– प्रदूषण को बढावा और पर्यावरण हानी का खतरा,वेकोलि प्रबंधन की चुप्पी से कोयला स्मगलरों की बल्ले-बल्ले
नागपूर – कोल इंडिया लिमिटेड की अनुसांगिक कंपनी वेस्टर्न कोल फिल्ड्स लिमिटेड की विभिन्न कोयला खदानों से आपूर्ती किये जाने वाले कोयला में मिलावट और घटिया होने की वजह से जहां बिजली उत्पादन में बुरा असर पड़ रहा है,वहीं घटिया और निकृष्ठ दर्जे का कोयला की वजह से बिजली केंद्र जहरीला प्रदूषण उगल रहे हैं. हाल ही के दिनों मे वेकोलि की वणी परिक्षेत्र की खदान की रेलवे साइडिंग से महाराष्ट्र स्टेट जनरेशन पावर कंपनी के पावर प्लांटों को मिलावटी और घटिया दर्जे का कोयला भेजा गया है. यवतमाल जिले की वनी एरिया कॉलरी में स्थित रेलवे साइडिंग से मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र के पॉवर प्लांट कम्पनियों को हाई ग्रेड कोयला भेजने का टेंडर 3 कम्पनियों को मिला है। जिनका काम खदानों से कोयला उठाकर पावर प्लांटों को भेजना है। इनमें से 2 कम्पनियों का काम कोयला धुलाई का होकर मिलावटी कोयला साइडिंग से भेजना और अच्छा कोयला बाजार में बेचने का है और ये गोरखधंधा पिछले 4 से 5 महीनों से सतत चल रहा है।
तीसरी कम्पनी का काम और नाम दोनों ही पर्दे के पीछे छुपा नाम और काम है। इस कम्पनी को कोयला खदान से उठाकर बिजली केंन्द्र में भेजना है,परंतु इसमें अच्छे कोयले की चोरी करते हुए खराब कोयला बिजली केंद्रो को भेजा जा रहा है। बिजली उत्पादन करने वाली कम्पनियों को सरकार सब्सिडी ( बाजार मूल्य से कम ) पर उच्च गुणवत्ता का कोयला उपलब्ध कराना है,ताकि ज्यादा से ज्यादा बिजली उत्पादन कर सके।
सूत्रों के अनुसार 3 कम्पनियों की मिलीभगत से पावर प्लांट कम्पनियों को 100% हाई ग्रेड कोयला की जगह 50% हाई ग्रेड कोयला तथा 50% रिजेक्ट कोयला और डस्ट मिलाकर भेजा जा रहा है। मिलावट कर चोरी किए गए हाई ग्रेड कोयले को बाजार में बेच करोड़ो रूपये कमाई कर रहे है। राजुर (कॉलरी) रेलवे साइडिंग प्वाइंट पर मिलावट का काम शबाब पर हैं.हाई ग्रेड कोयले में डस्ट एवं रिजेक्ट कोल मिलावट किए जाने की वजह से परिसर के नागरिकों को भारी प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है परिसर के नागरिकों को दमा,नेत्र रोग,चर्म रोग आदि गंभीर बीमारियां होने की सम्भावना परिसर के नागरिक तथा ग्राम सरपंच के माध्यम से जताई जा रही है। वही पावर प्लांट कम्पनियों को हाई ग्रेड कोयले के नाम पर मिलावटी कोयला आपूर्ति कर करोड़ो के राजस्व को नुकसान पहुचाया जा रहा है। वही,3 कम्पनियों को करोड़ो का मुनाफा हो रहा है ।
कोयला आपूर्ती में जुटी कंपनियों के माध्यम से उच्च गुणवत्ता का कोयला को लघु औधोगिक इकाईयों को ऊंचे दामों मे बेचा जा रहा है?
और कोयला साईडिंग में पड़े घटिया सेल पत्थर और कोल डस्ट रेलवे वैगनों मे भरकर पावर प्लांटों में आपूर्ति किया जाने से सरकार को करोडों अरबों की चपत लग रही हैl तर्कसंगत आरोप के मुताबिक वेकोलि अधिकारी वेतनमान सरकार से लेते हैं और कार्य कोयला स्मगलरों के संरक्षण और फायदे के लिए करते हैं ?