पिछले कुछ दिनों से हर घर में , हर रिश्ते में एक ही चर्चा है वो है कोरोना। पूरा देश आजकल कोरोनामय है ,
कोरोना को सबसे ज्यादा चर्चा और अगर टीआरपी मिल रही है तो गलत नहीं होगा एक तरफ सरकार का पूरा प्रयास है अपने नागरिकों की सुरक्षा और बचाव कैसे हो कैसे इस खतरनाक दुश्मन को हराया जाए वहीं दूसरी तरफ देश की गति घरों में सिमट गई है लोग अपने अपने घरों में रहकर इस वायरस को हराने की जतन में जुटे है वहीं दूसरी तरफ ड्रॉक्टर, पत्रकार,सफाईकर्मी, वैज्ञानिकों की टीम , सामाजिक कार्यकर्ता, संगठन और पुलिस पूरी मुस्तैदी से हमें बचाये रखने के लिए जतन में लगे है। देश ने इस तरह की स्थिति लंबे अर्से के बाद देखी है इसलिए कही -कही त्वरित निर्णय से अफ़रातफ़री जैसी भी स्थिति हुई पर इसे संभाल लिया गया। संक्षेप में जान लीजिए कोरोना है क्या ???
1- कोरोना एक बीमारी है जो संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने से होती है।
2. इलाज का टीका अभी खोज में है फिलहाल इससे सावधानी से ही बचा जा सकता है।
3.सोशल नहीं फिजिकल डिस्टेंस जरूरी है ।
4.अपने छींक और खांसी का विशेष ध्यान रखे रुमाल का इस्तेमाल करें ताकि दुसरो को कोरोना के साथ साथ सर्दी जुखाम और वायरल से भी बचाया जा सके।
5. भीड़भाड़ वाली जगहों और समूह में इकट्ठा होने से बचे , सिर्फ अभी नहीं लॉक्ड डाउन के खुलने के बाद भी अगले 6 महीने ताकि इससे हम लड़ सके।
सरकार और संगठनों के अलावा हर व्यक्ति अपने अपने स्तर पर अपना योगदान इस लड़ाई में दे रहा हैं जिनके लिए हमें सम्मान करना चाहिए। योगदान चाहें छोटा हो बड़ा है तो सही इन के बीच में हमें प्रकृति के योगदान को भी याद रखना है वो भी अपना पूरा समर्थन दे रही है पर्यावरण को संतुलित करने के लिए जीव जंतुओं ने भी अपना काम शुरू कर दिया है दिल्ली के साथ साथ पूरे भारत में आसमान साफ है हवा खुलकर सांस लेने के लिए आमंत्रण दे रही है। पेड़ लहलहा उठे है। पर इनके बीच एक अनदेखा अनसुना संदेश भी है चलो एक बार फिर से हम और आप सिर्फ इंसान बन जाये जिसे दूसरे की चिंता हो फिक्र हो प्यार हो।मोहबत हो। ये संदेश देने के लिए हमें कोरोना का धन्यवाद जरूर करना चाहिए। तेजी से अंधाधुंध आधुनिकता और मॉडन होने की होड़ में इंसानों को फ़ोन पर नजदीक तो ला दिया था पर भावनाओं में दूर कर दिया था। सीमित संसाधनों के होने के बावजूद और कि होड़ जनक है इस तरह की संकट की। आइये एक बार फिर सोचे । आज हम ऐसे ही कुछ ऐसे लोगों की बात करेंगे जो चुपचाप कोलाहल से दूर अपने काम में लगे है उनका योगदान कही ना कहीं अपने स्तर पर लोगों की दुखों को कम करके जख्म भर रहा है। कुछ ऐसे अनसुने लोगों को पढ़िए कैसे उन्होंने खुद को इस गाढ़े वक्त में भी झोंक रखा है ये पॉजिटिव साइड है कोरोना का
1.सुशील कुमार भारतीय पुलिस सेवा
पुलिस अधीक्षक, भोजपुर, आरा, बिहार
सुशील ने असंगठित क्षेत्रों में काम करने वालों की परेशानियाँ और तकलीफ को देखकर अपने मातहतों के सहयोग से मदद करने की सोची और जुट गए मुहिम में।
