नागपुर: गुरुपुर्णिमा के शुभ अवसर पर अनेको दिव्य आध्यात्मिक अनुभवो का आचमन कर उसपर वर्षो की मेहनत के बाद गुरु के प्रति अपार श्रद्धा समर्पण और गुरु का शिष्य के प्रति अतीव प्रेम को दर्शाने वाली अद्भुत पुस्तक ‘कृपे लाभले सदगुरु चरण ‘ का आज विमोचन कर समाज के आध्यात्मिक जनों को सीधा लाभ मिल सके इसलिए बुक स्टॉलस पर उपलब्ध कराया गया है… श्रीमती प्राजक्ता जोशी ममतामयी स्वभाव की मृदुल गृहनी रही है जो हमेशा धर्म के आचरण की पक्षधर रही है.
पात्रता होने पर गुरु खुद कैसे अपने शिष्य को खोज लेते है इसका साक्षात् उदाहरण है श्रीमती प्राजक्ता जोशी और गुरुपूर्णिमा के दिन ही उनके वर्षो की साधना और तपस्या के अनुभवों के पुष्प से सजाई गई पुस्तक का विमोचन किया गया…प्रताप नगर मे गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष मे भक्त समूह गुरुपूजन के लिए एकत्रित हुए और अति पवित्र वातावरण मे पूजन किया गया.. विमोचन श्रीमती जयश्री तिवारी के हाथों किया गया. दादा अंधारे मुख्य अतिथि के रूप मे उपस्थित थे.
विमोचित की गई इस असाधारण पुस्तक की निर्मिति की कथा भी आश्चर्यचकित करने वाली जरूर है..वर्षो पहले श्रीमती जोशी को अनेक आध्यत्मिक संकेत मिलने लगे थे उन नयी अनुभूतियों के चलते वे पहले परेशान होकर घबराने लगी…खुद को कोई सम्भरम तो नहीं यही सोचते हुए नवनाथ ट्रस्ट के दादा अंधारे से मार्गदर्शन मिला.
संशोधन और तथ्यों की जांच के बाद पता चला के श्रीमती जोशी के कई जन्मो के गुरु ही उन्हें संकेत देते हुए अपने तक पहुंचने का मार्गदर्शन कर रहे थे.. गुरु की लीला और शिष्य के समर्पण के बाद ज्ञान वर्धन का कार्य हुआ शुरू.. लगातार प्रतिदिन गुरु साक्षात्कार होने लगा और अनमोल अध्यात्मिक सूचनाएं मिलने लगी और गुरु के उन्ही निर्देशों को लिपिबद्ध करती रही श्रीमती प्राजक्ता जोशी…आध्यात्मिक विश्व मे श्रद्धा रखने वालों के साथ ही सामान्य जनों के उत्थान और प्रगति के सूत्र गुरु द्वारा बताये गए ही है । मिल रहे निर्देशों मे कितनी सच्चाई है यह जाँचने के लिए श्रीमती प्राजक्ता जोशी को सहयोगी हुई संध्या दंदे और श्रीमती सुषमा देशपांडे .
इन सब ने जब मिल कर तथ्यों को जाँचा तो गुरु द्वारा निर्देशित हर बात हर स्थान जथास्थिति पाया गया । गुरु कृपा की अनुभूति का ही सत्य विवरण इस पुस्तक मे पिरोया गया है जो साधक ही नहीं अपितु सारे समाज को आधार और फल प्रदान करने वाला है । लेखिका श्रीमती प्राजक्ता की पाठको को बिनती की है के इसको विवेक और आकलन की बुद्धि के साथ पठन करें..