नई दिल्ली/नागपुर: आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत और उनके सहयोगियों के खिलाफ आरएसएस हेडक्वार्टर में गैरलाइसेंसी हथियार रखने और आतंक फैलाने की शिकायत नहीं दर्ज करने पर नागपुर की सेशन कोर्ट ने कोतवाली पुलिस स्टेशन को नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता मोहनीश जीवनलाल जबलपुरे की ओर से 12 अप्रैल 2018 को दायर इस याचिका में आरोपों से संबंधित कई सबूत पेश किए गए हैं। जिसमें फोटो से लेकर पुलिस द्वारा दिए गए आरटीआई के जवाब शामिल हैं। याचिका में मोहन भागवत के खिलाफ देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आरोप लगाया गया है। कोर्ट ने पुलिस को ये नोटिस 21 अप्रैल को जारी की है।
याचिकाकर्ता ने 27 सितंबर 2017 को मोहन भागवत और उनके सहयोगियों द्वारा संघ हेडक्वार्टर में खतरनाक हथियर रखने की शिकायत की थी। इसमें कहा गया था कि ये हथियार न केवल गैर लाइसेंसी हैं बल्कि उनका इस्तेमाल आतंक फैलाने के लिए किया जाता है। इतना ही नहीं छोटे-छोटे बच्चों को इसको चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है। संघ इन हथियारों का मौके-मौके पर सार्वजनिक प्रदर्शन करता रहता है। याचिकाकर्ता ने इसे देश के खिलाफ युद्ध करार दिया है जो धारा 121 (बी) के तहत राष्ट्रद्रोह का मामला बनता है। इसके साथ ही उसका कहना है कि इस मामले में आर्म्स एक्ट की कई धाराएं बनती हैं।
इस सिलसिले में याचिकाकर्ता ने पुलिस में कई आरटीआई डाली थी। जिसमें उसने हेडक्वार्टर में रखे हथियारों के लाइसेंस की जानकारी मांगी थी। साथ ही इस तरह के किसी सार्वजनिक प्रदर्शन के मौके पर पहले अनुमति का सवाल भी पूछा था। पुलिस ने अपने जवाब में कहा है कि उसकी तरफ से इस तरह के किसी हथियार का कोई लाइसेंस नहीं दिया गया है। साथ ही सार्वजनिक प्रदर्शन के मौके पर न तो कोई अनुमति कभी मांगी गयी है और न ही पुलिस ने दिया है।
गौरतलब है कि विजयादशमी के मौके पर संघ प्रमुख हथियारों की पूजा करते हैं और फिर एक बड़ी रैली को संबोधित करते हैं। ये सब कुछ सार्वजनिक तौर पर होता है।
इसके पहले याचिकाकर्ता ने मजिस्ट्रेट के यहां याचिका दायर की थी जिसे उसने 26 दिसंबर 2017 को खारिज कर दी थी। उसके बाद उसने सेशन कोर्ट में इस याचिका को दायर किया जहां से पुलिस को जवाब के लिए नोटिस भेजी गयी है। याचिकाकर्ता के मुताबिक वो स्थानीय पुलिस स्टेशन के साथ ही पुलिस कमिश्नर समेत दूसरे अधिकारियों को भी इसकी शिकायत भेजी थी। लेकिन संज्ञेय अपराध का मामला होने के बावजूद किसी ने भी इस पर तवज्जो नहीं दी। याचिका में मजिस्ट्रेट की तरफ से पारित आदेश में कई तरह की कमियां गिनाई गयी थीं। याचिका में पुलिस स्टेशन से मामले की जांच कर उसकी रिपोर्ट सौंपने की मांग की गयी है।
कोर्ट को सौंपी गयी फोटो में कई जगहों पर मोहन भागवत को हथियारों की पूजा करते हुए दिखाया गया है। इसके अलावा एक जुलूस में स्वयंसेवकों के बंदूक लेकर प्रदर्शन की फोटो है। एक फोटो में हेडगेवार और गुरु गोलवलकर की तस्वीरों के सामने तलवारों के साथ छोटे बच्चों को दिखाया गया है।
पुलिस निरीक्षिक के नाम लिखे गए आवेदन में कहा गया है कि “ अनोंदनिकृत “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ” ये संस्था बिना परवानगी पुरा भारत देश को (संघ सेवको को) दसहरा के दिन संघ प्रमुख संबोधीत करते। कई वर्षों से इस दिन शस्त्र और अग्निशस्त्र इसे नागपुर मुख्यालय संघ प्रमुख द्वारा पुजन करके प्रदर्शन करते है और संपूर्ण भारत में आर.एस.एस. की शाखाओं में छोटे बच्चों के हाथों में शस्त्र और अग्निशस्त्र देकर उन्हें प्रशिक्षित कर रहे है। इसके फोटो Google, Internet पे है। इन्हें संघ प्रमुख इनके मार्गदर्शन पे ही सिखाया जाता है। इस संस्था पे त्वारीत S.I.T. नागपूर सिटी पुलीस द्वारा शस्त्र व अग्निशस्त्र जब्त करके इन्हें गिरफ्तार करके त्वरीत फौजदारी कारवाई कि जायें और इस संस्था पे आने वाले समय पर त्वरीत शस्त्र पूजा पर रोक लगाकर इस संस्था को हमेशा के लिए सिल किया जायें।”
आवेदन में बच्चों पर इसके पड़ने वाले प्रभाव का खासतौर पर जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि “….इस हिसाब से छोटे बच्चों को भी शस्त्र और अग्निशस्त्र (बंदुक) देकर प्रशिक्षण और प्रदर्शन नजर आ रहे हैं। इस वजह से बच्चों के दिमाग में बदले की प्रतिभावना तयार होती है और शस्त्र और अग्निशस्त्र चलाने की भावना तयार होकर समाज के प्रति उद्वेक की भावना हो सकती है।”
शिकायतकर्ता का कहना है कि इन सारी चीजों के बाद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने की जगह पुलिस ने उसे ही निशाना बनाना शुरू कर दिया। उसने इसकी भी शिकायत नागपुर के पुलिस आयुक्त को की है। याचिकाकर्ता का कहना है कि नागपुर पुलिस कोतवाली में उसके साथ अपमानजनक व्यवहार किया गया। इसी के साथ एक और घटना का जिक्र किया गया है जिसमें कुछ पुलिसकर्मी शिकायतकर्ता के मोहल्ले में जाकर लोगों के सामने उसके खिलाफ अपमानजनक बातें करते देखे गए।