दिल्ली/नागपुर: नागपुर शहर में अभी तक केवल राज्य कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष नितिन राऊत का नाम फाइनल हुआ है. पिछली बार तीसरे स्थान पर रहने के बावजूद नागपुर उत्तर की आरक्षित सीट से केंद्रीय चुनाव समिति ने उनका नाम तय कर दिया है. इसके अलावा पश्चिम नागपुर से शहर काग्रेस अध्यक्ष विकास ठाकरे, मध्य नागपुर से बंटी शेल्के तथा पूर्व नागपुर से अभिजीत वंजारी का नाम पैनल में एक नंबर पर है.
CM के खिलाफ पैनल में 4 नाम
राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ नागपुर दक्षिण-पश्चिम वाली सीट पर नरेंद्र जिचकर का नाम पैनल में सबसे पहले स्थान पर रखा गया है, जबकि रणजीत देशमुख के पुत्र आशीष और अमोल देशमुख दोनों के नाम वहां पैनल में रखे गए हैं. लोकसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के खिलाफ उतरे किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नाना पटोले का नाम भी वहां पैनल में रखा गया है. बुधवार रात 11 बजे जब छानबीन समिति की बैठक खत्म हुई थी और राजस्थान के मंत्री हरीश चौधरी की कार जैसे ही कांग्रेस के वार रूम से बाहर निकली, तो वहां के गेट पर उनका इंतजार कर रहे नरेंद्र अपना परिचय देते हुए उनकी कार में बैठ कर चले गए थे.
पश्चिम नागपुर
पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि नागपुर पश्चिम से शहर कांग्रेस के अध्यक्ष विकास ठाकरे का नाम पहले स्थान पर है. वे मुख्यमंत्री से 10 साल पहले हारे थे. पिछली बार उनसे हारने वाले प्रफुल्ल गुड़धे पाटिल और अमोल देशमुख का नाम भी वहां के पैनल में है.
मध्य नागपुर
नागपुर मध्य वाली सीट पर यूथ कांग्रेस के बंटी शेलके पहले स्थान पर हैं, जबकि आसिफ कुरैशी और नंदा पराते का नाम भी वहां पैनल में है. बताया जा रहा है कि नागपुर दक्षिण की सीट पर विशाल मुत्तेमवार और अतुल लोंढे, जबकि नागपुर पूर्व की सीट पर अभिजीत बंजारी और उमाकांत अग्निहोत्री आदि के नाम पैनल में हैं.
सतीश, अनिस को टिकट नहीं
पार्टी के बड़े सूत्रों ने संकेत दिया है कि 2 वरिष्ठ नेताओं सतीश चतुर्वेदी और अनीस अहमद को इस बार खुद चुनाव में फंसाने की बजाय पार्टी उनका चुनावी प्रबंधन और प्रचार में इस्तेमाल करने की इच्छुक है. राज्य के ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के खिलाफ उतारने के लिए कामठी में अभी पार्टी को योग्य उम्मीदवार नहीं मिल पा रहे हैं और इसलिए उस सीट पर कोई चर्चा तक अभी छानबीन समिति में नहीं की गई है.
चव्हाण को हां, नाना को ना
लोकसभा का चुनाव हारनेवाले उम्मीदवारों में से मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे अशोक चव्हाण को छोड़कर किसी भी अन्य नेता की टिकट अभी तक फाइनल नहीं है. चव्हाण अपनी पत्नी की जगह नांदेड़ जिले की भोकर सीट से उतरेंगे. दूसरी ओर किसान मोर्चा के अध्यक्ष नाना पटोले फिलहाल पैनल में हैं. वे खुद तो अपनी पुरानी विधानसभा सीट साकोली से लड़ना चाहते हैं. 2004 में कांग्रेस में रहते हुए वे लखांदूर से जीते थे, जबकि साकोली को तब सेवक वाघाये ने जीता था. परिसीमन में लखांदूर का साकोली में विलय हो जाने के बाद 2009 और 2014 में दोनों बार भाजपा टिकट पर नाना ने यहां जीत प्राप्त की थी और दोनों ही बार कांग्रेस के उम्मीदवार सेवक वाघाये को ही हराया था. सेवक अब चुनाव लड़ने पर अड़ गए हैं और इसीलिए राष्ट्रीय नेता होते हुए भी नाना पटोले का नाम वहां पैनल में रखना पड़ा है. वैसे तो नाना ने अपने नजदीकियों को यह संकेत दे दिया है कि उनकी टिकट पक्की है और उन्होंने वहां से चुनाव तैयारियां शुरू कर दी हैं, लेकिन पार्टी का एक ताकतवर धड़ा उन्हें राज्य के मुख्यमंत्री के खिलाफ लड़ाने का जोर लगा रहा है.
गडकरी से हारे
सूत्रों के अनुसार छानबीन समिति की बैठक में बुधवार रात इस पर काफी जद्दोजहद भी हुई है. नाना ने भाजपा से बगावत करते हुए भंडारा की लोकसभा सीट छोड़ी थी और फिर वह विधानसभा में आने के इच्छुक रहे हैं. लेकिन पार्टी नेतृत्व के आदेश पर उन्होंने ताकतवर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के खिलाफ नागपुर से मैदान में उतरना पसंद किया था. वह हार तो गए, लेकिन शायद यह अंदाज तब उन्हें नहीं रहा होगा कि विधानसभा की टिकट के लिए भी उन्हें काफी पापड़ बेलने पड़ेंगे. उत्तर नागपुर से राऊत लड़ेंगे