इस टीम ने वंचित लोगों की सूची बनाई जिन्हें रोज दिहाड़ी से जीवनयापन करना पड़ता है और इस भूखमरी में वो सबसे ज्यादा परेशानी में थे, दायरे में ऐसे लोग शामिल हैं जिनकी रोज़ी रोटी का साधन बंद है। पत्थर काटने, तराशने वाले, रिक्शावाले , घरेलू कामगार और घरों में सफ़ाई का काम करने वाले कर्मचारी है। पर मदद हो कैसे उसके लिए सबसे पहले इस टीम के हर सदस्य ने अपने अपने वेतन में से अंशदान दिया और राशन की थैली बनाई गई जिसमें रोजमर्रा की रसोई की वस्तुओं को लोगों के दरवाजे जाकर पहुँचाने का काम शुरू हुआ। अगले कुछ दिनों में तकरीबन पांच हजार से ज्यादा लोग इसके अंदर मदद पा सकेंगे खबर लिखे जाने तक दो हज़ार लोगों के घर पर राशन मिल चुका था।
आम लोगों की सुविधा के लिए भोजपुर पुलिस द्वारा अपना ऑफिसियल ऐप लॉन्च किया गया है जिसमें आम लोगों को कोरोना वायरस के फैलाव के मद्देनज़र देश व्यापी लॉकडाउन के सत्यम घर बैठे राशन सामग्री सब्ज़ियां दूध और दवाई मिलती रहे जब लोगों तक उनकी जरूरत की सामग्री पहुँचेगी तो घरों में सुरक्षित रहेंगे।
2.नैंसी सहाय जिलाधिकारी देवघर, झारखंड
कोरोनावायरस के कारण देशभर में लागू लॉकडाउन के दौरान जहां कई जगह अधिकारी मास्क और सैनिटाइजर का रोना रो रहे हैं, वहीं झारखंड के देवघर जिले की कलेक्टर ने जिले में उपलब्ध संसाधन से मास्क और सैनिटाइजर का निर्माण कराकर उसकी कमी नहीं होने दी है। झारखंड की सांस्कृतिक राजधानी और देवनगरी देवघर में बाबा बैजनाथ का विश्वप्रसिद्ध मंदिर होने की वजह से यह मशहूर धार्मिक स्थलों में शुमार है। जाहिर है ऐसे में देश-विदेश से यहां भक्तों और सैलानियों का जमावड़ा पूरे साल रहता है। ऐसे में कोरोना संक्रमण से जिले को सुरक्षित रखना और तमाम बारीक से बारीक चीजों का खयाल रखना किसी भी अधिकारी के लिए किसी जंग से कम नहीं है । नैंसी ने अपनी प्रबंधन क्षमता से लॉकडाउन के दौरान न सिर्फ लोगों को घरों में रखने की मुहिम को सख्ती से पालन करवाया है साथ ही जरूरी मेडिकल किट्स के अलावा रोजमर्रा की चीजों की भी किल्लत नहीं होने दी है। जब देशभर में सैनेटाइजर और मास्क की भारी किल्लत नजर आ रही थी, तब नैसी ने अपनी सूझ-बूझ से जिले में ही सैनेटाइजर और मास्क का उत्पादन शुरू करवा दिया।
खाद्य सामग्री की कमी न हो और कोई भूखा न रहे, इसलिए अस्थाई ग्रेन बैंक बनाकर उन्होंने जनता से सहयोग लिया। नतीजा करीब दो हजार से ज्यादा लोग हर रोज तमाम सेंटरों में भोजन प्राप्त कर रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान फंसे हुए लोगों को उनके घर सुरक्षित पहुंचना, हेल्थ चेकअप और सरकार के तमाम निर्देश का अनुपालन यहां बखूबी किया जा रहा है। इतना ही नहीं, जिले के कई प्राइवेट अस्पतालों से भी बातचीत कर नैंसी ने अपनी सूझबूझ का बखूबी परिचय दिया है। नतीजा यह है कि, करीब 1 हज़ार बेड और वेन्टीलेटर समेत किसी भी आपात स्थिति से के लिए बिल्कुल तैयार हैं।
3.वरुण रंजन जिलाधिकारी साहेबगंज, झारखंड
