मुंबई: इस साल जुलाई के महीने में देश के अगले राष्ट्रपति के लिए चुनाव होने है। भारतीय जनता पार्टी प्रणब मुखर्जी की जगह अपनी पसंद का राष्ट्रपति बनाना चाहती है और उन्हें इसमें अपने सभी सहयोगी पार्टियों की ज़रूरत पड़ सकती है। राष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना का रुख बीजेपी के लिए काफी अहम् है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड चुनावों में जीत के बाद भले ही राष्ट्रपति चुनावों में बीजेपी के वोट बढ़े हो मगर अब भी एनडीए को 24,522 वोट की ज़रूरत है। इसके अलावा पिछले दो राष्ट्रपति चुनावों में एनडीए का हिस्सा होने के बावजूद शिवसेना ने कांग्रेस के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के पक्ष में वोट डाले है।
महाराष्ट्र के आंकड़े:
महाराष्ट्र विधानसभा की कुल 288 सीटों में से बीजेपी के पास 122 विधायक हैं और पार्टी का दावा है कि उनके पास 12 और विधायकों का समर्थन है। महाराष्ट्र में एक विधायक के वोट का मूल्य 175 है। विधायकों के वोटों के मूल्य के मुताबिक भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए के पास महाराष्ट्र में 34,475 अंक हैं। इसमें शिवसेना के विधायकों के वोटों का मूल्य 11,025 भी शामिल है। वहीं, कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए के पास मौजूदा समय में 15,575 वोट हैं।
गौरतलब है कि अगर शिवसेना राष्ट्रपति चुनावों में बीजेपी को छोड़ यूपीए के उम्मीदवार को समर्थन देती है तो यह संख्या बढ़कर 26,600 वोट हो जाएगी। ऐसी सूरत में बीजेपी के पास 23,450 वोट रह जाएंगे।
इसके अलावा महाराष्ट्र से कुल 67 सांसद हैं इसमें लोकसभा में 48 और राज्यसभा में 19 सांसद हैं। हर एक सांसद के वोट का मूल्य 708 है। एनडीए के पास कुल 52 सांसद हैं जिसमे शिवसेना के सांसद भी शामिल हैं और इनका साझा वोट 36, 816 है। कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए के पास दोनों सदनों में महाराष्ट्र से 15 सांसद हैं और उनके वोटों का कुल मूल्य 10,620 है।
ऐसे में अगर शिवसेना, कांग्रेस के साथ जाती है तो उनके वोटों का कुल मूल्य बढ़कर 25,488 हो जाएगा। यह बीजेपी के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। भाजपा के सूत्रों की माने तो यदि शिवसेना उन्हें समर्थन नहीं दिया तो उन्हें राष्ट्रपति चुनाव के लिए पार्टी को 20,000 से 25,000 वोटों की कमी हो सकती है।
बता दें कि, कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित प्रीति भोज में उद्धव ठाकरे को बुलाये जाने की खबर भी आयी थी मगर शिवसेना के सांसद संजय राउत ने साफ़ कर दिया था कि उद्धव ठाकरे को प्रधानमंत्री का कोई निमंत्रण नहीं आया।
संजय राउत ने कहा था कि पिछले दो राष्ट्रपति चुनाव में बाला साहेब ठाकरे ने किया जो राष्ट्रहित में था। उस समय भी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार चुनाव चर्चा के लिए मातोश्री पहुंचे थे। जो लोग वोट चाहते हैं वे मातोश्री आ सकते हैं। मातोश्री में भी लजीज खाना पकता है।