– लाखों ग्राहक वर्ग आज भी संकट में
नागपुर : न तत्कालीन विपक्ष और न ही वर्त्तमान सरकार बिजली ग्राहकों की समस्या समझ पाई.नतीजा काफी विरोध के बाद वर्त्तमान सरकार ने एसएनडीएल को तो नागपुर शहर से बेदखल कर दिया लेकिन समस्या आज भी जस के तस ग्राहकों को आर्थिक-मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ रही हैं.क्यूंकि एसएनडीएल ने जितने भी ग्राहकों के मीटर बदल नए मीटर लगाए फर्राटे से दौड़ रही हैं.
याद रहे कि एसएनडीएल की कार्यप्रणाली से शहर की ३ ज़ोन की जनता काफी परेशान हो गई थी.इनके आते ही बिजली बिल में दोगुना-तिगुणा इजाफा होने लगा था.ग्राहकों की शिकायतों पर एसएनडीएल ने पुराने मीटर बदल कर नए मीटर लगाए।यह मीटर पहले से भी द्रुत गति से दौड़ने लगा और ग्राहकों की जेबें बड़े पैमाने पर ढीली होने लगी.इतना ही नहीं बड़ी बड़ी बिल भेज दलालों के मार्फ़त जबरन वसूली भी करते रहे.इस मसले की सुनवाई कहीं नहीं हुई,बल्कि जिसने बिल भुगतान नहीं किया उनकी बिजली खंडित की जाने लगी.
जनाक्रोश बढ़ते ही बिना सूक्ष्म अध्ययन किये तत्कालीन विपक्ष ने इसे भुनाते हुए गल्ली से लेकर मुंबई विधानसभा में मसला उछाला व आंदोलन किया। फिर राज्य में उनकी सरकार सत्ता में आई तो एसएनडीएल सगे हो गए.अब जबकि पुनः विधानसभा चुनाव होने वाली हैं,बिना किसी आंदोलन के सरकार ने ही एसएनडीएल को ठेके से बेदखल कर दिया।
उल्लेखनीय यह हैं कि सवाल तब भी वहीं था,आज भी वहीं हैं.जनता को दरअसल एसएनडीएल के नए मीटर से ज्यादा परेशानी थी,जो बेलगाम दौड़ जनता के जेबें ढीली कर रही.एसएनडीएल को हटा कर सरकार खुद की पीठ थपथपा रही,दूसरी ओर एसएनडीएल की मीटर कायम होने से जनता रूपी ग्राहक वर्ग पूर्वतः समस्याओं से जूझ रही हैं.
यह तय हैं जब तक एसएनडीएल द्वारा लगाए गए मीटर नहीं हटाए जाते,जनता को एसएनडीएल की मीटर की मार सहनी ही पड़ेंगी।
महावितरण के सँभालते ही नई समस्याएं शुरू
कल सोमवार से शहर की ३ ज़ोन का कामकाज पुनः महावितरण ने अपने कब्जे में ले लिया।कुछ वक़्त के लिए कुछेक जगहें बिजली गुल रही तो कुछेक जागरूक बिल अदाकर्ता ऑनलाइन बिल भुगतान करने की कोशिशें की तो सिस्टम ने साथ नहीं दिया।कुछेक ग्राहकों के बिलों में त्रुटियाँ देखि गई,बिल में यूनिट सैकड़ों में और बिल की कुल राशि शून्य दर्शाई गई.ऐसे ग्राहकों को बाद में महावितरण पूर्व के अनुभव बताते हैं कि आदतन लम्बे चौड़े बिल थमा सकता हैं.
एसएनडीएल – कनक कर्मियों के भविष्य संकट में
केंद्र,राज्य और मनपा में एक ही पक्ष की सरकार हैं,इनका दावा था कि वे बेरोजगारी ख़त्म करेंगे।लेकिन इनके ही शासन में लाखों युवाओं को मंदी की आड़ लेकर बेरोजगार कर दिया गया.इससे अछूता नागपुर भी नहीं रहा.एसएनडीएल और कनक को सरकार व सत्तापक्ष ने बाहर का रास्ता दिखाने से हज़ारों कर्मियों का भविष्य संकट में आ गया.
उक्त दोनों ही कंपनियों में हज़ारों में ठेका श्रमिक कार्यरत थे,बेरोजगारी की कगार पर खड़े उक्त लगभग सभी कर्मी अनुभवी-तकनिकी हैं.साथ ही अधिकांश स्थानीय हैं.शहर के जागरूक नागरिकों की मांग हैं कि रोजगार देने के अवसर खो दिए ,कम से कम बेरोजगार करने की बजाय इन्हें कहीं न कहीं समक्ष कंपनियों में प्राथमिकता ही दी जाये।