– केंद्र सरकार की रिपोर्ट से हुआ खुलासा
नागपुर: केन्द्रीय विधुत मंत्रालय नई दिल्ली की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में कोयले का संकट गहराता ही जा रहा है. 1 अक्टूबर तक देश मे 172 में से 135 पॉवर प्लांट ऐसे थे जहां तीन दिन से भी कम का कोयला स्ंकट बरकरार है।
देश में गहराता जा रहा कोयले का संकट ज्यादातर बिजली कोयले से ही बनती है,देश में कोयले का संकट गहराता जा रहा है. ये बात केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने कही है. कोयले के संकट गहराने का असर सीधा-सीधा बिजली के उत्पादन पर पड़ेगा, क्योंकि देश में ज्यादातर बिजली का उत्पादन कोयले से ही होता है. देश में इस वक्त 135 पॉवर प्लांट ऐसे हैं जहां कोयले से बिजली का उत्पादन होता है.
कोयला उत्पादन के एक नोट की मानें तो 1 अक्टूबर की स्थिति के अनुसार इन 135 पॉवर प्लांट्स में से 72 के पास तीन दिन से भी कम का स्टॉक था. वहीं, 4 से 10 दिन का स्टॉक मेंटेन करने वाले बिजली घरों की संख्या 50 है.
ऊर्जा मंत्रालय के डराने वाले आंकड़े
– विगत सन 2019 में अगस्त-सितंबर में बिजली की खपत 106.6 बिलियन यूनिट्स हुई थी, जबकि इस साल अगस्त-सितंबर में 124.2 बीयू की खपर हुई. इसी दौरान कोयले से बिजली का उत्पादन 2019 के 61.91% से बढ़कर 66.35% हो गया. अगस्त-सितंबर 2019 की तुलना में इस साल के इन्हीं दो महीनों में कोयले की खपत 18% बढ़ गया.
– मार्च 2021 में इंडोनेशिया से आने वाले कोयले की कीमत 60 डॉलर प्रति टन थी, लेकिन सितंबर-अक्टूबर में इसकी कीमत 200 डॉलर प्रति टन बढ़ गईं. इससे कोयले का इंपोर्ट कम हो गया.
मॉनसून सीजन में कोयले पर चलने वाली बिजली की खपत बढ़ गई जिससे बिजली घरों में कोयले की कमी आ गई. 1 अक्टूबर 2021 की स्थिति के अनुसार, 135 प्लांट ऐसे हैं जहां 3 दिन से भी कम का कोयला बचा है. 50 प्लांट ऐसे हैं जहां 4 से 10 दिन का स्टॉक है और सिर्फ 13 प्लांट ही ऐसे हैं जहां 10 दिन से ज्यादा का स्टॉक है.इसके अलावा पावर प्लांटों मे जो कोयला उपलबध है पानी बरसांत के कारण गीला होने की वजह से बिजली उत्पादन मे काफी रुकावटें आ रही है।
कोयले की कमी के 4 कारण
1. अर्थव्यवस्था में सुधार आते ही बिजली की मांग काफी बढ़ गई.
2. सितंबर में कोयला खदानों पर ज्यादा बारिश होने से कोयले का उत्पादन प्रभावित हुआ.
3. विदेशों से आने वाले कोयले की कीमत में बढ़ोतरी होना.
4. मॉनसून की शुरुआत से पहले कोयले का स्टॉक न करना.
अब आगे क्या होगा..
ऊर्जा मंत्रालय का कहना है कि 2021-22 में थर्मल पॉवर प्लांट में कोयले की प्रतिदिन की खपत 700 मीट्रिक टन से भी ज्यादा पहुंच सकती है. इसलिए मंत्रालय ने सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (CEA) को सलाह दी है कि वो कोयले का स्टॉक पर्याप्त रखे. सुझाव दिया गया है कि जो प्लांट कोयले का स्टॉक नहीं रखें, उनके ऊपर जुर्माना भी लगाया जा सकता है. इसके अलावा जो कोल कंपनियां बकाया नहीं चुकाती हैं, उन्हें कोल डिस्पैच में प्राथमिकता में सबसे नीचे रखा जाए. लेकिन जिन पर कोई बकाया नहीं है, उन्हें कोल एलोकेशन और डिस्पैच में प्राथमिकता दी जाए।हालांकि देश के अनेक तापीय विधुत परियोजनाओं मे कोयला खदानों से परिवहन किया जाने वाला अच्छी गुणवत्ता वाला कोयला रास्ते मे ही तस्करी हो जाती है।और घटिया दर्जे का कोयला थर्मल पावर प्लांटों को आपूर्ति किया जाता है। सूत्रों के मुताबिक घटिया दर्जे का कोयला की वजह से अनेक पावर प्लांटों मे ऊर्जा उत्पादन कम और प्रदूषण अधिक उगल रहे है।जिसमे उड़ीसा की महानदी कोल फिल्ड, साऊथ-ईस्टर्न कोल फिल्ड लिमिटेड छत्तीसगढ, नार्तन कोल फिल्ड लिमिटेड,बीसीसीएल,वेस्टर्न कोल फिल्ड लिमिटेड इत्यादि कोयला खदानों का समावेश है। इसका ताजा उदाहरण गत 28 सितंबर को वेकोलि की गोंडेगांव ओपन कास्ट कोयला खदान से कोराडी पावर प्लांट मे आपूर्ति किया जाने वाला उत्तम दर्जे का कोयला रास्ते मे ही तस्करी करवा दी गई। और घटिया कोयला पावर प्लांट मे पंहुचाने का रहस्य उजागर हुआ है।हालांकि इस मामले मे खापरखेडा पुलिस स्टेशन में 3 आरोपियों के खिलाफ गुनाह दर्ज कर दिया गया है।