‘ऊंट के मुंह में जीरे समान’
मुंबई/नागपुर: महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के पिछड़े इलाकों के औद्योगिक क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए बिजली दरों को कम कर औद्योगिक क्षेत्र के लिए जो राहत दी है, वह अधूरी ही नहीं बल्कि अन्य पड़ोसी राज्य जैसे-छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश तथा गुजरात की तुलना में काफी कम है। इसके बाद भी महाराष्ट्र की दरें अन्य राज्यों के बिजली दरों की तुलना में काफी ज्यादा हैं। फलस्वरूप राज्य के निवेश की स्पर्धा से बाहर होने की संभावना है। महाराष्ट्र सरकार ने पिछले सप्ताह घोषणा कर राज्य के विदर्भ, मराठवाड़ा, उत्तर महाराष्ट्र तथा डी व डी-प्लस औद्योगिक जोन के लिए बिजली दरों को कम करके राहत देने की कोशिश की है। राज्य के ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा था कि, यह राहत देने के बाद मुंबई महानगर, पुणे तथा नासिक जिले के ए.बी.सी जोन में जो उद्योगों की भीड़ है, वह कम होगी और कुछ उद्योग विदर्भ, मराठवाड़ा तथा उत्तर महाराष्ट्र जैसे पिछड़े क्षेत्र में स्थानांतरित होंगे। बावनकुले ने कहा था कि ” 2016-17 के बजट में हमने 1,011 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इससे पावर सप्लाई कंपनी को सीधे सब्सिडी मिलेगी जिसकी वजह से इन क्षेत्रों के बिजली दर कम करने में कंपनी को सहायता मिलेगी।”
उल्लेखनीय है कि फिलहाल राज्य के करीब 4 लाख 15 हजार औद्योगिक बिजली ग्राहक प्रति यूनिट 8 रुपए 23 पैसे से लेकर 13 रुपये तक प्रति यूनिट के हिसाब से भुगतान करते हैं, जो बिजली के उपयोग पर निर्भर हैं। राहत की यह दरें कुछ चुनिंदा क्षेत्र के लिए 1 अप्रैल 2016 से लागू की गई थीं। जिसमें विदर्भ के लिए 1 रुपए 25 पैसे से 1 रुपए 75 पैसे तक प्रति यूनिट के हिसाब से दर कम की गई थी। सूखाग्रस्त मराठवाड़ा में यह राहत 1 रुपए 50 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से है तथा उत्तर महाराष्ट्र एवं डी व डी-प्लस जोन के लिए 50 पैसे से लेकर 1 रुपए प्रति यूनिट तक राहत दी गई है। नागपुर के एक उद्योजक का कहना है कि इस राहत से मौजूदा तथा नए उद्योगों को मदद मिलेगी तथा जो ग्राहक खुले बाजार मेअन्य बिजली बिक्री करने वाली इकाई से बिजली खरीद रहे हैं वे भी ‘महाडिस्कॉम’ की तरफ लौटेंगे। जो उद्योग प्रति माह 1 लाख यूनिट से अधिक बिजली का उपयोग करते हैं, उन्होंने बिजली की उच्च दरों की वजह से पिछले 4 सालों से ‘महाडिस्कॉम’ से बिजली खरीदना बंद कर दिया है। दरों में हुई कमी की वजह से वे भी ‘महाडिस्कॉम’ से बिजली खरीदेंगे। एक अन्य उद्योजक का कहना है कि, राहत केवल ‘मृग मरीचिका’ है। ‘महाडिस्कॉम’ ने बिजली दरों में बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव भेजा है जो 2016-17 से अगले 4 वित्तीय वर्ष के लिए लागू रहेगा। समय-समय पर कृषि के क्षेत्र में किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी के मद्देनजर होनेवाला घाटा तथा कई सालों में बिजली के खरीदी में हुई बढ़ोत्तरी के चलते 38, 987 करोड़ रुपयों का संचित घाटा है। इस घाटे को खत्म करने के लिए ‘महाडिस्कॉम’ ने राज्य के 2.5 करोड़ ग्राहकों पर दरों में 5.5 प्रतिशत बढ़ोत्तरी का पिछले मार्च में प्रस्ताव भेजा था। यह प्रस्ताव अभी भी महाराष्ट्र बिजली नियामक आयोग (एमईआरसी) के समक्ष रखा है।
‘महाडिस्कॉम’ ने 2016-17 से लेकर 2020 तक पूरे राज्य में 50 पैसे से लेकर 2 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब बढ़ोत्तरी का यह प्रस्ताव भेजा है।
अगर ‘महाडिस्कॉम’ का यह प्रस्ताव आयोग मंजूर कर लेता है तो पिछडे क्षेत्र के लिए सरकार द्वारा दी गई राहत केवल 30 से 60 पैसे की रह जायेगी, जिससे औद्योगिक विकास में निवेश संभव नहीं है।
बहरहाल, महाडिस्कॉम के प्रवक्ता का कहना है कि, आयोग ने यह प्रस्ताव अभी स्वीकार नहीं किया है, हमने केवल प्रस्ताव भेजा है और वह स्वीकारा ही जायेगा ऐसा कहा नहीं जा सकता है। लेकिन यह भी सच है कि प्रस्ताव न स्वीकारने के मामले इक्का-दुक्का ही हैं। मिसाल के तौर पर ‘महाडिस्कॉम’ ने दरो में 7.94 प्रतिशत बढ़ोत्तरी की मांग की थी, जिसे आयोग ने 5.75 प्रतिशत कर दिया।