Published On : Thu, Jan 17th, 2019

अपने लिए नहीं अपनों के लिए जीना ही जीना है – डॉ.मोहन भागवत

प्रहार मिलिट्री स्कूल के समापन कार्यक्रम में आरएसएस सरसंघचालक ने किया मार्गदर्शन

नागपुर: जीवन सिर्फ अकेले का नहीं होता है. हमें अपने लिए नहीं, अपनों के लिए जीना ही जीना है और समय पड़े तो मरना भी है. मनुष्य के हाथ में है वह अपनों के लिए क्या कर सकता है. पशु प्रकृति के अनुसार चलता है. हमें अच्छा अपनों के लिए बनना है. यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कही. वे प्रहार मिलिट्री स्कूल के 25 वर्ष पूरे होने के समापन कार्यक्रम में रेशमबाग के सुरेशभट्ट सभागृह में बोल रहे थे.

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उन्होंने आगे कहा कि लक्ष्य को सामने रखे बिना मनुष्य जीवन को उन्नत दिशा में नहीं ले जा सकता. बार बार लक्ष्य को बदलने से लक्ष्य हासिल नहीं होता. मनुष्य की प्रवृत्ति ऐसी हो गई है कि वह भीड़ का हिस्सा बन जाता है और भीड़ के साथ चलता है. हम जिनको हमारे उदाहरण के रूप में देखते हैं, उनके जैसा ही हम करने की कोशिश करते हैं. मनुष्य का जो स्वभाव है वह आरामप्रिय है. हमारे देश को आजाद हुए 70 साल हो चुके हैं. हमारे साथ और भी कई देश आजाद हुए थे. आज वह कहां हैं और हम कहां हैं ! इजराइल देश के लोगों ने अपने देश को उन्नत करने की ठानी थी. वे जो अपना देश छोड़कर जा चुके थे, वे भी वापस लौट आए. उन्होंने अपने देश में खेती करनी शुरू की और उद्योग लगाने शुरू किए, 1948 में उन्होंने अपने आपको स्वतंत्र घोषित कर दिया.

जिसके बाद कई देशों ने उन पर आक्रमण किया. उन्होंने 5 लड़ाईयां लड़ीं और शत्रुओं को हराया. आज इजरायल एक विकसित देश है. दुनिया भर से लोग वहां की खेती किस तरह से होती है यह देखने जाते हैं.

इस दौरान उन्होंने जापान का उदहारण देते हुए कहा कि उनके देश में हिरोशिमा और नागासाकी में हमला हुआ था, लेकिन आज उन्होंने आर्थिक विकास किया है. उसकी तुलना में हम कहां हैं! भारत आगे बढ़ा है. भारत का भविष्य उज्वल है.

उन्होंने कहा कि जब हमारा देश आजाद हुआ तो हमारी भूमिका अच्छी थी. आजादी का उत्साह लोगों के मन में था. 30 हजार करोड़ रुपए हमारे खजाने में थे और 1600 करोड़ हमें इंग्लैंड से लेने थे. भागवत ने कहा कि आज जो देश के टुकड़े करने की सोचते हैं उनका पक्ष लेनेवाले लोग भी मिल जाते हैं. उन्होंने विद्यार्थियों को मार्गदर्शन करते हुए कहा कि देश को बड़ा बनाने में परिश्रम करना पड़ता है. देश के लिए लड़नेवाले सेना की चिंता समाज को करनी पड़ती है. हमें देश के लिए जीना भी सीखना होगा.

सरसंघचालक ने कहा कि जिसका देश सुखी प्रतिष्ठित नहीं है वह कैसे सुखी रहेगा. आज हम अपने स्वार्थ के लिए भी विचार करते हैं तो देश का विचार करना पड़ता है. देश के लिए जीने का जज्बा नई पीढ़ी के मन में भरना होगा. भागवत ने कहा कि दुनिया का सबसे जवान देश भारत है. उन्होंने कहा कि अगर युवाओं को सही मार्ग दिखाया जाए तो वे सही राह पकड़ेंगे. देश को जोड़ने की हमारी परंपरा रही है. उन्होंने कहा कि विदेश देखने से पहले हमें अपने देश की विभिन्नता देखनी चाहिए. अरुणाचल प्रदेश हमारे देश में है. लेकिन जब वहां का व्यक्ति इधर आता है तो हम उससे पूछते हैं आप चीन से हैं क्या? यह बहुत दुखद बात है. उन्होंने कहा कि देशभक्ति का काम ठेका देने से नहीं होता है.

इस दौरान उन्होंने प्रहार मिलिट्री स्कूल की तारीफ़ करते हुए कहा कि 25 सालों में इस स्कूल ने सेना में कई अफसर भेजे हैं. उन्होंने प्रहार समाज जागृति संस्था के संस्थापक स्वर्गीय कर्नल सुनील देशपांडे के बारे में कहा कि देशपांडे और उनके परिवार के साथ उनके काफी अच्छे सम्बन्ध हैं. इसलिए जब उन्हें इस कार्यक्रम में बुलाया गया तो उन्होंने हां कर दी. इस दौरान मंच पर संस्था की अध्यक्ष क्षमा देशपांडे और फ्लाइट लेफ्टिनेंट शिवाली देशपांडे मौजूद थीं. इस दौरान किताब ‘अमृत कण का विमोचन भी किया गया. इस समापन कार्यक्रम में शिवाली देशपांडे ने स्कूल की स्थापना और उससे जुड़ी ेजानकारी मौजूद लोगों को दी.

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