Published On : Sat, Jan 12th, 2019

सफाई कर्मियों की नियुक्तियां समिति सिफारिशों को ताक पर रखकर की गई, मनपा आयुक्त से जांच की मांग

नागपुर: मनपा की प्रचलित परंपरा के अनुसार लाड-पागे समिति की सिफारिशों के अनुसार सफाई कर्मियों के वारिसों को मनपा में नियुक्त किया जाता है. इसके पूर्व समिति की सिफारिशों को दरकिनार कर अनेक नियुक्तियों का मामला प्रकाश में आया था, जिसके विरोध में आंदोलन भी हुए, जिसका क्रम आज भी जारी है.

अब फिर से नियुक्तियों का सिलसिला शुरू हुआ. इस क्रम में उम्मीदवारों की सूची सार्वजानिक की गई, जिसमें पुनः धांधली की बू आने का आरोप लगाया गया. जल्द ही इस सन्दर्भ में सम्बंधित कामगार संगठन न्यायालय में याचिका दायर कर गुहार लगाएंगे.

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याद रहे कि समिति की सिफारिश अनुसार प्रलंबित नियुक्तियों की फेरहिस्त काफी लम्बी है. अनेको प्रकरण में नियुक्तियां होने में देरी होने से लाभार्थी उम्मीदवारों की उम्र सीमा ख़त्म हो गई या होने के कगार पर पहुंच चुकी है. ऐसी स्थिति में उनके वारिसों को नियुक्ति देने का निर्णय मनपा प्रशासन ने ५ अक्टूबर २०१६ को लिया था. तब से अब तक हुई देरी के कारण और २ दर्जन के आसपास लाभार्थी उम्मीदवारों की उम्र सीमा पार हो गई, प्रशासन की नियत से ये सभी नौकरी से वंचित हो गए.

२० अप्रैल २०१७ को १८ आवेदकों को नियुक्ति देने के मामले में आम सभा की मंजूरी ली गई. मंजूरी देने के पूर्व विधि समिति सभापति अधिवक्ता धर्मपाल मेश्राम ने सिफारिश की थी कि इसमें सफाई कामगारों के विवाहित लड़कियों को भी लाभार्थी सूची में स्थान दिया जाए. इनकी सिफारिश को तरजीह देते हुए प्रशासन ने कुल ३५ आवेदकों को नियुक्ति देने के प्रस्ताव पर मंजूरी प्रदान की थी.

इसके बाद मनपा स्वास्थ्य विभाग ने ५ जनवरी २०१९ को आमसभा में प्रस्तुत की १८ आवेदकों में से पात्र-अपात्र आवेदकों की सूची प्रकाशित की. आमसभा में निर्देश दिया गया था कि ६ माह के भीतर सभी की नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण हो जानी चाहिए।कुछ माह बाद १८ में से ७ आवेदकों को अपात्र कर दिया गया.

उक्त अनियमितता को लेकर महाराष्ट्र प्रदेश कामगार सफाई महासंघ ने विगत दिनों मोर्चा निकाला और मनपायुक्त को ज्ञापन सौंपा और मांग की कि उक्त सभी प्रक्रिया को तत्काल स्थगित करें. साथ ही सूक्ष्मता से जाँच की जाए, अन्यथा न्यायालय की शरण में जाएंगे.

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