नागपुर: वर्ष २०१४ में हुए राज्य विधानसभा चुनाव में प्रतिष्ठा खो चुकी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को पुनर्जीवित करने के लिए पदाधिकारी अभी से ही सक्रिय हो चुके हैं. वैसे विधानसभा चुनाव को नियमानुसार लगभग डेढ़ वर्ष बाकी है.
याद रहे कि शिवसेना से अगल होकर स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे ने नवनिर्माण सेना की स्थापना की. इस पार्टी के जरिये उन्होंने मराठी भाषी और उसकी अस्मिता को तवज्जों देने के साथ ही साथ उत्तर भारतीयों को भी पक्ष प्रमुख पदों पर आसीन कर जिम्मेदारियां सौंपी. जबकि राज ठाकरे के सार्वजानिक हरकतों से ऐसा प्रतीत होता रहा कि वे उत्तर भारतीयों के धुर विरोधी है. पक्ष की स्थापना के बाद पहली मर्तबा विधानसभा चुनाव लड़ने वाली मनसे के १३ उम्मीदवार जीतकर विधानसभा पहुँचे. नासिक महानगरपालिका में मनसे की सत्ता आई. नागपुर मनपा में २ नगरसेवक थे.
वर्ष २०१४ में हुए विधानसभा चुनाव में मनसे १३ से १ पर लुढ़क गई, ऐसा लग रहा था कि मनसे की मान्यता रद्द हो जाएंगी. इसी दौरान मनसे नेता प्रवीण दरेकर ने पार्टी छोड़ दिया.
आगामी लोकसभा व विधानसभा एकसाथ करवाने के मामले पर चुनाव आयोग विचार कर रही है. इसी क्रम में पटरी से उतरी इंजन को पटरी पर लाने के लिए राज ठाकरे खुद सक्रीय हो चुके हैं. यह बात और है कि इसके पीछे का छुपा एजेंडा कुछ और ही होगा. मनसे के चुनावी मैदान में कूदने से मनसे करीबियों को लाभ मिलना कड़वा सत्य है.
राज ठाकरे के आदेश पर मनसे के उपाध्यक्ष और महासचिव राज्यभर का दौरा कर उसकी रिपोर्ट राज ठाकरे को सौंपेंगे. इस रिपोर्ट की समीक्षा के बाद राज ठाकरे खुद १५ अप्रैल से राज्य की प्रक्रिमा लगाकर मनसे कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा से ओत-प्रोत करेंगे और साथ में मनसे से जुड़ने वालों को बिना प्रतीक्षा करवाए जोड़ते चले जाएंगे.
राज ठाकरे के दौरे की शुरुआत विदर्भ के चंद्रपुर जिले से होगी. अर्थात इस बार राज ठाकरे चुनिंदा शहरों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय सम्पूर्ण राज्य के लोकसभा की ४८ सीटों पर मनसे का उम्मीदवार उतार सकती है.