जिले के जिलाधिकारी वरुण रंजन ने अपने जिले को संक्रमण मुक्त रखने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। साफ सफाई, घर घर को सेनेटाइज करने से लेकर आपातकाल में अस्पताल के भीतर बेहतर इंतज़ाम, बंदी के दौरान खाने पीने की किल्लत से निजात दिलाने के साथ ही दाल-भात केंद्र बनाकर 3 महीने तक मुफ्त भोजन का इंतज़ाम कर अपनी कुशल कार्यक्षमता का लोहा मनवाया है।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि, कोरोना के इस संक्रमण काल में बड़ी मुस्तैदी से अपनी स्तर पर अपने इन हीरोज़ के साथ मैदान में है। झारखंड में अबतक कोरोना के 2 मरीज होने की पुष्टि हो चुकी है। और निज़ामुद्दीन के मरकज़ से संथाल के इलाके में वापस लौटे जमातियों से अब कम्युनिटी ट्रांसफर का ख़तरा पैदा हो गया है। लेकिन, जिस तरीके से देवघर और साहेबगंज के कलेक्टरों ने बचाव के इंजमाम किए हैं वह बेहद सुकून देने वाले नज़र आ रहे हैं। यही वजह है कि, संथाल परगना जहां खासकर आदिवासियों की बहुलता है उनकी आंखों में भरोसे और उम्मीद की चमक भी नज़र आती है।
4. संजय सिंह समाजसेवी झांसी, परमार्थ
300 परिवारों को राशन सामग्री उपलब्ध करायेगी परमार्थ संस्था
झांसी के जौहर श्रमिक बस्ती में परमार्थ संस्था के द्वारा कम्यूनिटी किचन के माध्यम से भोजन वितरण किया जा रहा है साथ ही मेडिकल किट और साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जा रहा है बड़ी संख्या में यहाँ भी दिल्ली से मजदूरों का पलायन हुआ है। स्थानीय समुदाय के लोगों से बात करने पर पता चला कि पूरी बस्ती मेें श्रमिक निवास करते है जो हर रोज मेहनत कर अपने भरण-पोषण करते थे, लॉक्ड डाउन की वजह से घर में रखा राशन भी खत्म हो गया है, खाने के पैकेट मेें जो पूडी आ रही है वह बच्चों को नुकसान कर रही है। अभी भी लाॅकडाउन के 13 दिन बाकी है। बस्ती के समुदाय के द्वारा कच्चे राशन सामग्री की आवश्यकता बतायी गई जिसके आधार पर परमार्थ समाज सेवी संस्थान के द्वारा बस्ती के लगभग 300 परिवारों को 25 किलो आटा, 05 किलो दाल, 10 किलो चावल, 1 किलो सरसो का तेल, मसाले सहित सैनिटेशन किट देने का निर्णय लिया गया है। जल्द ही परिवार को यह खाद्यान्न सामग्री की गई और कम्युनिटी किचन की व्यवस्था की गई है।
4. बाबा विश्वनाथ की नगरी के चमकते जुगनू है ऐसे लोग कीर्ति भूषण और कृष्णा
बनारस को समझना सबके बस की बात नही जिंदादिली और सहयोग का नाम काशी है यू तो प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र भी है सरकार अपनी तरफ से हर संभव मोर्चे पर तैनात है और सरकार की इस जिम्मेदारी में हाँथ बटाने के लिए यहाँ से दूर विदेश में बैठे NRI कीर्ति भूषण सिंह और स्थानीय लोगों की एक छुटी सी टुकड़ी दिन रात अपने स्तर पर जुटी हुई है । जिसका नेतृत्व कृष्णा सोनी कर रहे है इन लोगों ने अपने स्तर पर असंगठित लोग जो ठेले और पटरी लगाते है रिक्शा चला कर अपनी जीविका कमाते है के मदद का जिम्मा लिया है। बनारस अलग मिजाज का शहर है ये लोग जो इस टुकड़ी को आगे बढ़ा रहे है वो खुद कोई करोड़पति नही है छोटे व्यापारी है उनकी रोजी रोटी भी इस लॉक्ड डाउन में प्रभावित हुई है पर उनका कहना है कि कम से कम हमें संतोष है कि हम समाज के लिए कुछ कर पा रहे है।
