नागपुर: नागपुर यूनिवर्सिटी द्वारा कई वर्षों से विद्यार्थियों के रिजल्ट पिता के नाम से मिलने की शिकायतें विद्यार्थियों द्वारा की जा रही है. नागपुर यूनिवर्सिटी के विभिन्न विभागों में पढ़नेवाले कई विद्यार्थियों के रिजल्ट में उनके पिता का नाम पहले और उसके बाद विद्यार्थियों के नाम सामने आए हैं. जिसके कारण ऐसे में विद्यार्थियों के इन नामों को सुधारने के लिए परीक्षा भवन में जाकर शुल्क देते हैं और उसके बाद उन नामों में सुधार किया जाता है.
हालांकि इन मामलों में ज्यादातर गलतियां विभाग के क्लेरिकल स्टाफ की होती है या फिर परीक्षा भवन के कर्मचारियों की. लेकिन इसके लिए शुल्क विद्यार्थियों से ही लिया जाता है और परेशानी भी उन्हें ही होती है. कई विद्यार्थियों ने बताया कि चार सेमेस्टर के रिजल्ट में से पहले रिजल्ट का नाम ठीक है लेकिन उसके बाद के रिजल्ट में नाम पिता का है. सवाल यह उठता है कि जब पहले रिजल्ट में नाम सही है और उसी नाम से परीक्षा भवन के डेटा में उसका नाम सेव हो चुका है तो हर बार उस विद्यार्थियों का नाम क्यों गलत हो रहा है. इसका अर्थ यह है कि विभाग क्लेरिकल डिपार्टमेंट को भले ही नाम भेजे लेकिन परीक्षा भवन में बैठे कर्मचारी नाम की जांच करने और पहले सेमेस्टर में विद्यार्थियों के नाम की स्पेलिंग का मिलान नहीं करते.
नागपुर यूनिवर्सिटी और परीक्षा भवन भले ही इसमें कुछ गलती विद्यार्थियों के भी माने लेकिन इसमें संज्ञान लेनेवाली बात यह है कि जो विद्यार्थी पहली से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक अपना नाम लिखता आया हो वह विद्यार्थी इस तरह की गलतियां कैसे करेगा. लेकिन परीक्षा भवन का यह कहना है कि इसमें विद्यार्थी जिस सम्बंधित विभाग में पढ़ता है, गलती उस विभाग की होती है जिससे नाम गलत होता है. लेकिन अगर विभाग की भी गलती हो तो उसका भुगतान विद्यार्थी क्यों करे यह समझ से परे है. नागपुर यूनिवर्सिटी भले ही विद्यार्थियों के लिए कितनी भी डिजिटल सुविधाएं देने के दावे करते आ रही हो. लेकिन नामों की गलतियों को सुधारने में यूनिवर्सिटी का वही हाल है जो दस साल पहले था. इसमें कोई दो राय नहीं है.
इस बारे में नागपुर यूनिवर्सिटी के परीक्षा भवन के विभाग नियंत्रक नीरज ख़टी ने इसमें परीक्षा भवन के कर्मचारियों की कहीं पर भी गलती नहीं होने का दावा किया. खटी ने बताया कि जब पहले सेमेस्टर में परीक्षा फॉर्म भरे जाते हैं तो विद्यार्थी जिस विभाग में पढ़ता है वहां से उसकी पढ़ाई से सम्बंधित फॉर्म भरे जाते हैं. जिसके कारण विभाग के क्लेरिकल डिपार्टमेंट की यह जिम्मेदारी है कि उन्होंने नाम चेक करके भेजने चाहिए. इसमें परीक्षा भवन के कर्मियों की कोई गलती नहीं है. डिपार्टमेंट के क्लेरिकल स्टाफ की गलती है.