक्षण दिया है. उस पर भी पालकों का रोष और नाराजगी दिखाई दे रही है.
आरटीई एडमिशन में गड़बड़ी को लेकर आरटीई एक्शन कमेटी के चेयरमैन मोहम्मद शाहिद शरीफ ने बताया कि स्कूलों की ओर से लगातार जानभूझकर विद्यार्थियों के परिजनों को परेशान किया जा रहा है. कई स्कूलों की ओर से पैसे लेकर एडमिशन दिए गए. जबकि वे विद्यार्थी अब तक एडमिशन से दूर है. जिनके घर एक किलोमीटर के दायरे में है. शरीफ ने बताया कि इससे पहले पूंजीपतियों के बच्चों को एडमिशन देने के विरोध में शिक्षा विभाग को निवेदन दिया गया था और सभी अमीर पालकों के बच्चों के एडमिशन निरस्त करने की मांग की गई थी. लेकिन अब तक शिक्षा विभाग की ओर से कोई संज्ञान नहीं लिया गया. इससे पता चलता है कि शिक्षा विभाग गरीब बच्चों की शिक्षा को लेकर कितना जागरुक है.