Published On : Wed, Feb 10th, 2021

कमीशनखोर के नेतृत्व में समीक्षा समिति

– मिलेगा भ्रष्टाचार को बढ़ावा,समिति के इन्हीं सदस्यों ने आजतक आयुक्त द्वारा गठित सीसी रोड फेज-2 टेंडर व भुगतान घोटाले की जांच पूरी कर रिपोर्ट सार्वजानिक नहीं किया


नागपुर – पिछले आर्थिक बजट काल में मंजूर किये गए प्रस्ताव जिसकी कार्यादेश अथवा निविदा प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी थी,उसे रोक दिया गया था,अब उन प्रस्तावों की समीक्षा करने हेतु मनपायुक्त ने एक समिति गठित की,जिसमें दिग्गज कमीशनखोर का समावेश किया गया.मुख्यालय परिसर में गर्मागर्म चर्चा यह हैं कि मनमाफिक कमीशन देने वालों के प्रस्तावों को क्रियान्वयन की अनुमति दी जाएगी।

उक्त शंका के पीछे बड़ा तर्क यह हैं कि समिति प्रमुख बिना कमीशन के एक भी हस्ताक्षर नहीं करती,इस चक्कर में मनपा में कम ही बैठती हैं.इनके समक्ष अधिकारियों से भी इनका मधुर सम्बन्ध नहीं हैं.इनकी यही हाल NMRDA में भी हैं.

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समिति के दूसरे प्रमुख सदस्य को PRACTICAL KNOWLEDGE रत्तीभर नहीं हैं,हमेशा विवादों में ही रहे,जुगाड़ टेक्नोलॉजी के तहत पदोन्नत होते रहे,इन्हें इस समिति में इनके वर्त्तमान पद के कारण स्थान दिया गया.

उक्त दोनों ही अधिकारी सीमेंट सड़क फेज-2 में हुए टेंडर सह भुगतान घोटाले से सीधा ताल्लुक रखते हैं.समिति प्रमुख मनपा की प्रभारी CE इस घोटाले के लिए आयुक्त द्वारा बनाई गई जाँच समिति की प्रमुख हैं,जो मनपा और टेंडर नियमावली के हित में निष्पक्ष जाँच करने के बजाय अपने करीबी ओम और राजू भैय्या ( मामले के प्रमुख दोषी DC GURBAKSHANI समूह ) को बचाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग कर रही हैं.जाँच समिति के कुछ बैठकों में कुछ ऐसी हरकतें की कि अन्य सदस्य उनसे काफी खफा हो गए.अब तो जाँच समिति की बैठकें भी नहीं ले रही,ऐसा आरोप समिति के अन्य सदस्यों का हैं.इस गंभीर मामले में आयुक्त राधाकृष्णन बी की चुप्पी समझ से परे हैं,इस चक्कर में आयुक्त के कार्यप्रणाली पर उंगलियां उतनी शुरू हो गई हैं.
समिति के दूसरे प्रमुख सदस्य मनपा के अधीक्षक अभियंता मनोज तालेवार जिनके कार्यकाल में और उनकी जानकारी में सीसी रोड फेज-2 अंतर्गत टेंडर सह भुगतान घोटाला हुआ.इन्हें एक विधायक का शह होने के कारण आजतक इनके अनगिनत विवादास्पद कार्यप्रणाली के बाद भी इनका बाल बांका नहीं हो पाया।पिछले 2 आयुक्तों ने तो इन्हें निलंबित करने के लिए इन्हें चेतावनी तक दे चुके थे,लेकिन बाद में वे भी BACKFOOT पर आ गए.इस घोटाले में भी वर्त्तमान आयुक्त ने इन्हें चेतावनी दी थी कि जाँच में दोषी पाए गए तो छोडूंगा नहीं,लेकिन विडम्बना यह हैं कि जाँच ही पूरी नहीं हो रही ,कारण CE राह में रोड़ा अटका कर रखी हैं.

उक्त दोनों विवादास्पद अधिकारी को पुनः आयुक्त ने बड़ी जिम्मेदारी दी,वह यह कि पूर्व में रुके WORKORDER और TENDER प्रक्रिया पूर्ण हुए कार्यों की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया गया.इसके लिए मनपा के सर्वपक्षीय नगरसेवकों का दबाव सह मांग थी,क्यूंकि एक साल बाद इन्हें अगला मनपा चुनाव से सामना करना हैं.

इस समिति में उक्त दोनों अधिकारियों सह अन्य प्रमुख अधिकारी भी हैं,खासकर मनपा के CAFO जो इनदिनों आयुक्त के रिवाइज़ बजट तैयार करने में लीं हैं,जो इस समिति की बैठकों से नदारत रहेंगे।ऐसे में उक्त दोनों अधिकारी महत्वपूर्ण पदाधिकारियों,नगरसेवकों और मनमाफिक कमीशन देने वाले ठेकेदारों के प्रस्तावों को क्रियान्वयन के लिए हरी झंडी देंगी।

अब सवाल यह हैं कि क्या चुनिंदा पदाधिकारी,नगरसेवक और ठेकेदारों के हित के लिए यह समिति का गठन किया गया ?

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