Published On : Sat, Nov 25th, 2017

संपत्ति कर विभाग : नियोजन के आभाव में राजस्व निर्मिति व वसूली पर गहराया संकट

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नागपुर: पिछले लगभग ४ दशक में शहर की जनसंख्या के साथ सम्पत्तियों में भी ढाई गुना इजाफा हुआ है. लेकिन नागपुर महानगरपालिका के कार्यप्रणाली में कोई बदलाव नहीं आया. इससे मनपा की आय का प्रथम व महत्वपूर्ण स्त्रोत आज भी संकट के दौर से गुजर रहा है. मनपा आयुक्त ने उक्त मामले की गंभीरता को देखते हुए विभाग के सक्षमीकरण के लिए इस विभाग से सेवानिवृत्तों, विशेषज्ञों, इस मामले के कार्यकर्ताओं, संगठनों की अतिशीघ्र चर्चासत्र का आयोजन करना चाहिए. चर्चासत्र के सुझावों को गंभीरता से लेते हुए सफ़ेदपोशों के हस्तक्षेपों को दरकिनार कर संपत्ति कर विभाग को पटरी पर लाने के लिए पहल करने की मांग ‘नागपुर टुडे’ ने की हैं.

तब ( १९७५ से पहले ) जनसंख्या लगभग १० लाख थी और वार्ड ७५ हुआ करता था. तब लगभग २ लाख की सम्पत्तियां थीं और सम्पति कर विभाग का सुचारु रूप से संचलन हो सके इसलिए तब के प्रशासन ने विभाग को ३ हिस्सों में बांट कार्यरत थे. तब कर मूल्यांकन, कर संग्राहक और वारंट विभाग अलग-अलग हुआ करते थे. प्रत्येक कर संग्राहक को ८०० सम्पत्तियों से कर वसूली का जिम्मा हुआ करता था. आज ७५ की जगह १५१ वार्ड और जनसंख्या लगभग ३० लाख हो चुकी है, लेकिन आज ४२ वर्ष बाद संपत्ति कर विभाग पहले के वनस्पत सिकुड़ गया है, इसे पहले की तरह आज के हिसाब से वार्ड निहाय कार्यों का विभाजन समय की मांग है. इस हिसाब से सभी रिक्त पदों को गुणवत्ता व अनुभवी लोगों की भर्ती किया जाना जरूरी समझा जा रही है. आगामी वर्ष २०२१ में पुनः जनगणना होने वाली है, संभवतः शहर की जनसंख्या में ५ लाख और शहर की सम्पत्तियों में एक लाख और इजाफा का अनुमान लगाया जा रहा है. वर्तमान में संपत्ति कर विभाग की समीक्षा करें तो पहले के मुकाबले जनसंख्या ढाई गुणा (६ लाख सम्पत्तियां व अंदाजन २७ लाख जनसंख्या ) से अधिक बढ़ी और विभाग के कर्मी दिनों दिन घटते जा रहे हैं. नतीजा यह महसूस किया जा रहा है कि ‘टेक्निकल’ कार्य विभाग ”नॉन टेक्निकल’ से ले रही है, इसके वजह से कार्यपद्धति में त्रुटियां ज्यादा निकल रही हैं. त्रुटियों के निवारण की शीघ्र व उचित व्यवस्था के साथ अधिकारी नहीं होने के कारण राजस्व निर्माण व वसूली पर गहरा असर पड़ा है. इस ओर मनपा में ऊपर से लेकर नीचे या खाकी से लेकर खादी तक किसी का ध्यान नहीं है.

पुनर्मूल्यांकन कभी हुआ नहीं पूरा
वर्ष १९८८ के बाद आज तक पुनर्मूल्यांकन का काम ७०% भी पूरा नहीं हुआ. इतना ही नहीं हज़ारों सम्पत्तियों का मूल्यांकन भी नहीं किया गया.शहर की कई शिक्षण संस्थाएं जो निवासी कर देकर अपने परिसर में वर्षों से चल रही व्यावसायिक (उदाहरणार्थ रामदेवबाबा कॉलेज,एलएड अप्पर,एलएडी लोवर,वीएनआईटी में नेस्कैफे के स्टॉल आदि-आदि ) उपक्रम. आधा दर्जन दफे संपत्ति कर विभाग को ध्यान में लाने के बाद भी चुप्पी समझ से परे है.

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वर्ष १९९६ से आज तक पुनर्मूल्यांकन का काम निजी हाथों में दिया जाता रहा. कुछ वर्ष पूर्व साइबरटेक को दिया गया, जिसका कार्य पद्धति विवादित होने पर गत आमसभा में घंटा भर गूंजा.निजीकरण से मनपा और संपत्ति कर विभाग के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ, बल्कि विवादित ही होती गई. सभी निजी एजेंसियों के कार्य पद्धति और रिपोर्ट में खामियों के साथ गलतियों से विभाग को तगड़ा अनुभव प्राप्त हुआ.

‘ले-मैन’ की मांग
शहर में सम्पत्तियों का मूल्यांकन एक साथ न करते हुए जोन या विधानसभा स्तर पर चरणबद्ध हो, ताकि एक तरफ से काम पूर्ण होता रहे और दूसरी ओर मनपा के सम्पत्तिकर विभाग के कर्मियों के हस्ते ‘मैन्युअल’ किया जाएगा तो निजी संस्थाओं पर किये जाने वाले खर्च से बचत होगी. इससे प्रत्येक वर्ष राजस्व में वृद्धि दिखना शुरू हो जाएंगी.वर्तमान जनसंख्या के अनुसार ‘टेक्निकल’ व ”नॉन टेक्निकल’ की भर्ती हो. पूर्व की तरह संपत्ति कर विभाग में कर मूल्यांकन,कर संग्राहक और वारंट के लिए उप विभाग अलग-अलग हो.विशेष यह कि सकारात्मक भावनाओं के मध्य तत्परता कायम रखते हुए जो भी खामियां हैं,उसका निपटारा हो, ताकि राजस्व बढ़ोतरी का मार्ग प्रसस्त हो सके. इससे न्यायलय जाने वाले प्रकरणों में कमी आएगी, वरना मनपा के स्थानीय स्वराज संस्था के अस्तित्व को खतरा पहुंचते देर नहीं लगेगी.

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