नागपुर: शनिवार १७ सितंबर २०१६ को रेती घाट के ठेकेदारों ने संयुक्त रूप से आगामी २० सितंबर २०१६ को वर्ष २०१६-१७ के लिए ऑनलाइन रेती घाट निलामी का विरोध करने की घोषणा को शिवसेना उपप्रमुख वर्द्धराज पिल्ले ने ढोंग करार दिया. अगर निलामी का विरोध ही करना था तो इन्हीं में से ४ दर्जन से अधिक लोगो ने ठेके लेने हेतु पंजीयन करवाये हुए है. अर्थात यह दिखावा छोटे और नए लोगों को इस पेशे से दूर रख सके.
पिल्ले के आरोपो का समर्थन करते हुए जिला खनन (माइनिंग विभाग) विभाग के एक कर्मी ने जानकारी दी कि वर्षो से रेती घाट का ठेका जिला प्रशासन की अगुआई में दिया जा रहा है. रेती घाट का ठेका लेने वाले अधिकांश या तो किसी कंपनी के नाम पर या फिर अपने किसी “बलि के बकरे” के नाम पर लेते रहे है. रेती घाट धंधा नियम व शर्तो के आधार पर किया जाता तो कभी रेती घाटो की बोली करोडों में नहीं जाती, लेकिन गैरकानूनी ढंग से किया जाता है इसलिए कोई बवाल हुआ तो “अपने बलि के बकरे” को शहीद कर अपना दामन बचा लेते रहे है.
पहले जिले के रेती घाट की बोली में चुनिंदा लोग ही उतरा करते थे और घाटो की बोली हज़ारों से शुरू होकर लाखों में समाप्त हो जाया करती थी.जब से इस धंधे में निवेश की रकम चौगुना बनते दिखने लगी, इस धंधे में स्पर्धा के साथ गैरकानूनी कृत भी बढ़ा. इस गैरकानूनी कृत में जिलाधिकारी, खनन अधिकारी, उपविभागीय अधिकारी, तहसीलदार, बीट अधिकारी, पटवारी और सरपंचों ने स्वयं हितार्थ निसर्ग से खिलवाड़ करने की मौखिक अनुमति देकर खुद के साथ रेती व्यवसाय में कूदे इच्छुकों की जेबे गर्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
उक्त कर्मी के अनुसार शनिवार को जिन रेती घाट के ठेकेदारों ने २० सितंबर २०१६ को ऑनलाइन रेती घाट के ठेके पद्धति का विरोध जताया, इन्हीं में अधिकांश ने विभिन्न नामो से रेती घाट लेने हेतु पंजीयन करवाया, पंजीयन करवाने वालों की संख्या ५० के आसपास है.जब रेती घाट के वर्त्तमान नियम-शर्त का विरोध ही करना था तो पंजीयन क्यों करवाये?
विरोध के पीछे का कारण बताते हुए उक्त कर्मी ने जानकारी दी कि विरोधकर नए लोगो सहित छोटे ठेकेदारों को रेती घाट लेने से रोका जा सके. जबकि २० सितंबर २०१६ को इन्हीं में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रेती घाट के निलामी में भाग लेंगे. बाद में फिर जिला प्रशासन से समझौता कर सब एक हो जायेंगे.
पिल्ले के अनुसार पिछले साल रेती घाट के ठेके लेने के पहले जिले के रेती घाट व्यवसाय में शामिल लोगो ने मध्यप्रदेश के कुछ इच्छुकों के संग नागपुर जिले के रेती घाट का सभी ठेके हथियाने के लिए एक अपंजीकृत कंपनी बनाई, इस कंपनी में नितिन कमाले और वर्द्धराज पिल्ले शामिल नहीं हुए. उक्त कंपनी के सदस्यों ने अपना-अपना शेयर एक जगह जमा कर विभिन्न नामो से निलामी में घाट लिए. जिन घाटो पर (माल) रेती ज्यादा था, उन घाटो की रॉयल्टी बुक ख़त्म होने पर दूसरे घाटो की रॉयल्टी बुक का इस्तेमाल किये. लगभग सभी घाटो में मशीन का उपयोग कर दिन-रात रेती उत्खनन किए. किसी को नुकसान नहीं हुआ है.
बंद “बिना” के बाजु वाली रेती घाट में हो रहा अवैध रेती उत्खनन
उल्लेखनीय यह है कि शुक्रवार को “ड्रोन” का इस्तेमाल कर मशीन से रेती उत्खनन किये जाने का मामला प्रकाश आने पर ‘बिना” रेती घाट का करारनामा जिला प्रशासन ने रद्द किया।उक्त घाट बंद होते ही बाजु के घाट (एस.के. इंटरप्राइसेस के नाम लिया गया था) में शनिवार सुबह से रेती उत्खनन शुरू किया गया. शनिवार से समाचार लिखे जाने तक वैध-अवैध रूप से २५० के आसपास रेती निकाल कर गंतव्य स्थान पर पहुंचा दिया गया है. इस घाट पर मशीन से सुबह-सुबह (सुबह ६ बजे के पूर्व) और शाम ६ से ८ बजे के मध्य रेती उत्खनन किया रहा है.
उसी तरह कामठी तहसील के सोनेगांव रेती घाट में मशीन के इस्तेमाल से रेती उत्खनन किया जा रहा है, इसकी जानकारी स्थानीय उपविभागीय अधिकारी और तहसीलदार को है.