5. चेतना मंच- चंधासी, कुढ़े खुर्द, चंदौली दीन दयाल उपाध्याय नगर
वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के कारण हुए लाकडाउन में सामाजिक संस्था चेतना मंच की टीम दिन रात मैदान में जुटी हुई है इसने 43 निर्धन परिवारों को गोद लिया है जिनमें पथरा, हरिशंकरपुर,दुलहीपुर पहली बाजार, दुलहीपुर भीतरी बाजार है। संस्था के विनय वर्मा ने कहा कि लॉक डाउन में उन जरूरत मन्द परिवारों को चयनित कर राशन दिया जा रहा है,जिनके समक्ष भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है। चेतना मंच के अभियान में उन लोगों को शामिल नही किया गया है जिनके पास लाल व सफेद राशन कार्ड है। अभियान मौजूद स्थिति को देखकर आगे भी बढ़ाया जा सकता है।
6.डॉक्टर एस एस सांगवान
संस्थापक आयुष्मान हॉस्पिटल , पानीपत
डॉक्टर एस एस सांगवान जो रोहतक मेडिकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर भी रहे है इन दिनों पानीपत में जीटी रोड पर इनका बड़ा अस्पताल है आयुष्मान चिकित्सालय सभी सुविधाओं से सुसज्जित पारम्परिक रूप से गांधीवादी परिवार की विरासत उनके पास है। वे माता सीता रानी सेवा संस्था ,पानीपत/ निर्मला देशपांडे संस्थान व अन्य सभी गाँधीवादी रचनात्मक संस्थाओं के सहयोगी व संरक्षक हैं।
डॉक्टर सांगवान ने सरकार को प्रस्ताव किया है कि इस पूरे अस्पताल को स्टाफ के साथ वे कोरोना के इलाज के लिए समर्पित करना चाहते है बिना किसी शुल्क के यही मेरी देश के लिए सेवा है।
डॉक्टर सांगवान देश के जाने-माने हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं। कई देश विदेश के अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में उन्हें सेवाओं के लिए बुलाया जाता है ।
उनके बेटे डॉ सुदीप सांगवान का कहना है कि जब देश पर इतनी बड़ी चिकित्सीय विपदा आयी हो तो हम चुप नहीं बैठ सकते।
7.सिख समुदाय पंजाब
सिख हर समय आगे आ कर नई पहल करता है। पंजाब के गांव नाभा में लोगों ने अपने अपने स्तर पर जागरूक होकर काम करना शुरू कर दिया है जिसमे साफ सफाई और जागरूकता अभियान भी शामिल है। इस गांव के लोग अपने सफाईकर्मी को सबसे महत्वपूर्ण योद्धा मानते हैं।
8.नोएडा के रहने वाले प्रवीण और उनके पिता ने सरकार के निर्देश से पहले अपने यहाँ रहने वाले सभी किराएदारों का 1 महीने का किराया ना लेने का फैसला किया जो लगभग दो लाख के आसपास बैठती है। उन्होंने अपने किराएदारों को घर छोड़ कर जाने से रोक लिया ये कदम बहूत सराहनीय है सरकार के अपील में सहयोग के लिए। ये लोग उनके आवासीय परिसर खोड़ा गांव में रहते है। जहाँ कई कमरे हैं जिनमें ज्यादातर श्रमजीवी लोग रहते हैं। प्रवीण के पिता किसान है और सामाजिक व्यक्ति है।
By- Shweta Rashmi ,Delhi