Published On : Mon, Dec 30th, 2019

आश्चर्यजनक पर सत्य: सफेद बटाने पर आयात शुल्क 20 हजार रुपये प्रति क्विंटल- मोटवानी

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नागपुर: आजादी के बाद देश के इतिहास में आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि किसी जिंस की मूल राशि से उसके चार गुना आयात शुल्क सरकार ने लगाया हो।यह आश्चर्यजनक पर सत्य है।होलसेल अनाज बाजार के सचिव प्रताप मोटवानी ने बताया कि इसके पूर्व सफेद बटाना सबसे सस्ता कनाडा से आयात होता था जो कि 2500 और 3000 तक बिकता था।उसकी दाल 3500 से 3800 तक बिकती थी।तीन वर्ष पूर्व सभी दाले 100 रुपये किलो से ऊपर पहुँच गयी तब भी बटाना दाल के दाम 35-40 रुपये किलो थे।।चना दाल के भाव ज्यादा होने पर बटाना दाल का बेसन लोकप्रिय और सस्ता रहता था।

चना दाल के बेसन में बटाना दाल का मिश्रण किया जाता था।।चना दाल से भाव कम होने पर ग्रामीण क्षेत्रो में बटाना दाल का बेसन सस्ता और लोकप्रिय था।।।आज सरकार ने बटाना आयात के नियम सख्त कर दिए है।सरकार ने 50% ड्यूटी के साथ 20000 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम आयात शुल्क कर दिया है।मोटवानी के अनुसार सारे खर्चे मिलने पर बटाने का आयात पड़ताल पोर्ट पर 30000 रुपये क्विंटल पड़ेगा।ग्राहक तक पहुचने पर यह 35000 से 40000 हजार रुपये क्विंटल पड़ेगा।।याने यह विश्व का 8 वा अजूबा कहे तो अतिश्योक्ति नही होंगी। अब देश मे बटाने का आयात होना असंभव हो गया है।।इसका फायदा देश के किसानों को मिलेगा।अब देश की जनता को अपना स्वदेशी निर्मित बटाने पर निर्भर रहना होंगा।

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मोटवानी के अनुसार इस वर्ष देश मे बटाने की बिजाई मामूली बढ़कर 9 लाख हैक्टेयर के पार पहुची है। सरकार द्वारा अधिसूचना के एक दिन बाद बटाने की कीमतें 20 फीसदी बढ़ गयी।वर्तमान में भाव 6200 से 6500 प्रति क्विंटल भाव नागपुर में हो गए है और नागपुर में बटाना दाल 7000 के आसपास भाव हो गए है।आश्चर्य लेकिन सत्य है जो बटाना चने से 500 से 700 रुपये कम बिकता था।आज चने का भाव नागपुर में होलसेल 4500-4600 तक है।याने बटाने से 1500-1700 रुपये क्विंटल कम है।यहाँ तक कि दालों की रानी और गाव रानी तुअर के दाम 5500 से 5700 के दाम से 500-600 रुपये ज्यादा है।। मसूर के भाव भी 4800 से 5000 है याने बटाने से 1000-1500 कम है।बटाने के भाव बढने से हरा बटाना के भाव बढ़कर 11000-11500 मुम्बई पोर्ट पर हो गए है।।वर्तमान में सभी सब्जी मंडियों में हरे बटाने की फल्ली 25 से 35 रुपये किलो बिक रही है।।यह 1 माह और उपलब्ध रहेगी।।

उसके बाद हरे बटाने की मांग बढ़ेंगी।।देश मे हरे बटाने का उत्पादन नही होता।।देश मे कुछ प्रान्तों में चिपटा हरा बटाना का उत्पादन होता है।।उसका उपयोग हरे बटाने से भाव कम होने से होता है।पर हरा बटाना महंगा होने से चिपटा हरा बटाना भी भाव उच्च रहेंगे। मोटवानी के अनुसार
इस वर्ष उडद में देश मे फसल 50% कम होने पर भाव बढ़ रहे थे सरकार ने आयात कोटा 1.5 लाख टन से बढ़ाकर 4 लाख टन किया जिससे भावों को ब्रेक लगा।।वर्तमान में मुम्बई पोर्ट पर आयातित उडद 7100 से 7250 है।।देशी उडद 6000 से 7000 क्वालिटी अनुसार बिक रहा है।इस वर्ष मूंग की फसल भी प्रतिकूल मौसम से 30 से 40% कम है।।भाव देशी मंडियों में 6500 से 7800 क्वालिटी अनुसार है।।सरकार ने वर्ष 2018-2019 के लिए मूंग के लिए 1.5 लाख टन और उड़द के लिए 1.5 लाख टन निर्धारित की थी ।जो कि आयात हो चुका है।अब सरकार ने 2.5 लाख टन उडद के अतिरिक्त आयात की घोषणा की है।

म्यांमार ने आयात-निर्यात नियमों में किये बदलाव
★ म्यांमार के वाणिज्य मंत्रालय ने आयातकों और निर्यातकों को 31 दिसंबर तक नया रजिस्ट्रेशन करने को कहा, नए नियमों के अनुसार 5 जनवरी 2020 से मंत्रालय आयातकों और निर्यातकों को 9 अंकों का डिजिटल टेक्सेशन आइडेंटिफिकेशन नम्बर देगी, नये रजिस्ट्रेशन के बिना आयात व निर्यात नहीं किया जायेगा। यह प्रक्रिया अगर लम्बी चली तो म्यांमार से कृषि उत्पादों के निर्यात में देरी हो सकती है। मोटवानी के अनुसार वाणिज्य मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 33 अरब डॉलर के आयात-निर्यात का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके तहत आयात का स्तर निर्यात से ऊपर रहने की संभावना व्यक्त की गई है जिससे वहां 2 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हो सकता है।

केंद्रीय सरकार द्वारा वर्ष -2020- 2021 तक का आयात कोटा 31 मार्च 2020 को घोषित किया जाएगा।।सरकार द्वारा देश के किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिले तथा किसानों को उनकी फसल के भाव समर्थन मूल्य मिलने के लिये उपरोक्त कदम उठाए जा रहे है।।किसानों को उनकी फसल के भाव मिलने के साथ खुले बाजारों में दलहनों के भाव संतुलित रहे उसका भी ध्यान देना होंगा।।मोटवानी ने कहा कि बटाने के भाव बढने से और चना दाल सस्ती होने से अब देश की जनता को शुद्ध चना दाल के बेसन के व्यंजन खाने को मिलेगा।।देश की आजादी के बाद पहिली बार ऐसा देश में प्रसंग बना है।। जिसे विश्व का अजूबा कह सकते है।।।

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